भारतीय संस्कृति में नदियों का काफी महत्व रहा है। वैसे देखा जाए तो हर सभ्यता के विकास का मार्ग नदियों ने ही प्रशस्त किया है। दुनिया की बड़ी नदियों में से एक है गंगा। भारत में इसे बहुत ही पवित्र और आस्था के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।लेकिन आज गंगा की पवित्रता आधुनिकीकरण के चलते खोती जा रही है। इस मटमैले पानी वाली गंगा की सफाई न हो पाना पर्यावरण की दृष्टि से खिलवाड़ किए जाने की तरह है। फंड तो खूब आता है पर नतीजा ढाक के तीन पात ही निकलता है।
क्लीन गंगा को वर्ल्ड बैंक से 1 बिलियन डॉलर
वर्ल्ड बैंक ने क्लीन गंगा प्रोजेक्ट के लिए अक्टूबर 2009 में एक बिलियन डॉलर मंजूर किए थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इसके लिए कार्य करने का आश्वासन दिया था। साथ ही एक कमेटी बनाकर बेहतर ढंग से सफाई करने की बात कही गई थी।
दिसंबर में वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट जोलिक की भारत यात्रा के दौरान इस मसले पर कोई फैसला होने की भी उम्मीद जताई गई थी। देखा जाए तो पिछले 20 सालों में भारत इस प्रोजेक्ट पर 960 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। गंगा के प्रदूषित होने का मुख्य कारण औद्योगिक कचरे का इसमें छोड़ा जाना है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपनाया था कड़ा रुख
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यहां चल रहे माघ मेले के दौरान गंगा के पानी की गुणवत्ता और कमी को गंभीरता से लिया। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया कि इलाहाबाद में श्रद्धालुओं के हितों को ध्यान में रखते हुए नरोरा बांध से प्रतिदिन गंगा में 2500 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना सुनिश्चित करे।
वहीं गंगा में प्रदूषण पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने निर्देश दिया कि नरोरा बांध से गंगा में 2500 क्यूसेक पानी छोडे जाने की प्रत्येक जिला स्तर पर देखरेख की जाए। इसी के साथ ही इन जिलों की लाग बुक को परीक्षण के लिये न्यायालय को प्रस्तुत करनी होगी।
गंगा को बीमारी कहे जाने पर हुआ था विवाद
अमेरिका के फॉक्स न्यूज चैनल के एक ओपिनियन शो ‘द वन थिंग’ में प्रस्तुतकर्ता ग्लेन बैक ने कहा कि भारत की पवित्र नदी मानी जाने वाली गंगा का नाम ही भद्दा है। यह नाम किसी नदी का नहीं, बल्कि बीमारी का लगता है।
ग्लेन की इस टिप्पणी पर दुनियाभर के भारतीयों ने तीखा विरोध जताया था। उनका कहना था कि यह टिप्पणी हर भारतीय की गंगा के प्रति पवित्र आस्था से खिलवाड़ है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले पर ग्लेन और टीवी चैनल से माफी मांगने को कहा गया।
‘गंगा’ एक साधारण शब्द नहीं बल्कि यह हिंदू संस्कृति का सार है। यह पूरी दुनिया के एक अरब लोगों का पवित्र स्थल है। लाखों भारतीय इससे अपनी रोज की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। यह भारतीयों का जीवन है।
अमेरिका के लोगों ने भी कहा कि एंकर ने चर्चा में बने रहने के लिए धर्म पर प्रहार किया। लेकिन ग्लेन का कहना था कि उसने कोई गलत बात नहीं कही।
नवनीत रमन ने रिपोर्टर को धन्यवाद दिया
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड हेरिटेज (इनटेक) के पूर्व संयोजक नवनीत रमन ने कहा है कि मैं फोक्स न्यूज चैनल के रिपोर्टर को धन्यवाद देता हूं, जिसने गंगा के सोए हुए पुत्रों को जगाया है। मैं उम्मीद करता हूं कि गंगा के वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता पुत्र जाग गए होंगे और अपनी मां को जल्द से जल्द स्वस्थ बनाने के लिए प्रयास करेंगे। इसी के साथ कई भारतीय नेताओं, साधु-संतों और भारत में विशेष पदों पर आसीन लोगों के बयान आए पर हासिल हुआ केवल सिफर।
'अब गंगा पर नही बनेंगे बांध'
केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्नी जयराम रमेश ने कहा कि गंगा पर अब नए बांध नहीं बनेंगे। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गंगा पर बांध बनाकर जिन हाइड्रो पावर प्रोजेक्टस पर काम शुरू नहीं हुआ है उन्हें रोक दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता को बनाये रखने के लिए यह जरूरी है। उन्होने कहा कि असल संकट लोहारी नाग पाला को लेकर है, इस प्रोजेक्ट पर अब तक 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और 800 करोड रूपया खर्च भी हो चुका है।
इसे बीच में नहीं छोडा जा सकता। उन्होंने कहा कि साधु संतों एवं विभिन्न संगठनों की ओर से अविरल गंगा के लिये गोमुख से उत्तरकाशी तक 130 किलोमीटर के क्षेत्न को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की मांग गई है।
उन्होंने कहा कि पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में 15 हजार करोड रूपये की लागत से गंगा को प्रदूषण मुक्त किया जायेगा। इस अभियान में 70 प्रतिशत केन्द्र सरकार तथा 30 प्रतिशत राज्य सरकारों का अंशदान होगा।
राज्यों की मांग है कि 90 प्रतिशत अंशदान केन्द्र सरकार करे। इस पर विचार चल रहा है। चाहे जो भी हो आखिरकार फंड का फंडा यही रहा है कि बवाल या हो-हल्ला हर जगह मचेगा पर गंगा की सफाई पता नहीं कब हो सकेगी?
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