जगदीश प्रसाद रावत

जगदीश प्रसाद रावत
किलकिला नदी का उद्गम पन्ना जिले की बहेरा के निकट छापर टेक पहाड़ी से हुआ
Posted on 31 Mar, 2012 09:38 AM

चोंपड़ा मंदिर वह पुरातन स्थल है जहाँ महाराजा छत्रसाल जी ने प्राणनाथ जी को पूर्ण ब्रह्मस्वरूप मानकर किलकिला नदी क

चम्बल
Posted on 28 Jul, 2011 09:05 AM
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विन्ध्य के जल प्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:20 PM

रीवा जलप्रपातों की मनोरम भूमि है। सच कहा जाए तो समूचा विन्ध्य निर्मल निर्झरणों, सुरम्य जल-प्रपातों और नाना प्रकार की नदियों के बाहु पाशु में आलिंगनबद्ध है। अतीत को अपने मानस पटल में छिपाये धार्मिक, पौराणिक एवं स्वतंत्रता संग्राम के महत्व के यह नयनाभिराम और प्राकृतिक सौन्दर्य के खजाने विन्ध्य की उपत्यकाओं में विद्यमान हैं।

कदाचित देश में रीवा एक ऐसा स्थान है जहाँ एक ही जगह पाँच जलप्रपात हैं। रीवा-पन्ना पठार के उत्तरी छोर पर स्थित चचाई, क्योंटी, पुरवा, बैलोही, बहुती और पाण्डव आदि प्रपातों की स्थिति संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की प्रसिद्ध प्रपातपंक्ति नियाग्रा के समान ही महत्वपूर्ण है। उपरोक्त पाँच जलप्रपातों में चार रीवा एवं एक पन्ना जिले में स्थित है। इसके अलावा शहडोल अमरकंटक का ‘कपिल धारा’, छतरपुर केन नदी पर स्थित ‘रनेह जल प्रपात’ टीकमगढ़ में कुण्डेश्वर के निकट जमड़ार नदी पर ‘कुण्डेश्वर जल-प्रपात’ एवं दतिया जिला में स्योढ़ा प्रसिद्ध है।

बुन्देलखण्ड की नदियाँ
Posted on 16 Feb, 2010 07:56 AM

बुन्देलखण्ड का पठारी भाग मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में 2406’ से 24022’ उत्तरी अक्षांश तथा 77051’ पूर्वी देशांतर से 80020’ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। इस पठार के अन्तर्गत छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर और भिण्ड जिलों के कुछ भाग आते हैं। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल 23,733 वर्ग किलोमीटर का 5.4 प्रतिशत है। इसके पूर्वोत्तर में उत्तर प्रदेशीय बुन्देलखण्ड के जालौन, झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर और बाँदा, महोबा, चित्रकूट जिले हैं।

बुन्देलखण्ड का पठार प्रीकेम्बियन युग का है। पत्थर ज्वालामुखी पर्तदार और रवेदार चट्टानों से बना है। इसमें नीस और ग्रेनाइट की अधिकता पायी जाती है। इस पठार की समुद्र तल से ऊँचाई 150 मीटर उत्तर में और दक्षिण में 400 मीटर है। छोटी पहाड़ियाँ भी इस क्षेत्र में है। इसका ढाल दक्षिण से उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर है।

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बेलोही जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:31 PM
यह प्रपात हनुमना तहसील में गोरमा नदी पर है तथा हनुमना कस्बा से 15 किलोमीटर की दूरी पर बिल्कुल मैदानी भूमि में स्थित है। इसकी ऊँचाई 334 फुट है। गोरमा नदी, गोयला, नामक काया की एक गली से जन्म लेती है जो आगे चलकर 40 किलोमीटर की दूरी तय कर बैलोही जल प्रपात में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रपात को स्थानीय बघेली बोली में छोड़ का कूड़ा भी कहते हैं।
पुरवा जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:29 PM
जल राशि की सुन्दर कलाकृति और मधुर संगीत उत्पन्न करने वाला, आत्मा को आनंद और मन को शांति प्रदान करने वाला, वृक्षों की हरीतिमा से घिरा हुआ रीवा से 48 किलोमीटर दूर सिरमौर तहसील में स्थित पुरवा एक अवलोकनीय जलप्रपात है।
बहुत जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:27 PM
रीवा से 85 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व की ओर मऊगंज तहसील में बहुत प्रपात स्थित है। ओड्डा नदी, सीतापुर से निकलकर 40 किलोमीटर दूरी के बाद मऊगंज से 15 किलोमीटर दूर बहुत ग्राम के निकट, बहुत जलप्रपात का निर्माण करती है। इस प्रपात की गहराई 465 फुट हैं। इसे रीवा जिले का सबसे गहरा प्रपात होने का गौरव प्राप्त हुआ है। बहुती ग्राम के दो किलोमीटर पहले उत्तर दिशा को बहने वाली ओड्डा नदी अर्द्धचन्द्राकार होकर पूर्व
चचाई जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:23 PM
रीवा से उत्तर की ओर 45 कि.मी. सिरमौर तहसील में बीहर नदी द्वारा निर्मित चचाई एक खूबसूरत एवं आकर्षक जलप्रपात है, जो 115 मीटर गहरा एवं 175 मीटर चौड़ा है। बीहर नदी के एक मनोरम घाटी में गिरने से यह प्रपात बनता है। यह एक प्राकृतिक एवं गोलाकार जल प्रपात है।
विन्ध्याचल
Posted on 22 Feb, 2010 10:44 AM

विन्ध्य का पठार- मालवा पठार के उत्तर में तथा बुन्देलखण्ड पठार के दक्षिण में विन्ध्य का पठारी प्रदेश स्थित है। इस प्रदेश के अन्तर्गत प्राकृतिक रूप से रीवा, सतना, पन्ना, दमोह, सागर जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 31,954 किलोमीटर है। विन्ध्य शैल समूह के मध्य (आधा महाकल्प) आर्कियन युग की ग्रेनाइट का प्रदेश टीकमगढ़, पश्चिमी छतरपुर, पूर्वी शिवपुरी और दतिया में पड़ता है।

जामनेर
Posted on 22 Feb, 2010 10:39 AM

इस नदी का प्राचीन पौराणिक नाम जाम्बुला है। यह बेतवा की सहायक नदी है। जामनेर की सहायक नदी यमदृष्टा है। जो आजकल जमड़ार नाम से जानी जाती है। जमड़ार नदी टीकमगढ़ से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित कुण्डेश्वर शिवतीर्थ से गुजरती है। कुण्डेश्वर इस क्षेत्र की आस्था का केन्द्र है जो समुद्र तल से 1255 फुट की ऊँचाई पर स्थित ‘शिवपुरी’ नाम से भी जाना जाता है।

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