टीकमगढ़ जिला

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गागर में सिमटते सागर
Posted on 16 Oct, 2010 09:48 AM
सरकार संसद में बता चुकी है कि देश की 11 फीसदी आबादी साफ पेयजल से महरूम है। जबकि कुछ दशक पहले लोग स्थानीय स्रोतों की मदद से ही पीने और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी जुटाते थे। एक दौर आया जब अंधाधुंध नलकूप लगाए जाने लगे। जब तक संभलते तब तक भूगर्भ का कोटा साफ हो चुका था। एक बार फिर लोगों को पुराने जल-स्रोतों की ओर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन पीढ़ियों का अंतर सामने खड़ा है। पारंपरि
drinking water
बुन्देलखण्ड की नदियाँ
Posted on 16 Feb, 2010 07:56 AM

बुन्देलखण्ड का पठारी भाग मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में 2406’ से 24022’ उत्तरी अक्षांश तथा 77051’ पूर्वी देशांतर से 80020’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। इस पठार के अन्तर्गत छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर और भिण्ड जिलों के कुछ भाग आते हैं। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल 23,733 वर्ग किलोमीटर का 5.4 प्रतिशत है। इसके पूर्वोत्तर में उत्तर प्रदेशीय बुन्देलखण्ड के जालौन, झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर और बाँदा, महोबा, चित्रकूट जिले हैं।

बुन्देलखण्ड का पठार प्रीकेम्बियन युग का है। पत्थर ज्वालामुखी पर्तदार और रवेदार चट्टानों से बना है। इसमें नीस और ग्रेनाइट की अधिकता पायी जाती है। इस पठार की समुद्र तल से ऊँचाई 150 मीटर उत्तर में और दक्षिण में 400 मीटर है। छोटी पहाड़ियाँ भी इस क्षेत्र में है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर है।

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शैल सागर का पानी प्रदूषित
Posted on 30 Jan, 2009 07:16 PM

राज एक्सप्रेस/ टीकमगढ। शैल सागर से अब से तेज दुर्गंध के झोंके उठ रहे हैं। यहां इस तरह सडांध का वातावरण है कि नाक पर कपडा रखे बिना नही रहा जा सकता लोग घरों के बाहर शाम को नहीं बैठ सकते घरों के अंदर भी सुंगधित अगरबत्तियां जला कर तथा सुंगधित द्रव्यों का छिडकाव करने के बाद ही चैन की सांस ले पा रहे हैं। इस बारे में लोगों ने जब नगरपालिका में शिकायत की तो बताया गया कि शैल सागर का पानी सडने से यह स्थित

पर्यावरण सुरक्षा
Posted on 19 Sep, 2008 02:28 PM

सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों में संभवत: यह सबसे मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि यह मुद्दा इतना सरल नहीं है, जितना दिखता है। टिकाऊ पर्यावरण के बारे में जिस अवधारणा के साथ लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है, सिर्फ उस अवधारणा के अनुकूल परिस्थितियां ही तय सीमा में तैयार हो जाए, तो उपलब्धि ही मानी जाएगी।

environment
बुंदेलखंड : विकास से कोसों दूर
Posted on 14 Apr, 2010 08:54 AM मध्य प्रदेश के छतरपुर, दमोह, दतिया, पन्ना, सागर, टीकमगढ़ एवं उत्तर प्रदेश के बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, झांसी, जालौन, ललितपुर महोबा जिलों को बुंदेलखंड में गिना जाता है। यह क्षेत्र भारत के सर्वाधिक पिछड़े इलाकों में से एक है। काफी अरसे से बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाए जाने की मांग उठाई जाती रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस क्षेत्र को मिले प्रतिनिधित्व ने इस संभावना को और ज्यादा बल दिया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना पर एक जमीनी अध्ययन
Posted on 04 Apr, 2010 12:33 PM आज से चार वर्ष पूर्व जबकि देश भर में रोजगार यात्रायें निकल रहीं थीं, उस समय इन यात्राओं में एक गीत गाया जाता था, जिसके बोल हैं ‘‘मेरे लिये काम नहीं’’। अंततः वर्ष 2005 में रोजगार गारंटी कानून आ गया और देश भर में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल भर में 100 दिन के काम की गारंटी मिली।
बुंदेलखंड : पैकेज नहीं, नई सोच चाहिए
Posted on 18 Oct, 2009 06:10 PM यही विडंबना है कि राजनेता प्रकृति की इस नियति को नजरअंदाज करते हैं कि बुंदेलख
Bundelkhand
बारिश के दिनों की संख्या घटी: कैसे होगा सूखे का सामना
Posted on 03 Sep, 2009 12:25 PM
बुंदेलखंड में अकाल और सूखे के घाव गहरे होते जा रहे हैं. जीवन की संभावनाएं क्रमशः कम होती जा रही हैं. लोग बड़ी उम्मीद से आसमान में टकटकी लगाए देख रहे हैं लेकिन साल दर साल बादल धोखा दे कर निकल जा रहे हैं. पिछले 10 सालों में बारिश के दिनों की संख्या 52 से घट कर 23 पर आ गई है.
बुंदेलखंड मे सूखे की आशंका
Posted on 02 Aug, 2009 09:19 AM
छतरपुर। भारी बारिश से प्रदेश के कई अंचल तबाह हैं, वहीं बुंदेलखंड में मौसम की बेरूखी से सूखे की स्थिति निर्मित होने लगी है। लोगों को अभी से गर्मी में होने वाले भीषण जलसंकट की चिंता सताने लगी है। अपर्याप्त बारिश से बुंदेलखंड की धरती की प्यास नहीं बुझी है। बुंदेलखंड में आने वाले सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और दमोह जिले में अभी तक औसत से एक चौथाई बारिश भी नहीं हुई है, जबकि क्षेत्र में सामान्य रूप से
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