बेड़ो पंचायत में दूर हुई पानी की दिक्कत

प्रेरणादायी है बेड़ो ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति


हर राजस्व ग्राम के स्तर पर एक ‘ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)’ गठित की गयी है। इसका गठन पंचायती राज अधिनियम के संवैधानिक प्रावधानों के तहत किया गया है। 12 सदस्यीय इस समिति के अध्यक्ष मुखिया होते हैं। इसमें 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं होती हैं। ग्रामीणों से चयनित एक महिला सदस्य समिति की उपाध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष होती हैं। इसे जल सहिया कहा जाता है।

समिति के गठन का उद्देश्य जल एवं स्वच्छता कार्यक्रमों का विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन करना है। यह समिति भारत सरकार की प्रमुख योजना निर्मल भारत अभियान एवं राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की आधारशिला भी है। ऐसे में समिति का महत्व एवं प्रभावकारिता इस बात में निहित है कि वह कार्यक्रमों का प्रबंधन एवं जन भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चिात करती है। इस मामले में रांची जिले की बेड़ो ग्राम पंचायत की ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति नायाब उदाहरण है। पूरे राज्य के लिए यह प्रेरणादायी है। बेड़ो ग्राम पंचायत में दो राजस्व गांव हैं। एक है बेड़ो जिसमें परिवारों की संख्या 1150 है। दूसरे का नाम बारीडीह है। इसमें परिवारों की संख्या 148 है। दोनों गांव के लिए अलग-अलग जल एवं स्वच्छता समिति है। बेड़ो गांव में एक पुरानी पाइप जलापूर्ति योजना थी जो बेकार एवं मृत-सी थी। लेकिन, वहां की वीडब्ल्यूएससी ने न केवल 25 साल पुरानी एवं बेकार पाइप जलापूर्ति योजना को चालू किया है। बल्कि जलापूर्ति सेवा में सुधार के साथ-साथ जल शुल्क के जरिये अपने निधि का सृजन किया है। अब इस योजना से हर दिन दो समय सुबह एवं दोपहर में जलापूर्ति होती है। वर्ष 2011 में जब समिति को जलापूर्ति योजना का प्रभार सौंपा गया था, उस समय केवल 135 गृह कनेक्शन थे। समिति के खाते में शून्य राशि थी। लेकिन, वर्तमान में समिति ने गृह कनेक्शन की संख्या बढ़ाकर 207 कर दी है। इसके साथ ही हर महीने पानी का गृह कनेक्शन लेने वाले परिवार की संख्या बढ़ रही है। समिति के खाते में 30 हजार रुपये है। इससे जलापूर्ति योजना का संचालन एवं रख-रखाव का काम होता है। यह राशि जल शुल्क के जरिये जमा हुई है। गृह कनेक्शन लेने वाले परिवार से समिति हर महीने 72 रुपये जल शुल्क के रूप में वसूलती है। विभाग ने पहले यह राशि 62 रुपये प्रति महीने तय की थी। समिति ने आपसी सहमति से इसे बढ़ाया है। इसके साथ ही नया कनेक्शन लेने परिवार से बतौर कनेक्शन शुल्क 310 रुपये लिया जाता है। यह वन टाइम राशि होती है।

आज यह समिति गांव में एक सामुदायिक शौचालय का भी संचालन करती है। इससे खर्चा काटकर हर महीने की आमदनी 1700 रुपये है। शौचालय की देखरेख के लिए एक केयरटेकर है। इसकी नियुक्ति ग्रामीणों की ओर से की गयी है। इस शौचालय का निर्माण वर्ष 2012 में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की निधि से समिति की ओर से ही किया गया। इसमें महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग मल त्याग एवं स्नान करने की सुविधा है। अलग-अलग सेवा का शुल्क निर्धारित है, जिसे लोग बखूबी अदा करते हैं। मूत्र त्याग के लिए एक रुपये, शौच के लिए तीन रुपये और स्नान के लिए पांच रुपये शुल्क निर्धारित है। स्नान करने वाले लोगों को शैंपू मुफ्त में दिया जाता है।

बेड़ो ग्राम पंचायत की दूसरी ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति भी कम नहीं है। बारीडीह समिति के खाते में 16 लाख रुपये है। इस पैसे से समिति नयी लघु पाइप पेयजलापूर्तियोजना का काम कर रही है। जो विभाग नहीं कर पाया वह समिति ने किया।

बेड़ो पाइप जलापूर्तियोजना की कहानी शुरू होती है वर्ष 1987-88 से। सरकार ने बारीडीह नाला से जलापूर्ति के लिए योजना बनायी। 13 हजार गैलन की क्षमता की जल मीनार बनायी गयी। नाला के पानी को टंकी तक पहुंचाने के लिए तीन एचपी का समरसेबल पंप लगाया गया। इसके बाद वर्ष 1997-98 में भूमिगत जल की आपूर्ति के लिए नाला के बीचों-बीच बोरिंग करायी गयी। इसमें भी तीन एचपी का समरसेबल पंप लगाया गया। लेकिन, वर्ष 2001 के आते-आते बोरिंग फेल हो जाने से जलापूर्ति योजना मृत-सी हो गयी। योजना को अक्सर बंद हो जाने का सामना करना पड़ता था। इससे प्रखंड मुख्यालय के बाहरी इलाके के लगभग 150 परिवारों के लिए पाइप के जरिये जलापूर्ति करना मुश्किल हो गया था।

