Posted on 11 Jun, 2013 12:48 PMएकदिन मेरे गांव पाकुड में भी आया विकास साथ लाया एक लंबी काली-सर्पीली सड़क खास जो बांट गई पानी पाट गई पोखर लील गई खेत बना गई हमें कामचोर।
फिर आये कतार दर कतार ट्रक ही ट्रक सिखा गए बेईमानी बना गए कोयला ढोर।
अब हर रोज रहता है मुझे इनका इंतजार मैं इन्हें रोक लूट लेता हूं थोड़ा थोड़ा कोयला
Posted on 10 Jun, 2013 02:25 PMराजधानी रांची से लगभग 35 किमी दूर बुढ़मू पंचायत के कोटारी गांव में सरयू मुंडा की जमीन पर मनरेगा से कुआं बन रहा है। इस कुआं के बन जाने से कम से कम एक एकड़ जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। युवा सरयू, जो खुद भी मनरेगा श्रमिक हैं, इन दिनों दूसरे श्रमिकों के साथ पूरे उत्साह से कुआं की खुदाई में जुटे हैं। उनके चेहरे पर संतोष का भी भाव है और पैसों के विलंब से भुगतान होने से उत्पन्न चिंता भी। लेकिन,
Posted on 09 Jun, 2013 11:53 AMरांची से सटे ओरमांझी के दूबराज महतो ऐसे किसान हैं, जिनके पास न खेती के लायक पर्याप्त जमीन है और न ही खेती से जुड़ी अत्याधुनिक जानकारी। दूबराज नेशनल हाइवे 33 के किनारे स्थित किराये की छह एकड़ जमीन पर सब्जियों की खेती करते हैं। इनमें से दो-ढाई एकड़ भूमि ऐसी है, जो तीन-चार साल पहले तक टांड़ हुआ करती थी। दूबराज ने उसे अपनी लगन-मेहनत से समतल व उर्वर बनाया। भू-स्वामी को वे प्रति एकड़ की दर से तीन से चार
Posted on 04 Jun, 2013 11:03 AMमनरेगा में किस कदर धांधली की जा रही है, यह पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड, केंदुआ पंचायत के वनपोखरिया में देखी जा सकती है। पैक्स-मनरेगा के पलैगशिप प्रोग्राम के तहत झारखंड के 10 जिलों में मनरेगा का सोशल ऑडिट कराया जा रहा है। राषट्रीय स्तर की गैर स्वयंसेवी संस्था एफिकोर एवं भारतीय ज्ञान-विज्ञान समिति द्वारा केंदुआ प्रखंड के अंतर्गत मनरेगा योजनाओं की सोशल ऑडिट पर जन-सुनवाई की गयी। यह जन-सुनवाई केंदुआ
Posted on 31 May, 2013 03:54 PMबिरसा कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों ने छह फसलों की नौ नयी किस्मों को विकसित किया है। इसे झारखंड राज्य बीज उप समिति ने मंजूरी भी दे दी है। अब इसे केंद्र की स्वीकृति व अधिसूचना जारी किये जाने का इंतजार भर है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के उपायुक्त (गुणवत्ता नियंत्रण) सह सचिव, केंद्रीय बीज समिति, नयी दिल्ली की मंजूरी मिलते ही इन प्रजातियों के बीज उत्पादन का कार्यक्रम खरीफ एवं रबी मौसम में शुरू कर दि
Posted on 31 May, 2013 01:01 PMबिरसु उरांव की जमीन एक साथ नहीं है। छोटी-छोटी क्यारी अलग-अलग जगहों पर है। इसलिए उन्होंने खेती की शुरुआत दूसरे की जमीन पर की। उस साल फसल इतनी अच्छी हुई की अन्य किसान भी उनकी तरक्की देख कृषि पर ध्यान देने लगे। उन्हें श्री विधि से खेती के लिए मुख्यमंत्री से पुरस्कार भी मिल चुका है। बिरसु टमाटर की खेती के लिए भी पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। वे खेत पर ही छोटी-सी कुटिया बनाकर पत्नी के साथ रहते हैं, ताक
Posted on 09 Oct, 2012 12:10 PMझारखंड में निर्मल भारत अभियान के तहत न केवल ग्रामीण परिवेश को स्वच्छ बनाया जा रहा है, बल्कि पंचायती राज व्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की जा रही है। इसके तहत गांवों में स्वच्छता सुविधाओं का विकास ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के माध्यम से किया जा रहा है। झारखंड में 32 वर्षों के बाद पंचायत राज की स्थापना हुई है। राज्य में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति में मुखिया को अध्यक्ष बनाकर पंचायती राज व्यवस्थ