उत्तराखंड

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मायके में सूख रही गंगा
Posted on 15 Apr, 2010 09:13 AM
उत्तराखंड इस समय पानी की कमी के संकट से गुजर रहा है। यहां की नदियों, तालाबों, जलस्रोतों में लगातार पानी कम हो रहा है। यहां तक कि हरिद्वार के महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए कई घाटों पर चार फुट पानी भी न मिलने की लोगों ने शिकायतें की हैं। पूरे राज्य में जगह-जगह नदी बचाओ, घाटी बचाओ आंदोलन चल रहे हैं। जल स्रोतों के सूखने या उन तक पानी न पहुंचने से करोड़ों रुपये की पाइप लाइन योजनाएं बेकार हो गई ह
गंगा ही नहीं रही तो तारेगा कौन?
Posted on 12 Apr, 2010 08:36 PM
अपने उद्गम से लेकर हरिद्वार के उन घाटों तक गंगा का निर्मल जल वैसे ही कल-कल, छल-छल बहता हुआ, जैसा कभी बचपन में देखता था। गंगा मां की गोद में डुबकी मारकर जाने-अनजाने में किए गए अपने पापों को धोकर मोक्ष की कामना से स्नान करने वालों की भीड़। मैं कई किलोमीटर तक गंगा के किनारे चलता रहा। एक घाट पर अकेला नहाता एक इंसान नजर आया। मैंने उसे पहचान लिया। कई बार उसे दाह संस्कार करते देखा था। गंगा में स्ना
नदियों को अविरल बहने दो
Posted on 11 Apr, 2010 09:41 PM अभी कुछ ही दिन पहले उत्तराखंड के श्रीनगर में अलकनंदा पर निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना के लिए बनाया गया कॉफर बांध के टूटने के समाचार से चिन्ता हो गयी थी, लेकिन जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में बताया। साथ ही अगले कुछ दिनों तक लोगों को नदी तट से दूर रहने की अपील भी की गयी। इसमें यह भी कहा गया कि नदी में बाढ़ नहीं है, केवल जलस्तर बढ़ा है। 12 बजे तक जब नदी का प्रवाह सामान्य होने की जानकारी मिली
गंगा के साथ ही गदेरों की भी सुध लीजिए
Posted on 11 Apr, 2010 10:15 AM
गंगा को बचाने की मुहिम में बड़े-बड़े लोग शामिल हुए हैं, लेकिन इसमें उन लोगों को शामिल करना अभी शेष है, जिन्होंने गंगा को पूरी निष्ठा के साथ स्वच्छ और अविरल रूप में हरिद्वार तक पहुंचाया है। इसके लिए जरूरी है कि गंगा के मायके के लोगों को इस अभियान से जोड़ा जाए। हरिद्वार से आगे गंगा मैली हुई है, तो इसका संज्ञान संबद्ध क्षेत्रों के लोगों को लेना चाहिए। गंगा के उद्गम प्रदेश से तो गंगा आज भी पूर्व
सुलगते हुए जंगल
Posted on 08 Apr, 2010 09:30 PM
पूरे विश्व में जलते हुए जंगल अपने साथ नई आपदाएं लाते रहे हैं। सरकारों को जंगलों मे लगी आग के कारण कई बार आपातकाल की घोषणाएं भी करनी पड़ती हैं। पिछले वर्ष अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में जंगलों की आग के कारण आपात स्थिति लगी थी। हमारे देश में जंगलों का फायर सीजन फरवरी से जून के बीच का माना जाता है। उत्तराखंड व हिमाचल के जंगलों में भयंकर आग लगती है। उत्तर प्रदेश व कर्नाटक में भी जंगलों में आग लगती है
गंगा केवल पुराणों में बहेगी
Posted on 04 Apr, 2010 08:57 AM
आज नदी बिलकुल उदास थी/ सोयी थी अपने पानी में/ उसके दर्पण पर बादल का वस्त्र पड़ा था/ मैंने उसे नहीं जगाया/ दबे पांव घर वापस आया।’ न जाने वह कौन सी नदी थी, जिसकी उदास और सोयी हुई लहरों पर कवि केदारनाथ अग्रवाल ने इतना सुंदर बिम्ब रचा था। कवि को उस रोज नदी उदास दिखी, उदासी दिल में उतर गई।
गंगा : संकट नदी का नहीं, पानी का
Posted on 01 Mar, 2010 05:33 PM अरवरी, अब राजस्थान की एक अनजान नदी नहीं रही। वह वक्त के इतिहास में पुनर्जीवित हुई पहली नदी दर्ज हो गई है। आखिर कोई नदी क्यों मर गई और दोबारा कैसे जिंदा हुई? नदियों पर अब कौन सा ‘पहाड़’ टूटने वाला है?
सर्दी में गहराया सूखे का संकट
Posted on 14 Feb, 2010 09:55 PM

उधमपुर। गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला, जगजीत सिंह के स्वर से एक गजल के रूप में निकली इस फरियाद को पहाड़ी इलाके शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। सर्दी के सीजन में सूखे का ऐसा संकट इससे पहले नहीं देखा गया। स्वच्छ पानी तो दूर अब बहती नदी और उससे निकलने वाले नालों से भी पानी मयस्सर नहीं हो रहा। देहाती अंचलों का जीवन सींचने वाले तालाब सूख गए हैं। बारह मास तक पानी देने वाली बावलियां अकाल सा एहसास दे रही हैं। ऐसे में सरकारी एजेंसियों से सप्लाई होने वाला पानी भी लुप्तप्राय हो चला है। हालात यहां तक हो गए हैं कि पहाड़ी इलाकों में प्यास के मारे मवेशियों की मौतें शुरू हो गई हैं। शहरी और कस्बाई इलाकों में भी पानी का संकट अपना एहसास करवा रहा है।

आसमां में सुराख से कम नहीं यह जीत
Posted on 08 Feb, 2010 09:51 AM


गंगा में खनन के कुछ मुद्दों पर मातृसदन के आंदोलन के आगे शासन झुका

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