उत्तराखंड

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क्या गंगा के प्रवाह की चिंता असली है?
Posted on 02 Nov, 2010 08:46 AM
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश ने गंगा नदी की अविरलता बरकरार रखने का आश्वासन देते हुए कहा है कि गंगा नदी पर अब नए बाँध नहीं बनेंगे तथा उत्तराखंड में जिन पनबिजली परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हुए हैं, उन पर काम शुरू नहीं होंगे।
हिमालय को तबाह करती परियोजनाएं
Posted on 16 Oct, 2010 09:37 AM आज दुनिया-भर में जलवायु-परिवर्तन के कारण संकट के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन अन्य क्षेत्रों के मुकाबले हिमालय के पर्वतीय इलाकों में बढ़ते तापमान के असर साफ नजर आ रहे हैं।

एशिया और हिमालय की महानदियों- सिंधु, गंगा और नूं-के तेजी से पिघलते ग्लेशियर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। जलवायु-परिवर्तन से ग्लेशियर पिघलने, नदी का जलस्तर बढ़ने, बाढ़ आने और बादल फटने जैसी घटनाएं बढ़ जाएंगी। जैसे-जैसे पानी और नदियों की स्थिति में परिवर्तन आएगा, जलवायु और मौसम चक्र का पूर्वानुमान लगाना कठिन हो जाएगा।

दिसम्बर 2008 में छपी अपनी रपट
तबाही की योजनाएँ
एक अनोखे नाम वाला पर्वत - ‘एवलांच पीक’
Posted on 15 Oct, 2010 12:31 PM
हम तुम्हें हिमालय पर्वतमालाओं में स्थित कई पर्वत चोटियों के विषय में बता चुके हैं। उनमें से कुछ पर्वतचोटियां ऐसी हैं, जिन पर तुम थोड़ी सी तैयारी कर के किसी गाइड के मार्गदर्शन में चढ़ सकते हो तो कुछ ऐसी भी हैं, जिन पर चढ़ने के लिए तुम्हें बड़े होकर पर्वतारोहण सीखना होगा। इसके साथ ही तुमने यह भी जाना कि हिमालय के बहुत से दुर्गम और अनोखे हिमशिखर भी हैं। आज हम एक बार फिर तुम्हें एक अनोखे पर्वत श
कैसे स्वच्छ होगी गंगा
Posted on 12 Oct, 2010 03:32 PM


करोड़ों भारतीयों की आस्था की प्रतीक गंगा का जल आज पीने लायक तक नहीं रह गया है।

Ganga river
विकास की सोचिए
Posted on 08 Oct, 2010 09:20 AM

अभिमत

इस समय उत्तराखंड कुछ जोगियों और संन्यासियों से त्रस्त दिख रहा है, जबकि इन्हें मनुष्यों के त्रास निवारण के भौतिक उपायों के बारे में सोचना चाहिए। जोगी और संन्यासी शब्द में अर्थ का बहुत बड़ा अंतर है। जोगी का संबंध ‘योग’ से है, जबकि संन्यासी का संबंध संसार से असंपृक्तता और वैराग्य से। लेकिन दोनों के आजकल घोर राजनीतिकरण और संसार से अधिकतम संलिप्तता वाले संबंध उजागर हो रहे हैं। हिंदू धर्म में संन्यासी के जो आचरण और कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं, उनके अनुसार उन्हें गृहस्थों के बीच और निकट निवास नहीं करना चाहिए। एकांतवास और कुटिया बनाकर रहना उनके आचरण का प्रमुख हिस्सा है।
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आखिर कैसे साफ हो गंगा
Posted on 29 Sep, 2010 08:55 AM टिहरी बांध बनने के पहले भी गंगा पर दो बांध थे हरिद्वार और फरक्का। हरिद्वार बांध से जुड़ी एक दिलचस्प घटना है। वर्ष 1837-38 में उत्तर भारत में भयंकर सूखा और अकाल पड़ा। राहत कार्य में ईस्ट इंडिया कंपनी के लाखों पौंड खर्च हो गए। इस पृष्ठभूमि में अंगरेज अधिकारी कर्नल पोबी कॉटली की हरिद्वार में बांध बनाकर 560 मीटर लंबी नहर बनाने की महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दिखा दी गई। इससे पहले कि बांध निर्माण का
अलकनंदा पर रद्द हुआ पनबिजली प्रोजेक्ट
Posted on 25 Sep, 2010 01:20 PM नई दिल्ली।। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में अलकनंदा पर प्रस्तावित 320 मेगावॉट की कोटली-भेल-1बी परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी खारिज कर दी गई है। पहाड़ की नदियों, जंगलों और संस्कृति को बचाने की लड़ाई लड़ रहे जन संगठनों ने राष्ट्रीय पर्यावरण अपीलीय प्राधिकरण (एनईएए) के इस फैसले पर खुशी जताई है।
..और नदियों के किनारे घर बसे हैं
Posted on 23 Sep, 2010 01:02 PM मानव सभ्यता और बाढ़ का रिश्ता आदिकाल से चला आ रहा है। अनेक सभ्यताएं नदियों के किनारे पनपी और बाढ़ से नेस्तनाबूद हो गई। आज भी बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिसके नाम से ही देश के अनेक गांवों एवं नगरों के लोग थर्रा उठते हैं। एक शोध के अनुसार 1980 से 2008 के दौरान भारत में चार अरब से भी अधिक लोग बाढ़ प्रभावित हुए। प्रति वर्ष बाढ़ से करोड़ों रुपयों के घर-बार, खेती और मवेशी नष्ट हो जाते हैं।
जोशीमठ: सुरंग निर्माण में फूटे स्रोत से खतरे में जनजीवन
Posted on 07 Sep, 2010 11:38 AM
जल लघु विद्युत योजनाएं सरहदी क्षेत्र जोशीमठ के लिए प्राणघातक बन रही हैं। 400 मेगावाट विष्णुप्रयाग योजना ने पास के चाँई गांव को लगभग नष्ट कर दिया है। अब 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड़ योजना, जिसे एन. टी.पी.सी.
पंचेश्वर बाँध: झेलनी ही होगी एक और बड़े विस्थापन की त्रासदी
Posted on 07 Sep, 2010 11:17 AM
सैकड़ों बाँधों से लगभग पूरा नक्शा ही काला हो गया था। बाँधों से उभरी यह कालिख प्रतीकात्मक रूप में तथाकथित ऊर्जा प्रदेश के भविष्य को भी रेखांकित करती है।
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