उत्तर प्रदेश

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नदियों का दर्द
Posted on 11 Mar, 2016 01:26 PM


नदी का शुद्धीकरण अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है। भारतीय परम्परा में तो नदियों को माता तुल्य आदर देकर स्वच्छ रखने के प्रयास हुए। ये प्रयास एक लम्बे समय तक सफल भी हुए। जब तक हमारी सभ्यता औद्योगिक रासायनिक तरल व ठोस कचरे और शहरी मलजल को वर्तमान तरीके से निपटाने वाली व्यवस्था से मुक्त थी, हमारी नदियाँ शुद्ध थीं।

पानी को बनाया जा रहा है मुनाफे का साधन
Posted on 10 Mar, 2016 04:15 PM
पानी प्रकृति से सबको नि:शुल्क मिलता है, तो कुछ लोगों का ही पा
ताकि जीवन को मिलता रहे जल
Posted on 03 Mar, 2016 09:34 AM
तालाबों के लिये संजीवनी बन सकती है केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की नई योजना
बाढ़ से तबाही
Posted on 12 Feb, 2016 12:30 PM
पूर्वांचल की इस बाढ़ ने शहरों और गाँवों तक में जीवन जीना मुहाल कर दिया है। लोग किसी तरह जी रहे हैं। रात में आई बाढ़ की वजह से जान-माल के नुकसान का आकलन भी असम्भव है। बाढ़ में फँसे 12 लाख लोगों तक राहत सामग्री पहुँचाई जा रही है, लेकिन यह राहत सामग्री बाढ़ में फँसे लोगों के लिये ऊँट के मुँह में जीरा के समान है।
IWRM for Rehabilitation of Bundelkhand Region of Uttar Pradesh
Posted on 28 Jan, 2016 09:33 AM
(A Concept Paper for inclusion of the project under Phase –II of the UPWSRP)

Introduction

जल चौपाल में जाना उप्र में पानी का हाल
Posted on 14 Jan, 2016 11:59 AM
उत्तर प्रदेश, देश के उन राज्यों में शामिल है जहाँ पेयजल का संकट भीषण रूप लेता जा रहा है। पानी की उपलब्धता मात्र समस्या नहीं है क्योंकि अगर पानी उपलब्ध है भी तो उसमें जहरीले रसायनों की मौजूदगी उसे प्रयोग के लिये बेकार बना देती है। राज्य के कई जिलों के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड, क्रोमियम समेत तमाम खतरनाक रसायनों की मौजूदगी ने गाँव-के-गाँव विकलांग कर दिये हैं। पहले जहाँ लोग इस समस्या से अनजान थे वहीं अब सरकार और सामाजिक संगठनों की अथक कोशिशों के बाद लोगों में इस बारे में चेतना का काफी विस्तार हुआ है। उत्तर प्रदेश में पानी की लगातार खराब होती गुणवत्ता और उसमें फ्लोराइड, आर्सेनिक, क्रोमियम आदि विषाक्त तत्त्वों की मौजूदगी और उसके दुष्प्रभावों पर चर्चा कोई नई बात नहीं है। प्रश्न अब इस जानकारी से आगे बढ़कर इससे निजात पर सामूहिक विमर्श का है। राजधानी लखनऊ में आयोजित जल चौपाल ने सभी सम्बन्धित पक्षकारों को यह अवसर मुहैया कराया।

उत्तर प्रदेश, देश के उन राज्यों में शामिल है जहाँ पेयजल का संकट भीषण रूप लेता जा रहा है। पानी की उपलब्धता मात्र समस्या नहीं है क्योंकि अगर पानी उपलब्ध है भी तो उसमें जहरीले रसायनों की मौजूदगी उसे प्रयोग के लिये बेकार बना देती है।

राज्य के कई जिलों के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड, क्रोमियम समेत तमाम खतरनाक रसायनों की मौजूदगी ने गाँव-के-गाँव विकलांग कर दिये हैं। पहले जहाँ लोग इस समस्या से अनजान थे वहीं अब सरकार और सामाजिक संगठनों की अथक कोशिशों के बाद लोगों में इस बारे में चेतना का काफी विस्तार हुआ है।
सूख गया अदवा बन्धा, पानी के लिये हाहाकार
Posted on 12 Jan, 2016 11:47 AM

मेजा से मिर्जापुर तक भयंकर अकाल, पशु-पक्षी, इंसान सब बेहाल

आखिर काम आये वही पुराने तालाब
Posted on 12 Jan, 2016 10:34 AM

मेजा के एक गाँव में 90 से अधिक तालाब



इलाहाबाद। कमजोर बारिश से इस साल खरीफ व रबी, दोनों सीजन में किसानों के लिये थोड़ा सा भी जल आशा की किरण नजर आ रहा है। पानी की कीमत क्या हो सकती है? इलाके में पानी का अतिभोग करने वाले किसानों को अब इसका ज्ञान हो रहा है।

यही नहीं जब इस साल पानी के तमाम स्रोत जवाब दे गए तो किसानों की नजर गाँव के पुराने, जर्जर तालाबों पर पड़ी। सूखे के संकट के समय भी तालाबों में पर्याप्त पानी देख गाँव वाले अचम्भित हुए।

कई वर्षों से किसी का भी ध्यान इन तालाबों की तरफ नहीं जा रहा था। किसानों ने पहली बार महसूस किया कि वास्तव में ये तालाब तो बड़े काम के हैं। ऐसे में जब चारों तरफ जल के तमाम स्रोत सूख रहे हैं, इस गाँव के तालाब जल ही जीवन है का अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
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