टीकमगढ़ जिला

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गाँव सरकार, सबसे निकम्मी
Posted on 28 Mar, 2016 11:31 AM


पंचायत राज दिवस यानि 24 अप्रैल 2016 को ‘ग्रामोदय से भारत उदय अभियान’ का नारा दिया गया। झारखण्ड के जमशेदपुर के जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाँव पंचायतों को खुद अपनी योजना बनाने और लागू करने को ललकारा। पीएम ने दिल्ली की संसद से बड़ी गाँव की ग्रामसभा को बताते हुए कहा कि अब गाँवों के लिये अलग बजट आता है इसलिये गाँवों के लिये पैसों की कमी नहीं है।

केन्द्र सरकार की ‘ग्रामोदय से भारत उदय’ अभियान के तहत संकल्पना है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के साथ ही ‘गाँव सरकार’ का चेहरा सबको दिखने लगे यानि उनके अधिकार को और स्पष्ट किया जाये। जिससे गाँव सरकार अपने निर्णय खुद करने लगें।

बुन्देलखण्ड-कपिलधारा कुओं में बड़ा घोटाला
Posted on 20 Dec, 2015 04:19 PM
कागज़ों में कुआँ खोदने के इस भ्रष्टाचार में ग्राम पंचायत के
तो नदियों को जोड़ो तालाबों से
Posted on 30 Sep, 2014 10:27 AM दो खबरें- देश की पहली नदी जोड़ योजना बुंदेलखंड में ही होगी, यहां केन और बेतवा को जोड़ा जाएगा। इस पर 10 हजार करोड़ का खर्चा अनुमानित है। दूसरी खबर-बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले में बराना के चंदेलकालीन तालाब को जामनी नदी से नहर द्वारा जोड़ा जाएगा। इस पर 15 करोड़ रुपए खर्च होंगे और 18 गांव के किसान इससे लाभान्वित होंगे।

यह किसी से छिपा नहीं हैं कि देश की सभी बड़ी परियोजनाएं कभी भी समय पर पूरी होती नहीं हैं, उनकी लागत बढ़ती जाती है और जब तक वे पूरी होती है, उनका लाभ, व्यय की तुलना में गौण हो जाता है। यह भी तथ्य है कि तालाबों को बचाना, उनको पुनर्जीवित करना अब अनिवार्य हो गया है और यह कार्य बेहद कम लागत का है और इसके लाभ अफरात हैं।
<i>नदी जोड़ परियोजना से संकट में टीकमगढ़ के तालाब</i>
देश की पहली नदी-तालाब जोड़ो परियोजना बुंदेलखंड में
Posted on 22 Jun, 2012 01:19 PM भोपाल, देश में पहली बार नदी-तालाब जोड़ों परियोजना टीकमगढ़ जिले में क्रियान्वित की जा रही है। बुंदेलखंड पैकेज में हरपुरा सिंचाई और नदी-तालाब जोड़ो परियोजना का काम शुरू किया गया है। इस परियोजना से 1980 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के साथ-साथ एक हजार साल पुराने ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों को भी नया जीवन मिलेगा। बुंदेलखंड अंचल की टीकमगढ़ जिला धसान और जामनी नदी के बीच बसा है। यहां अ
कुख्यात चंबल घाटी होगी विख्यात
Posted on 05 Jul, 2011 10:02 AM

बीहड़ की ऐसी बलखाती वादियां समूची पृथ्वी पर अन्यत्र कहीं नहीं देखी जा सकतीं हैं। अटेर का अपना ए

बुंदेलखंड के संकट की वजह
Posted on 18 Jun, 2011 08:54 AM

हाल के वर्षों में बुंदेलखंड क्षेत्र बार-बार सूखे की विकट स्थिति, भूख व गरीबी की भीषण मार के कारण चर्चित हुआ है। कभी भूख से होने वाली मौतों के समाचार सुर्खियों में रहे तो कभी किसानों की आत्म-हत्याओं के। सूखे के चरम दौर में अनेक गांवों में पशुधन इतना कम हो गया है कि इसकी क्षतिपूर्ति हो पाना बहुत कठिन है। पलायन जीवन का अनिवार्य हिस्सा हो गया है। किसानों पर कर्ज का दबाव इतना है कि भविष्य अंधकारमय न

पैकेज को पलीता
Posted on 02 Jun, 2011 10:15 AM केस नंबर 1- टीकमगढ़ जिले के बलदेवगढ़ विकासखंड का ग्राम खरो। एक आदिवासी ने बदहाली से तंग आकर अपनी पत्नी और दो बच्चों को मारने के बाद खुदकुशी कर ली। उसके पास जॉब कार्ड तक नहीं था।
बुंदेलखंड में पानी के लिए जा रही लोगों की जान
Posted on 26 Apr, 2011 02:43 PM

छत्रसाल की इस वीर भूमि पर पहले ताकत के लिए खून बहता था। पर अब पानी के लिए खून बहना शुरू हो गया

water crisis
दम तोड़ते तालाब और कुएं ही आस
Posted on 20 Apr, 2011 12:48 PM

बुंदेलखंड के आधे हिस्से की एक तिहाई आबादी का पलायन


खजुराहो का 1200 साल पुराना कुंआ आज भी दे रहा पानी।खजुराहो का 1200 साल पुराना कुंआ आज भी दे रहा पानी।झांसी/टीकमगढ़, 19 अप्रैल। पानी के संकट के कारण आधे बुंदेलखंड की एक तिहाई से ज्यादा आबादी का पलायन हो चुका है अब यह और तेज होता जा रहा है। बुंदेलखंड के कुछ जिलों के गांवों में पहुँचने पर हर तीसरा-चौथा घर बंद मिला। बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैला हुआ है जिनमे हमीरपुर, जालौन, महोबा, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, सागर, दतिया और दमोह जैसे जिले शामिल हैं।
बुंदेलखंड में अनियंत्रित खनन
Posted on 04 Apr, 2011 11:47 AM विगत फरवरी में मैं मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के टीकमगढ़ जिले में ओरछा के पास प्रतापपुरा गाँव में ग्रेनाइट की खदानों के पास सर्वेक्षण कर रहा था। उस दिन मैंने जो खदान की गहरे तथा पत्थरो के निष्कासन की प्रक्रिया देखी उससे अत्यंत व्यथित हुआ। पहाड़ की ऊंचाई से भी कई गुना गहरे गढ़े बना कर पूरा पत्थर निकाला जा रहा है। उन गड्ढों को न तो भरने का प्राविधान
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