मिल रहा भरपूर पानी, लहलहा रहे खेत


सिंचाई के तरीकेउत्तर प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था न केवल ऐतिहासिक है, अपितु विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में से एक है। पूर्वी यमुना नहर वर्ष की सबसे बड़ी सिंचाई व्यवस्थाओं में से एक है। पूर्वी यमुना नहर वर्ष 1823 में, अपर गंगा नहर वर्ष 1854 में तथा वर्ष 1990 में निर्मित सकवा-डकवा डैम जैसी अनेक सिंचाई संरचनाएँ आज भी अपना कार्य कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार, राजकीय सिंचाई की सुविधा किसानों को मुफ्त उपलब्ध कराई गई तथा बारह लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा किसानों को उपलब्ध हो सकी। सरकार के प्रयासों के चलते वित्तीय वर्ष 2014-15 के अन्त तक सिंचाई साधनों के सुधार एवं सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण कार्यों पर लगभग 4,500 करोड़ रुपए उपयोग हो पाया, जबकि पूर्ववर्ती सरकार ने किसी भी वर्ष 2,600 करोड़ से अधिक व्यय नहीं किया। सिंचाई एवं बाड़ सुरक्षा की परियोजनाओं हेतु केन्द्र सरकार द्वारा धनराशि न देने के बाद भी राज्य सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से धन स्वीकृत करते हुए कार्य बाधित नहीं होने दिये, जो वर्तमान सरकार की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता का घोतक है। सिंचाई विभाग ने लगभग चार वर्षों में वह कार्य किये, जो अभी तक किसी ने नहीं किया। उदाहरण स्वरूप :-

सरयू नहर परियोजना


यह परियोजना विगत 32 वर्षों से क्रियाशील है। इस परियोजना से 09 जनपद क्रमश: बहराइच, श्रावस्ती एवं महाराजगंज लाभान्वित होंगे। 1982 में इसकी लागत 299 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 7,270 करोड़ वर्ष (वर्ष 2008 के आधार पर) हो चुकी है। 32 वर्षों में 2,844 करोड़ रुपए का व्यय तो किया गया, लेकिन वास्तव में नहरों में 1,400 गैप्स होने एवं 125 किमी लम्बी राप्ती नहर में एक इंच भी खुदाई न होने के कारण किसानों को सिंचाई का कोई लाभ नहीं मिला। समाजवादी सरकार के गठन के पश्चात मात्र 2 वर्षों में परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करते हुए 1,000 करोड़ रुपए व्यय कर लगभग 1,000 गैप्स पूर्ण करके और 103 किमी मुख्य नहर और 150 किमी रजवाहे/ अल्पिकाओं की खुदाई कर 6,000 हेक्टेयर सिंचन क्षमता में वृद्धि की गई।

बाणसागर नहर परियोजना


20 वर्ष पूर्व तत्समय इसकी लागत मात्र 330 करोड़ थी और वर्ष 2008 की दरों में यह लागत बढ़कर 3,148 करोड़ हो गई। इससे इलाहाबाद एवं मिर्जापुर जनपदों के किसान लाभान्वित होंगे। इस परियोजना पर पिछली सरकार के कार्यकाल में 1,270 करोड़ रुपए व्यय कर दिये गए, परन्तु किसानों को सिंचाई हेतु एक बूँद पानी भी नहीं मिला। समाजवादी सरकार के गठन के पश्चात 436 करोड़ रुपए व्यय करके 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण करा दिये गए हैं तथा इससे 50 हजार हेक्टेयर सिंचाई की सुविधा किसानों को दी गई है।

कनहर सिंचाई परियोजना


सोनभद्र के सूखाग्रस्त एवं पिछड़े क्षेत्र की यह परियोजना 33 वर्ष पूर्व जब प्रारम्भ हुई थी, तब इसकी लागत मात्र 27 करोड़ थी। समाजवादी सरकार के आने से पूर्व यह परियोजना शिथिल अवस्था में थी। समाजवादी सरकार के बनते ही परियोजना के क्रियान्वयन हेतु विभाग द्वारा न केवल उक्त परियोजना को नाबार्ड से स्वीकृत कराया गया, अपितु इस योजना के सभी मुद्दे सुलझाए गए और चालू वित्तीय वर्ष में 195 करोड़ रुपए व्यय करके इसको गति भी दी गई। सरकार द्वारा योजना से प्रभावित कृषकों के पुनर्वास हेतु धनराशी तत्काल स्वीकृत की गई।

