उत्तराखंड

Term Path Alias

/regions/uttarakhand-1

गंगा का प्रवाह
Posted on 29 Jul, 2010 08:14 AM
एक राष्ट्र के रुप में भारत के अस्तित्व का आधार धर्म है। भारत एक राजनीतिक इकाई होने के साथ ही एक सांस्कृतिक इकाई भी है। विभिन्न स्तरों पर दिखने वाली विविधता के बावजूद संस्कृति का अन्तःप्रवाह सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोए हुए है। भारतीय संस्कृति का अन्तःप्रवाह कुछ प्रतीकों, आदर्शो एवं प्राकृतिक उपहारों से निरंतर ऊर्जा ग्रहण कर अपने आप को प्रवाहमान बनाए हुए है। गंगा का अविरल प्रवाह भी एक
गोमुख से गंगासागर तक पदयात्रा पर एक संन्यासी
Posted on 19 Jul, 2010 02:00 PM
यदि यह पदयात्रा किसी नेता या अभिनेता की होती अथवा कोई रथयात्रा हो रही होती तो मीडिया इसकी पल-पल की जानकारी दे रहा होता, किंतु यह यात्रा एक संन्यासी कर रहा है, लिहाजा इसकी कहीं चर्चा नहीं हो रही, गोमुख से गंगासागर तक किनारे-किनारे पूरे ढाई हज़ार किलोमीटर लंबे मार्ग पर सर्दी, लू के थपेड़ों और बरसात के बीच इस संन्यासी की पदयात्रा गंगा की निर्मलता के लिए हो रही है। वह भी ऐसे मार्ग पर, जो कभी पार
कुज्जन गांव की आपबीती
Posted on 18 Jul, 2010 01:00 PM
हम भागीरथी घाटी के निवासी हैं। सदियों से भागीरथी बहती आई है। अब इसे बांधों में बांधा जा रहा है। कहीं सुंरगों में तो कहीं जलाशयों में डाला जा रहा है।
जलीय जीव-मछली का विकास नदी बचाकर करना होगा
Posted on 03 Jul, 2010 10:15 AM उत्तराखण्ड राज्य नदी, पर्वत एवं उसमें विराजमान वन एवं जैव-विविधता से परिपूरित लगता है। वह चाहे मनुष्य हो या अन्य जीवधारी, यहां के निवासियों का जीवन एवं जीविका जल, जंगल एवं जमीन पर निर्भर है। हिमानी एवं जंगलों के बीच से निकलने वाले गाड़-गदेरों व नदियों के पानी से असंख्य जीव-जन्तु एवं वनस्पतियों के विकास की कहानी जुड़ी हुई है। अतः पानी में रहने वाले जीव-जन्तुओं की एक विशेषता यह है कि ये जल प्रदूषण क
नये पुरुषार्थ का प्रारम्भ हिमालय से हो
Posted on 25 Jun, 2010 03:48 PM मेरी सहज समर्पित सेवाओं के लिए मुझे जो सम्मान दिया गया है, उसको मैं समाज का स्नेहपूर्ण आशीर्वाद मानती हूं।
सबके सम्मान की पात्र
Posted on 25 Jun, 2010 01:43 PM टिहरी जनपद में स्थित मेरा गांव रगस्या-थाती (बूढ़ाकेदारनाथ) सामाजिक क्रांतियों का केन्द्र रहा है। यहां पर शराबबंदी आन्दोलन, अस्पृश्यता निवारण, चिपको आन्दोलन के लिये सर्वोदय और गांधी विचार से जुड़े लोगों का जमघट बना रहता था। बूढ़ाकेदारनाथ में धर्मानंद नौटियाल, भरपूरू नगवान एवं बहादूर सिंह राणा ने मिलकर सन् 1947 से 1975 के दौरान शांति और समानता के लिये अहिंसक गतिविधियां चलायी थीं। इन्हें सरला बहन और
प्राकृतिक आपदाओं को निमंत्रित करता समाज
Posted on 20 Jun, 2010 09:34 PM
(दुनिया में पर्यावरण को लेकर चेतना में वृद्धि तो हो रही है परंतु वास्तविक धरातल पर उसकी परिणिति होती दिखाई नहीं दे रही है। चारों ओर पर्यावरणीय सुरक्षा के नाम पर लीपा-पोती हो रही है। विगत दिनों डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में हुए विश्व पर्यावरण सम्मेलन की असफलता ने मनुष्यता को और अधिक संकट में डाल दिया है।)

पर्यावरण आज एक चर्चित और महत्वपूर्ण विषय है जिस पर पिछले दो-तीन दशकों से काफी बातें हो रहीं हैं। हमारे देश और दुनियाभर में पर्यावरण के असंतुलन और उससे व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा भी बहुत हो रही है और काफी चिंता भी काफी व्यक्त की जा रही है लेकिन पर्यावरणीय असंतुलन
जहां पर उतरी कृष्णप्रिया यमुना
Posted on 19 Jun, 2010 12:56 PM
हिन्दू धर्म के हिमालय क्षेत्र के चार पावन धामों में यमुनोत्री धाम प्रमुख है। यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थान है। यह भारत के उत्तरांचल प्रदेश में स्थित है। यहां बंदरपुछ चोटी के पश्चिम किनारे पर यमुनोत्री मंदिर स्थित है। जो समुद्र तल से 3185 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय से निकलकर पूर्व दिशा में बहने वाली पवित्र नदियों में गंगा और यमुना नदी प्रमुख है। पावन गंगा के समानांतर बहते हुए यमु
उत्तराखंड में बनेगा हिमनद प्राधिकरण
Posted on 14 Jun, 2010 09:09 AM
उत्तराखण्ड सरकार ने दुनिया में पहली बार हिमनदों की देखरेख, संरक्षण और संवर्द्धन के उद्देश्य से राज्य के दस बड़े तथा 1400 छोटे हिमनदों के लिए एक प्राधिकरण का गठन करने की नायाब योजना बनाई है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में गठित होने वाले प्राधिकरण के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। राज्य में अकूत बर्फ और हिमनद के संरक्षण के लिए यह नायाब कदम उठाया जा रहा है
गंगा के मायके में प्यासी धरती, प्यासे लोग
Posted on 15 Apr, 2010 10:28 AM

समूचे गंगा के मैदान को पानी उपलब्ध करवाने वाला उत्तराखंड स्वयं प्यासा है। क्रुद्ध पर्वतवासी जन-संस्थान के दफ्तरों और अफसरों का घेराव कर रहे हैं। आंदोलनों से सरकारी मशीनरी अक्सर सक्रिय होती भी है लेकिन उसकी सक्रियता का परिणाम नगरों और कस्बों तक ही सीमित होता है। गांव प्यासे रह जाते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इस पर्वतीय प्रदेश की 75 प्रतिशत जनसंख्या 15,828 गांवों में निवास करती है। नगरीय इल

×