बदलाव के लिए दो मिशन

बदलाव के लिए दो मिशन
बदलाव के लिए दो मिशन

ज़्यादातर लोगों ने एकता में शक्ति के उदाहरण के रूप में लकड़ियों के गट्ठर का किस्सा तो सुना ही होगा। उसका सार यह है कि आप अकेली लकड़ी की डंडी को तो आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन जब उन्हीं डंडियों को इकट्ठा कर उनका गट्ठर बना दिया जाता है तो उसे तोड़ पाना नामुमकिन हो जाता है। यही होती है एकता में शक्ति। इसी एकता का अन्य रूप है सम्मिलन, यानि 'कन्वर्जेस' – जब विचारों, प्रयासों, परियोजनाओं और योजनाओं का सम्मिलन होता है तो क्रांति सी आ जाती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस विकसोन्मुखी परिकल्पना के ध्वजवाहक हैं।

स्वर्गीय श्री अरुण जेटली ने अपने पहले केंद्रीय बजट भाषण में 'कन्वर्जेस' को सरकार के एक प्रमुख कार्यनिष्पादक सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया था। जल शक्ति मंत्रालय में हमने इस सिद्धान्त को व्यावहारिक स्तर पर परखने का प्रयास किया है। और, इसका सबसे प्रखर उदाहरण हैं जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन, कि कैसे वे दोनों एक-दूसरे के सम्मिलन से, एक-दूसरे को और समर्थ बनाते हुए लोगों के जीवन में सुखद बदलाव ला रहे हैं।

इस सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ किया गया ताकि देश को खुले में शौच के अभिशाप से मुक्त किया जा सके। इसके तहत 10 करोड़ से ज़्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया, जो अपने में एक रिकॉर्ड है, लेकिन यह उपलब्धि काफी कठिन होती अगर सरकार ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए इन शौचालयों के लिए दो गड्ढों, यानि टूविन - पिट डिज़ाइन को न अपनाया होता, जिसमें मानव मल से वहीं-के-वहीं निपटने की व्यवस्था होती है। अब, जल जीवन मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। आज देश में 9.6 करोड़ से ज़्यादा ग्रामीण घरों में नल से पेयजल की आपूर्ति हो रही है; उल्लेखनीय है कि 6.36 करोड़ से ज़्यादा ग्रामीण घरों को नल कनेक्शन प्रधानमंत्रीमोदी द्वारा अगस्त 2019 में घोषित इस कार्यक्रम के पश्चात उपलब्ध कराये गए हैं।

जल जीवन मिशन को भी उसी प्रकार की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जिससे स्वच्छ भारत मिशनन को जूझना पड़ा है – निकलने वाले ग्रेवॉटर का प्रबंधन। घरों में इस्तेमाल होने वाले कुल पानी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा ग्रेवॉटर में तब्दील हो जाता है, जिससे अगर उपयुक्त ढंग से न निपटा जाए तो समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। यहीं पर कन्वर्जेंस का सिद्धान्त काम आता है।

जल जीवन मिशन ग्राम स्तर पर सुखद परिवर्तन लाने में मददगार साबित हो रहा है क्योंकि गांवों की पानी समितियों में 50% स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। महिलाओं को गांवों की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को तैयार करने, उनका प्रबंधन और कार्यान्वित करने तथा प्रचालन और रखरखाव करने के हर पहलू से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। प्रत्येक गाँव में कम से कम 5 महिलाओं को जल गुणवत्ता की चौकसी की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, और उनमें से कई को प्लंबरों, मेकेनिकों और पंप ऑपरेटरों के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। इन पथ-प्रदर्शक महिलाओं से निश्चित रूप से अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिलेगी, जिससे वे भी उन कार्य क्षेत्रों में प्रवेश कर सकेंगी जो सामान्यतः पुरुषों के वर्चस्व में मानी जाती हैं।


स्रोत :- जल जीवन संवाद अंक 24, जून 2022

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Post By: Shivendra
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