बदायूँ सिंचाई परियोजना


बदायूं एवं बरेली के कृषकों को 3700 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा देने के लिये गत सरकार में बिना वित्तीय संसाधन जुटाए ठेके दे दिये गए। समाजवादी सरकार द्वारा नाबार्ड से परियोजना हेतु 537 करोड़ रुपए स्वीकृत कराके गत दो वर्षों में 300 करोड़ रुपए व्यय किये गए तथा शीघ्र ही परियोजना पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

जनपद आजमगढ़ की नहर प्रणाली का पुनरोद्धार


शारदा सहायक फीडर प्रणाली से आजमगढ़ जनपद की नहरों की टेलों तक पानी न पहुँच पाने के कारण मुख्यमंत्री की घोषणानुसार 108 करोड़ रुपए की कार्य योजना स्वीकृत कर नहरों के पुनरोद्धार के कार्य तत्काल प्रारम्भ कर दिये गए हैं। उक्त परियोजना के अन्तर्गत दरियाबाद, सुल्तानपुर, फैजाबाद, टाण्डा, दोहरीघाट, निजामाबाद, शाहगंज, लालगंज तथा शानगंज आदि 144 नहरों पर 960 किमी लम्बाई में कार्य किये जाने हैं। नहरों के पुनरोद्धार सम्बन्धी इन कार्यों से बाराबंकी, फैजाबाद, सुल्तानपुर, आजमगढ़ आदि जनपदों में सिंचाई हेतु पर्याप्त जल सुलभ होगा तथा आजमगढ़ में टेल तक लगातार पानी पहुँच सकेगा, जिससे कृषकों को खरीफ से ही भरपूर पानी मिलने लगेगा।

जनपद मैनपुरी में सिंचाई सुविधा


जनपद मैनपुरी में रुपए 30 करोड़ की लागत से बरनाहल नवीन नहर का निर्माण कराया जा रहा है तथा मैनपुरी में ही पहले से निर्मित बदनपुर नहर के सुदृढ़ीकरण एवं इसकी लम्बाई 18 किमी और आगे बढ़ाने का कार्य भी कराया जा रहा है, ताकि मैनपुरी की जनता को सिंचाई की पर्याप्त सुविधा प्राप्त हो सके।

कन्नौज के डार्क जोन में आने वाले दो विकास खण्डों में सिंचाई की सुविधा


मुख्यमंत्री की घोषणा के अन्तर्गत जनपद कन्नौज के तालगाँम एवं जलालाबाद ब्लाक, जो डार्कजोन में आ गए हैं, में सतही सिंचाई परियोजना के अन्तर्गत बेवर नहर से लगभग 30 किमी लम्बाई की नहर के निर्माण का निर्णय लिया गया है और इसके लिये 244 करोड़ रुपए की परियोजना बनाकर कार्यवाही की जा रही है। इस परियोजना के क्रियान्वयन से उक्त ब्लाकों में भूजल स्तर रिचार्ज होगा तथा कृषकों को सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी।

जनपद रामपुर हेतु नया बैराज बनाकर सिंचाई की व्यवस्था


जनपद रामपुर में कोसी नदी पर लालपुर वियर के डाउनस्ट्रीम में नया बैराज बनाकर 216 करोड़ रुपए की लागत से सिंचाई परियोजना का निर्माण कराया जा रहा है।

गण्डक नहर प्रणाली के पुनरोद्धार की परियोजना


कई वर्षों से गण्डक नहर प्रणाली का पुनरोद्धार न होने के कारण इसकी क्षमता उत्तर प्रदेश में 15,800 क्यूसेक से घटकर 10,000 क्यूसेक रह गई थी। इस नहर प्रणाली का पुनरोद्धार करा देने से नहर मूल क्षमता से चल पाएगी, जिससे जनपद महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर जनपदों में पर्याप्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। परियोजना पर नाबार्ड से 243 करोड़ रुपए की लागत अनुमोदित कराने के बाद युद्धस्तर से कार्य कराया जा रहा है।

