उधमपुर। गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला, जगजीत सिंह के स्वर से एक गजल के रूप में निकली इस फरियाद को पहाड़ी इलाके शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। सर्दी के सीजन में सूखे का ऐसा संकट इससे पहले नहीं देखा गया। स्वच्छ पानी तो दूर अब बहती नदी और उससे निकलने वाले नालों से भी पानी मयस्सर नहीं हो रहा। देहाती अंचलों का जीवन सींचने वाले तालाब सूख गए हैं। बारह मास तक पानी देने वाली बावलियां अकाल सा एहसास दे रही हैं। ऐसे में सरकारी एजेंसियों से सप्लाई होने वाला पानी भी लुप्तप्राय हो चला है। हालात यहां तक हो गए हैं कि पहाड़ी इलाकों में प्यास के मारे मवेशियों की मौतें शुरू हो गई हैं। शहरी और कस्बाई इलाकों में भी पानी का संकट अपना एहसास करवा रहा है।
सर्दी में सूखे की स्थिति का एहसास करवाने वाले आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो संकट समझा जा सकता है। उधमपुर ब्लाक में पांच सौ के लगभग तालाब हैं जिनमें से कई तालाब ग्रामीण इलाकों को पानी आपूर्ति के एकमात्र स्रोत हैं। जमीनी हकीकत ये है कि इनमें से पचास फीसदी से अधिक सूख चुके हैं। ब्लाक में छह सौ के करीब नई पुरानी बावलियां हैं। उधमपुर की पहचान बावलियों में से भी अधिकांश सूखे को दर्शा रही हैं। यह दृष्य उधमपुर ब्लाक का है जिसके पास पीएचई की सप्लाई के पुख्ता प्रावधान हैं। पंचैरी, डुडू बसंतगढ़ और चिनैनी तहसील के ऊपरी इलाक ों का क्या हाल है अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। पानी के लिए हो रहे त्राहिमाम की शेष तस्वीर का तसव्वुर भूजल विभाग द्वारा खुदवाए गए डीप हैंडपंप से हो रहा है।
उधमपुर तहसील में 172, रामनगर में 156 और चिनैनी में 103 हैंडपंप हैं जिनमें से नाममात्र ही पानी दे पा रहे हैं। हैंडपंप के निष्क्रिय होने के पीछे तकनीकी खराबी से कहीं अधिक लगातार घटते जा रहे वाटर टेबल को माना जा रहा है। कुल मिलाकर सर्दी के इस सूखे से हर तरफ त्राहिमाम की स्थिति हो रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
सर्दी में न तो बरसात हुई है और न ही हिमपात। ऐसे में जल संचय नहीं हो पाया है। इसका सीधा असर भूमिगत जल स्तर यानी वाटर टेबल पर पड़ रहा है। इस सीजन में वाटर टेबल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है जिसकी वजह से डीप हैंडपंप भी पूरी तरह से कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहे। ऐसी सूरत में नए सिरे से पाइप की व्यवस्था करनी पड़ रही है।
अजय खजुरिया, सहायक कार्यकारी अभियंता, भूजल विभाग
अब तक के सेवाकाल में सर्दी के मौसम में प्राकृतिक जलस्रोत सूखने का ऐसा पैमाना पहली बार देखा है। अधिकांश तालाब और बावलियां सूख चुकी हैं। सबसे ज्यादा पहाड़ी इलाकों के देहात पानी के संकट का सामना कर रहे हैं।
बंसीलाल शर्मा, ब्लाक विकास अधिकारी, उधमपुर
जेएनवी जगानू में पानी का संकट
हफ्ते से कई बच्चे नहाए तक नहीं, पेयजल की भी दिक्कत
