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समाचार और आलेख
पर्यावरण परिक्रमा(environmental revolution)
Posted on 09 Sep, 2023 02:38 PMअंतरिक्ष के कचरे का इसरो ने खोजा समाधान
अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने समाधान खोज निकाला है। इसरो ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी 56 ) को प्रक्षेपित कर सिंगापुर के सात उपग्रहों को ऊंची कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद रॉकेट के चौथे चरण को 300 किलोमीटर की निचली कक्षा में लाने के प्रयोग में भी सफलता प्राप्त की है।
देश में बाघों का अमृतकाल
Posted on 06 Sep, 2023 05:10 PMमध्यप्रदेश एक बार फिर 'बाघ राज्य' यानी टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाएगा। यहां बाघों की आबादी 526 से बढ़कर 785 पहुंच गई है। जो सभी प्रांतों में सबसे ज्यादा है। केन्द्रीय वन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट-2022 जारी कर राज्यवार और बाघ आरक्षित क्षेत्र वार बाघों की वर्तमान में मौजूद संख्या के आंकड़े जारी किए हैं।
महासागरों का प्रबंधन जल जगत
Posted on 06 Sep, 2023 04:29 PMजीवन की उत्पत्ति समंदर में हुई थी। यह अकेला सबसे प्रमुख कारण है कि क्यों समुद्री पर्यावरण की रक्षा की जानी चाहिए। समंदर हमें भोजन, ऊर्जा, खनिज संसाधन तो प्रदान करते ही हैं साथ ही ये जैव विविधता के भंडार भी हैं। ये मौसम और जलवायु को प्रभावित करते हैं और पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं। इसके अलावा यही समंदर जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं और विश्
उरुग्वे में जल आपातकाल हमारा भूमण्डल
Posted on 06 Sep, 2023 04:16 PMअपनी बेहतरीन फुटबॉल टीम के कारण दुनिया भर में पहचाना जाने वाला दक्षिण अमेरिका का साढे चौंतीस लाख आबादी वाला छोटा सा देश उरुग्वे अब पानी के भीषण संकट से दो-चार है। पानी की यह बदहाली उस देश में हो रही है जहां अभी दो दशक पहले बाकायदा कानून बनाकर पानी के निजीकरण को रोका और उसे मौलिक मानवाधिकार बनाया गया था।
घायल पर्यावरण को बचाने की गुहार
Posted on 06 Sep, 2023 12:23 PMप्रकृति पंच तत्वों के बिना अधूरी है पंच तत्व अर्थात् पानी, हवा, नभ, अग्नि और भूमि ये तत्व ही सृष्टि का संचालन करते हैं। इनके बिना प्रकृति अधूरी है। इस विश्व में खुशहाल देश वही हुए हैं जहां पानी, हवा और भूमि का संरक्षण किया जाता है। हमारा देश भारत वनों, वन्यजीवों एवं विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के लिए प्रसिद्ध है। समस्त विश्व में अत्यंत ही अदभुत तथा आकर्षक वन्यजीव पाए जाते हैं। हमारे देश में भी
पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
Posted on 05 Sep, 2023 03:10 PMग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है। हिमनद पिघल रहे हैं प्रदूषण बढ़ रहा है। पिछले कुछ दशकों से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है और पृथ्वी धीरे-धीरे गर्म हो रही है इस गर्मी के प्रति सजीव (पेड़ पौधे एवं जीव जन्तु) अलग-अलग प्रकार से संवेदना प्रदर्षित कर रहे हैं। पक्षियों द्वारा प्रदर्षित की जाने वाले इन संवेदनाओं के क्या परिणाम हो सकते हैं, यह जानने के लिये विभिन्न शोध किये जा रहे
आँखों देखी:- साइंस एक्सप्रेस-क्लाइमेट एक्शन स्पेशल का रवानगी समारोह
Posted on 05 Sep, 2023 02:52 PM17 फरवरी, 2017 को पूर्वाह्न में दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से साइंस एक्सप्रेस- क्लाइमेट एक्शन स्पेशल' रेलगाड़ी ने अपने नौवें चरण की यात्रा शुरू की। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें माननीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े रहे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ.
सामंजस्य
Posted on 05 Sep, 2023 02:45 PMसभी ग्रहों में, हमारा ग्रह पृथ्वी ही जीवन समर्थक है, क्योंकि यहां की प्रकृति जीवन के अनुकूल है। हमें सदा ही प्रकृति, पर्यावरण और जलवायु का ऋणी रहना चाहिए क्योंकि हमारा अस्तित्व इसी पर अवलम्बित है। उगता हुआ सूर्य, बहती हुई पवन, चहचहाती हुई चिड़िया, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, सुन्दर सुन्दर फूल, जीव जगत आदि सभी, हमारी अनभिज्ञता के बावजूद, न केवल हमारे साथ रहते हैं बल्कि इनका होना हमारे लिए अत्यंत महत्व
जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि
Posted on 05 Sep, 2023 02:06 PMदेश की आजादी के बाद, हमने जितनी भी उपलब्धियां हासिल कीं, उन सभी में देश को भुखमरी से आजादी दिलाना और खाद्य उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर करना, हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। यह सब कुछ हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अथक प्रयास ही सम्भव हो सका है। सन् 1960-61 में हमारा खाद्य उत्पादन 82 मिलियन टन था जो आज 2013-14 में बढ़कर अपने रिकार्ड स्तर 264 मिलियन टन तक पहुंच गया है। बढ़ती हुई आबादी के बा
जलवायु परिवर्तन-प्राकृतिक आपदाएँ एवं विलुप्त होती प्रजातियाँ
Posted on 05 Sep, 2023 01:49 PMमानव का प्रकृति के साथ हमेशा घनिष्ठ संबंध रहा है क्योंकि मानव जीवन खुद इसका एक अंग है। प्राचीन काल से ही मानव पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहा है तथा आज भी समस्त मूलभूत ज़रूरतें प्रकृति पर ही निर्भर हैं। मानव का जलवायु के साथ संबंध सदियों से चला आ रहा है, किन्तु इस प्राणदायिनी जलवायु को मानव 5000-9000 वर्ष पूर्व से ही दूषित करता आ रहा है। वरन आग का आविष्कार हो या आवास का निर्माण या कृषि के लिए मि