यूपी वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना


समाजवादी सरकार के गठन के पश्चात प्रदेश के 16 जनपदों बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी, ललितपुर, एटा, फिरोजाबाद, कासगंज, मैनपुरी, फर्रूखाबाद, इटावा, कन्नौज, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, फतेहपुर तथा कौशाम्बी में निचली गंगा नहर प्रणाली के सुदृढ़ीकरण हेतु विश्व बैंक से न केवल परियोजना की स्वीकृति कराई गई, बल्कि मौके पर 700 करोड़ रुपए व्यय करके कार्य भी कराए गए हैं। कार्य उपरान्त निचली गंगा नहर प्रणाली में 2,100 क्यूसेक पानी छोड़ा गया तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र के ललितपुर जनपद के अन्तर्गत रोहिणी, जामनी एवं सजनम बाँध नहर प्रणालियों के आधुनिकीकरण एवं पुनरोद्धार कार्य प्रगति पर हैं।

सूचना प्रणाली संगठन


सिंचाई विभाग के समस्त कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण कर सूचना तकनीकी से सुसज्जित किया गया है तथा इसे लखनऊ स्थित मुख्यालय स्तर पर कमाण्ड सेंटर से जोड़ा गया है, जिससे परियोजनाओं के संचालन एवं प्रगति का अनुसरण किया जाता है। समस्त कृषकों से सीधे संवाद एवं समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु हेल्प लाइन टोल फ्री नम्बर 1800-180-5450 सुविधा दी गई है। सरकार ने विभाग में इसे और गति देने के लिये अगल से आईटी कैडर बनाने का निर्णय लिया है।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र की सिंचाई परियोजनाएँ


पूर्व सरकार ने अपने कार्यकाल में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 3083 करोड़ रुपए की लागत की परियोजनाएँ, जो चार वर्षों में पूर्ण होनी थी, के अनुबन्ध तो गठित कर दिये, पर आवंटन सिर्फ 1300 करोड़ रुपए का ही किया। वर्तमान सरकार ने आते ही इन अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने कर बीड़ा उठाया तथा गत 3 वर्षों में 1,237 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए, जिससे तेरह अधूरी सिंचाई परियोजनाओं में से वर्तमान सरकार द्वारा चार परियोजनाएँ आगामी दो वर्षों में पूर्ण कर ली जाएगी।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जनता को पीने के पानी की सुविधा शीघ्र ही उपलब्ध कराई जाएगी। इस पर कार्य चल रहा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पूर्व निर्मित बाँधों के विस्थापित परिवारों के पुनर्वास हेतु रुपए 125 करोड़ की योजनाएँ स्वीकृत की गई।

अर्जुन सहायक सिंचाई परियोजना


बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनपद हमीरपुर, महोबा एवं बांदा में अर्जुन सहायक परियोजना, जो वर्ष 2009-10 से निर्माणधीन है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 807 करोड़ रुपए है। इस परियोजना पर मार्च, 2014 तक 597 करोड़ रुपए व्यय किये जा चुके हैं। यह परियोजना भी शीघ्र पूर्ण कर ली जाएगी।

एरच बहुउद्देशीय परियोजना


जनपद झांसी में एरच के पास बेतवा नदी पर नया बैराज बनाकर 612 करोड़ रुपए की एक बहुउद्देशीय परियोजना बनाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस परियोजना के पूर्ण होने से पीने के पानी की सुविधा के साथ-साथ सिंचाई की सुविधा भी होगी तथा इस परियोजना से बिजली का उत्पादन भी किया जा सकेगा।

जल संरक्षण के लिये बन्धियों एवं तालाबों का सुदृढ़ीकरण


विगत वर्षों में भूमि के अन्दर के पानी का लगातार दोहन करने से भूगर्भ जल का स्तर लगातार घट रहा है, जिससे प्रदेश में अधिकांश क्षेत्र डार्क जोन में आ गए हैं। इसमें बुन्देलखण्ड के जालौन, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, झाँसी, बांदा आदि क्षेत्रों के साथ-साथ जनपद बरेली, बिजनौर, चन्दौली के क्षेत्रों में भी ऐसी समस्या उत्पन्न हो रही है। ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित करते हुए वर्षा जल संचयन हेतु 116 बड़े-बड़े तालाबों के पुनरोद्धार करने की परियोजना तैयार कर ली गई है। इन कार्यों से भूमि के गिरते जलस्तर में व्यापक सुधार व जैविक विकास में भी सहायता प्राप्त होगी।

