तालाबों के लिये संजीवनी बन सकती है केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की नई योजना
नोएडा, 2 मार्च। केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की नई योजना बर्बादी के कगार पर पहुँच चुके तालाब, पोखर के लिये संजीवनी साबित होगी। भले ही परम्परागत जलस्रोतों पर होने वाले अवैध कब्जे और मकान आदि पर बनाने की रोक कई सालों से लगी है। लेकिन आसमान छूती कीमतों और लालच के कारण लगातार तालाब, पोखर का दम घोटकर प्लाटिंग करने का सिलसिला जारी है। खासतौर पर गौतमबुद्ध नगर में तो गाँवों और कस्बों के तालाब तकरीबन खत्म होने के कगार पर पहुँच गए हैं। वहीं केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की नई नीति लुप्त हो रहे तालाब आदि को बचाने में अहम रोल अदा करेगी।
नई नीति के तहत तालाब और पोखरों को बचाने के लिये अब बड़ी कम्पनियाँ आगे आएँगी। जो तालाब और पोखर को गोद लेकर वहाँ बारिश के पानी को सिंचित करने के उपकरण लगाकर रखरखाव करेंगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस नीति से दो फायदे होंगे, पहला तालाब व पोखरों के दम घोटने की प्रक्रिया पर रोक लगेगी। वहीं लगातार नीचे जा रहे भूजल स्तर को भी रोकने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण ने जमीन के नीचे मौजूद पानी के स्तर को गिरने से रोकने के लिये फैक्टरियों की जिम्मेदारी तय कर दी है। इसके तहत एक फैक्टरी, साल भर में जितना पानी जमीन के नीचे से निकालेगी, जमीन के अन्दर उसके दो गुणे की वापसी भी करनी होगी। यानी अगर एक फैक्टरी साल भर में 1 लाख लीटर पानी जमीन से निकालकर इस्तेमाल करती है, तो उसे 2 लाख लीटर पानी जमीन में रिचार्ज करना होगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह केवल रेनवाटर हार्वेस्टिंग से ही सम्भव है। चूँकि जितने इलाके में फैक्टरी लगी होती है, वहाँ पर बारिश को दौरान मिलने वाले पानी को रिचार्ज कर भरपाई सम्भव नहीं है। इसलिये इस्तेमाल के मुकाबले रिचार्ज के अनुपात को बनाए रखने के लिये फैक्टरियों को गाँवों के तालाब आदि को गोद लेना पड़ेगा। गोद लेने वाले तालाब पर फैक्टरी की तरफ से रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा, जो बारिश के दौरान पानी वैज्ञानिक विधि से जमीन के नीचे पहुँचाएगा। रेनवाटर हार्वेस्टिंग के जरिए बारिश के दौरान जमीन के नीचे जाने वाले पानी की रिकॉर्डिंग पीजोमीटर (पानी का लेवल नापने वाला मीटर) से होगी। ।
जहाँ थे तालाब, वहाँ अब झुग्गी
नोएडा शहर पूरा बिसरख ब्लॉक में पड़ता है। नोएडा प्राधिकरण के अफसरों के अनुसार करीब 54 गाँव समेत अन्य इलाके इसमें शामिल हैं। वहीं गौतमबुद्ध नगर प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, नोएडा के गाँवों के ज्यादातर तालाब और पोखर अतिक्रमण की चपेट में हैं। कुछ जगह, जहाँ पर तालाब की जमीन खाली मैदान के रूप में बची है, वहाँ पर गाँव के दबंगों ने झुग्गी आदि डालकर किराए पर उठा रखी हैं। ।
फैक्टरियों के तालाब और पोखर को गोद लेकर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना गिरते भूजल को रोकने में खासा मददगार साबित होगा। ऐसी नीति को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ियों को जल संकट ना झेलना पड़े। एनपी सिंह, जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर।
भूजल का स्तर रोकने का एकमात्र विकल्प बारिश के दौरान बर्बाद होने वाले पानी से सम्भव है। केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की नीति का पूर्णतः पालन फैक्टरियों को करना होगा। तभी एनओसी आदि का रिन्युवल होगा। डॉक्टर बीबी अवस्थी, क्षेत्रीय अधिकारी यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
क्या है नीति
एक फैक्टरी, साल भर में जितना पानी जमीन के नीचे से निकालेगी, जमीन के अन्दर उसके दो गुणे की वापसी भी करनी होगी। यानी अगर एक फैक्टरी साल भर में 1 लाख लीटर पानी जमीन से निकालकर इस्तेमाल करती है, तो उसे 2 लाख लीटर पानी जमीन में रिचार्ज करना होगा।
बारिश की बूँदों से भरें जरूरतों का घड़ा
पानी को पैदा नहीं किया जा सकता है। लिहाजा बारिश के दौरान बर्बाद होने वाले पानी को जमीन के नीचे पहुँचाकर भरपाई सम्भव है। नई नीति के अनुसार बड़ी फैक्टरियों ने तालाबों को गोद लेकर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम शुरू कर दिया है। गौतमबुद्ध नगर के बिसरख और जेवर ब्लॉक भूजल के लिहाज से डार्क जोन (खतरनाक) स्थिति में पहुँच चुके हैं। यहाँ की फैक्टरियों ने केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की नई नीति का अनुपालन करने के लिये तालाब गोद लेकर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की पहल शुरू कर दी है। पहले चरण में ज्यादा पानी इस्तेमाल करने वाली फैक्टरियों को अनुपालन तय कर केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण को रिपोर्ट भेजनी होगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से हर साल होने वाली एनओसी रिन्युवल और प्राधिकार पत्र केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की मंजूरी के बाद जारी होगा। - दीपक जैन, रेनवाटर हार्वेस्टिंग और भूजल विशेषज्ञ
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