पंचायत चुनाव से बदली तसवीर


वर्ष 2010 में 32 साल बाद पंचायती राज संस्थाओं के लिए चुनाव हुआ। पंचायती राज कानून के संवैधानिक प्रावधान के तहत ग्राम चल एवं स्वच्छता समिति का गठन किया गया। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के दिशा-निर्देश पर इस समिति का एक बैंक खाता भी खोला गया। गांव में जल एवं स्वच्छता योजनाओं के प्रबंधन की जिम्मेदारी ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को सौंपी गयी। मुखिया राकेश भगत जो इस समिति के अध्यक्ष भी थे, ने अविलंब पेयजलपूर्ति योजना को चालू करने के प्रति ध्यान दिया। उन्हें विरासत में ऐसी बेकार योजना मिली थी, जिससे रूक-रूक कर जलापूर्ति होती थी। योजना के तहत 15 हजार गैलन की क्षमता की एक जलमीनार और साथ में तीन एचपी का समरसेबल पंप था। जाहिर है इससे जलमीनार को भरा नहीं जा सकता था। पूरे गांव के सभी लाभुकों तक सीधे जलापूर्ति के लिए पांच एचपी के पंप के साथ एक अलग बोरिंग की जरूरत थी। शुरुआत में योजना में लगातार रूकावट का सामना करना करना पड़ रहा था। लगभग 100 लाभुक मुफ्त में एक बार पानी प्राप्त कर रहे थे। ऐसे में विभाग के लिए योजना का संचालन और रख-रखाव बड़ी चुनौती थी। चुनाव संपन्न होने के बाद मुखिया भगत ने विभाग के स्थानीय अधिकारियों से प्रारंभिक चर्चा के दौरान योजना को पुनर्जीवित करने के संदर्भ में उनकी योजना के बारे में पूछा था। भगत ने मतदाताओं की सेवा करने के अवसर को बनाये रखा। वे सोचने लगे कि समय पर एवं पर्याप्त पानी की आपूर्ति के लिए उन्हें योजना की तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए संसाधन की आवश्यकता होगी। उन्हें यह पूरा विश्वा स था कि एक बार सेवा सुधर गयी तो उपभोक्ता भुगतान के लिए तैयार हो जायेंगे। फिर भविष्य में संचालन के लिए संसाधन मिल जायेगा। भगत के इस दृष्टिकोण के साथ विभाग के अधिकारी मदद करने के लिए मिशन में लग गये. उन्होंने पहला कदम तीन एचपी के पंप सहित मृत बोरिंग को पुनर्जीवित किया और जलापूर्ति चालू कर वर्तमान लाभुक को पानी सप्लाई देना प्रारंभ किया

जनसहभागिता ने किया कमाल


जिस समय योजना का चार्ज मुखिया ने लिया उस समय 135 गृह कनेक्शन पंजीकृत थे। ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के पास कोई फंड नहीं था। समिति ने योजना के प्रभावी संचालन के लिए तथ्यों को नोट करना शुरू किया। इसमें यह बात सामने आयी कि बड़ी संख्या में अवैध कनेक्शन हैं। जिनके पास पंजीकृत गृह कनेक्शन था, वे जल शुल्क नियमित जमा नहीं कर रहे थे। इसे लेकर वर्ष 2011 के मध्य में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक हुई। व्यापक विचार-विर्मश के बाद संसाधन बनाने के लिए सभी सदस्य जल शुल्क संग्रह करने के लिए सहमत हुए। और यह निर्णय हुआ कि गैर पंजीकृत कनेक्शन को वैध करने से जलापूर्ति योजना के संचालन में मुश्किल होगी। इसलिए सभी से विधिवत गृह कनेक्शन लेने का निर्णय लिया गया। मुखिया राकेश भगत सहित जल सहिया सीमा कुमारी, वीडब्ल्यूएससी के उपाध्यक्ष धनंजय राम, टैक्स कलेक्टर लुबू बड़ाइक व पंप ऑपरेटर बुधवा उरांव के प्रयास से यह योजना बखूबी चल रही है।

ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को विरासत में मिली


15 हजार गैलन क्षमता वाली पानी टंकी।
पानी टंकी के नजदीक तीन एचपी मोटर के साथ एक बोरिंग।
पानी टंकी के पास बिना मोटर की एक अन्य बोरिंग।
एक बोरिंग जिसमें पांच एचपी का मोटर फिट था, इससे क्षेत्र की ऐसी आबादी को पानी जाता था जिसका कोई लेखा जोखा नहीं था।

ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति ने जो योगदान दिया


पानी टंकी के पास अतिरिक्त बोरिंग में तीन एचपी का मोटर फिट किया।
ऐसे क्षेत्रों का चयन किया जहां पाइपलाइन थी, लेकिन जल मीनार से कनेक्ट नहीं थी।
पाइप जलापूर्तियोजना को चालू किया और जल शुल्क की वसूली एवं गैर पंजीकृत कनेक्शन को वैध करने के लिए एक सिस्टम तैयार किया।
गृह कनेक्शन की संख्या 135 से बढ़ाकर 207 की गयी।
जल शुल्क के जरिये संसाधन जुटाया।

अन्य उपलब्धियां


दूसरे गांव बारीडीह में पाइप जलापूर्ति के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से एकरारनामा।
प्रखंड मुख्यालय बाजार में एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण और बिजनेस मॉडल पर उसका संचालन।

(अनुवाद एवं संपादन : उमेश यादव)

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