सिंचाई यांत्रिक विभाग की उपलब्धियाँ


प्रदेश में यद्यपि 31,000 राजकीय नलकूपों का नेटवर्क है, फिर भी यह अपर्याप्त है। समाजवादी सरकार द्वारा गत 2 वर्षों में 2,828 नए राजकीय नलकूपों, 551 नलकूपों को पुनर्निर्माण, 4,528 नलकूपों का आधुनिकीकरण तथा 1968 नलकूपों का ऊर्जीकरण कराया गया। जनपद चन्दौली में 50 क्यूसेक क्षमता की धनकुँआरी पम्प नहर के निर्माण का कार्य सरकार ने पूर्ण करा दिया है, जिसमें 1936 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचन क्षमता का सृजन हुआ है। प्रदेश में पहली बार राजकीय नलकूपों को सौर ऊर्जा से चलाने हेतु कुछ पाइलेट प्रोजेक्ट्स बनवाए जा रहे हैं। शीघ्र ही इन पर कार्य शुरू होगा।

बाढ़ नियंत्रण


प्रतिवर्ष प्रदेश में लगभग 34 जनपद बाढ़ से प्रभावित होते हैं और पिछले 65 वर्षों में प्रदेश का 1/3 बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ही बाढ़ से सुरक्षित हो पाया है। बाढ़ की परियोजनाओं को वित्त पोषण हेतु विशेष रूप से राज्य सरकार/ नाबार्ड के माध्यम से ही संसाधन जुटाए गए, लेकिन पिछले तीन वर्षों में केन्द्र सरकार से प्राविधानित धनराशि के सापेक्ष कभी भी पन्द्रह प्रतिशत से ऊपर धनराशि नहीं मिल पाई। सीमित संसाधनों के होने के बावजूद राज्य से संसाधन जुटाकर सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि अतिसंवेदनशील/संवेदनशील बाँध सुरक्षित रहें। प्रदेश में विशेष रूप से पूर्वांचल की नदियों का उद्गम स्थल नेपाल राष्ट्र में है, इस कारण नेपाल के अधिकारियों से वार्ता कर बाढ़ का पूर्वानुमान करने हेतु एक सॉफ्टवेयर बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है, ताकि बाढ़ आने से पूर्व ही उसकी जानकारी मिल सकें।

समादेश क्षेत्र विकास एवं जल प्रबन्धन


उत्तर प्रदेश में गूलों का एक व्यापक नेटवर्क है। यह विभाग अभी तक उपेक्षित था। हमारी सरकार ने निर्णय लेकर इसे सिंचाई से जोड़ा, क्योंकि सरकार की प्रतिबद्धता है कि नहरों का पानी खेत तक पहुँचे।

गंगा पुनर्जीवित योजना


गंगा एवं यमुना नदी पर अविरल निर्मल धारा बनाए रखने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा पिछले 11 वर्षों से हजारों करोड़ रुपए धनराशि खर्च की गई। यह चिन्ता का विषय है कि कई हजार करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद भी हिंडन नदी के मुहाने पर यमुना नदी में बीओडी स्तर के ऊपर पाया गया है, लेकिन केन्द्र स्तर पर पिछले 10-11 वर्षों में कभी भी नदियों में पानी बढ़ाने की कोई योजना नहीं बनाई गई।

विभागीय अधिकारियों से वार्ता करके गंगा के उत्तर प्रदेश में बहने वाले भाग यमुना नदी, कानी (पूर्व व पश्चिम), मालिन नदी रामगंगा, गोमती एवं सई आदि नदियों के पूरे कैचमेंट एरिया का सर्वे कराकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक नई कार्य योजना बनाई गई है। सिंचाई मंत्री ने विभाग के अधिकारियों से अपेक्षा की है कि इस कार्य योजना पर आईआईटी रुड़की से मिलकर मत प्राप्त कर लें।

इस परियोजना के अन्तर्गत जल संवर्धन के लिये आधुनिक स्ट्रक्चर बनाने की कार्य योजना बनाई गई है। आईआईटी रुड़की का मत प्राप्त होने पर इसके वित्त पोषण हेतु सुसंगत संस्थानों से अनुरोध कर अग्रेत्तर कार्यवाही की जाएगी।

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