उधमपुर। शहर से करीब बारह किलोमीटर दूर स्थित जगानू जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चे पानी के संकट से दो चार हो रहे हैं। स्कूल में पिछले एक हफ्ते से पानी नहीं है। ऐसे में बच्चे पानी के लिए तरसने को मजबूर हो गए हैं। पीने का पानी तो परेशानी का सबब है ही नहाने के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा है। कई बच्चों को तो नहाए ही कई दिन हो चुके हैं। पानी के संकट की वजह स्कूल से सटी बावली के सूखने और पीएचई विभाग की सप्लाई ठप होना बताई जा रही है। अलबत्ता पानी के लिए बच्चों को जोखिम तक उठाना पड़ रहा है।
स्कूली बच्चों में राकेश ने बताया कि बावली सूख जाने से वह पीएचई विभाग की आपूर्ति पर निर्भर हैं। लेकिन मोटर खराबी के कारण पीएचई का पानी भी स्कूल तक नहीं पहुंच रहा। प्रशांत ने बताया कि पानी संकट के चलते नहाना भी मुश्किल हो गया है। कई बच्चों को नहाए ही सप्ताह का समय हो गया है। जबकि शेष को जोखिम उठाकर तवी नदी में नहाने जाना पड़ रहा है। छात्र अमित ने बताया कि बर्तन और कपड़े साफ करते तक के लिए पानी नहीं है। स्कूल के बाहर से पानी लाना हो तो उसके लिए आधे घंटे से ज्यादा समय लग जाता है। इसकी शिकायत पिं्रसिपल सर से की गई तो उन्होंने मोबाइल टैंकर मंगवाया है। समस्या फिर भी पूरी तरह से हल नहीं हो पाई है। स्थानीय समाज सेवक सुरिंदर सिंह पाधा ने बताया कि स्कूली बच्चे यदि नहाने के लिए तवी नदी में जा रहे हैं तो समझा जा सकता है कि हालात क्या हैं। इसके लिए स्कूल प्रशासन को फौरी इंतजाम करने होंगे। बच्चों की इसी समस्या के संबंध में स्कूल के प्रिंसिपल के सी भगत ने बताया कि पानी का संकट चौबीस जनवरी से है जिसकी जानकारी पीएचई विभाग को दी जा चुकी है। बीच में अवकाश आने की वजह से मोटर दुरुस्त नहीं की गई है। प्रिंसिपल केसी भगत के अनुसार बच्चों को तवी में नहाने के लिए भेजते समय बाकायदा चार शिक्षकों को तैनात किया गया है।
सूखा झेल रहा है बसनोत, डीसी से मिला शिष्टमंडल
उधमपुर। पंचैरी ब्लाक के ऊपरी पहाड़ी इलाकों में पानी का संकट गहरा गया है। सिविल डिफेंस संस्था के पोस्ट वार्डन स्वतंत्र देव कोतवाल और हंसराज ठाकुर समेत अन्य सदस्योंं ने मोंगरी और आसपास के इलाकों का दौरा कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। अधिकांश इलाकों में पानी का संकट प्रमुखता से उठाया गया।
कोतवाल ने बताया कि बसनोत इलाके में पानी को लेकर स्थिति सूखे के समकक्ष पहुंच चुकी है। यदि जल्द ही उचित व्यवस्था नहीं की जाती है तो लोगों को पलायन को मजबूर होना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि बसनोत समेत आसपास के अन्य इलाकों में पानी की समुचित व्यवस्था करने के लिए चिनाब से पानी लिफ्ट क ी सुविधा दी जानी चाहिए। चिनाब के पानी से बड़े इलाके को पानी सप्लाई किया जा सकता है। उन्होंने कांदरू टिब्बा टॉप में पानी आपूर्ति तंत्र स्थापित करने की मांग की। विस्तृत दौरे के बाद सदस्यों ने जिला उपायुक्त के समक्ष समस्या रखी और सिविल डिफेंस के आपदा प्रबंधन कार्यक्रम के तहत इस विषय को गंभीरता से लिए जाने की मांग की। जिला उपायुक्त ने संबंधित विभाग को फौरी इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।
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