रांची जिला

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पर्यावरण संरक्षण करें और रोजगार भी पायें
Posted on 12 Jun, 2014 12:23 PM
एक पुरानी कहावत है आम के आम, गुठली के दाम। इस कहावत से सभी परिचित हैं। यह तो हम जानते ही हैं कि वनों का पर्यावरण संतुलन में अत्यधिक महत्व है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए यदि हम वन लगायें तो एक ओर तो हमें शुद्ध वातावरण में जीने का मौका मिलता है, साथ ही मुनाफा कमाने का भी अवसर प्राप्त होता है। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार भारत का 28.82 फीसदी भू-भाग वन आच्छादित है। वैसे तो वन हमारे पर्
पर्यावरण को बचाना है तो सभी क्षेत्रों में वैकल्पिक स्रोतों को अपनाएं
Posted on 12 Jun, 2014 12:03 PM

देश तरक्की की राह पर दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन जिस गति से तरक्की हो रही है, उसी गति से हमारे देश में पर्यावरण की समस्या भी बढ़ रही है। जमीन, जंगल और पानी कम हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें वर्तमान सरकार भी पर्यावरण के मुद्दे पर गंभीर दिख रही है। इस कारण प्रत्येक वर्ष हमें केंद्रीय बजट में पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी प्रयासों की झलक दिखाई पड़ती रहती है। उधर केंद्र सरकार ने विकास की जरूरत क

giridih pollution
भूमि को प्रदूषण से बचाने की करें शुरूआत
Posted on 11 Jun, 2014 03:38 PM विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण में बदलाव के कारण भारत में चावल और गेहूं की ऊपज में कमी आयेगी। पर्यावरण में हो रहे बदलाव के परिणाम स्वरूप प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी होगी और इसकी सबसे गहरी चोट गरीबों पर पड़ेगी।
पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से मिली आजीविका
Posted on 11 Jun, 2014 11:36 AM प्रमोद महतो रांची के ओरमांझी के कुल्ही गांव में निजी विद्यालय चलाने और खेतीबाड़ी का काम करते हैं। गांव में चलाये जा रहे समेकित जलछाजन प्रबंधन कार्यक्रम के सचिव के रूप में कार्य करते हुए वे वर्षा जल संरक्षण के साथ सामुदायिक सब्जी पौधशाला चलाने का काम करते हैं। ये अपने गांव के किसानों को उन्नत किस्म के पौधे उचित दाम पर उपलब्ध कराते हैं। भारतीय बागवानी अनुसंधान परिषद, पलांडू द्वारा विकसित बैगन की स्वर
पर्यावरण संरक्षण में पंचायती राज का हो सकता है अहम योगदान
Posted on 11 Jun, 2014 11:06 AM भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के उपरांत ग्यारहवीं अनुसूची के अंतर्गत पंचायती राज सहकारिता विषय निम्न प्रकार है :
कल्याणकारी (प्राकृतिक) खाद द्वारा कृषि विकास
जल संग्रहण विकास
सामाजिक वानिकी
लघु वन उत्पाद
जल निकायों का निकर्षण एवं साफ–सफाई
व्यर्थ जल संग्रहण एवं निष्कासन
सामुदायिक बायोगैस प्लांटों की स्थापना
र्इंधन व चारा विकास
तबाही के कारखाने
Posted on 23 Feb, 2014 04:10 PM आदिवासियों को आज भी मनुष्य से एक दर्जा नीचे का जीव माना जाता है। वे तो शुरू से विकास की खाद बनते रहे हैं। अंग्रेजों ने यही किया। देशी हुक्मरानों ने यही किया और अलग राज्य बनने के बाद आदिवासी मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में चल रही सरकारें भी यही कर रही हैं। इसे ही समाजशास्त्री के नेतृत्व में चल रही सरकारें भी यही कर रही हैं। इसे ही समाजशास्त्री आंतरिक उपनिवेशवादी शोषण कहते हैं और इससे लगता है कि आदवासी जनता को अभी मुक्ति नहीं। पूर्वी सिंहभूम के हरे-भरे चांडिल क्षेत्र में स्पंज आयरन कारखानों की चिमनियों से निकलता खतरनाक धुआं वहां के जन-जीवन पर घने कोहरे की तरह छाता जा रहा है। स्पंज आयरन कारखानों की चिमनियों से निकलने वाली गैसों में सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रमुख हैं।

इसके अलावा उन गैसों में केडियम, क्रोमियम, आर्सेनिक, मैगनीज, सीसा, पारा जैसे खतरनाक तत्वों के बारीक कण भी मौजूद होते हैं, जो हवा के साथ मिल कर जहरीली गैसों में बदल जाते और बहुत आसानी से सांस के साथ मानव शरीर में पहुंच जाते हैं। वे युद्ध में प्रयुक्त होने वाले रासायनिक जहरीली गैसों से कम खतरनाक नहीं होते, फर्क सिर्फ इतना है कि उससे मौत तत्काल नहीं होती, लोग तिल-तिल कर मरते हैं। लेकिन इसकी चिंता न कारखाना मालिकों को है और न सरकार को।
फ्लोराइड क्या है और यह कहाँ पाया जाता है
Posted on 16 Feb, 2014 12:25 PM फ्लोराइडयुक्त जल और कैंसर के अन्तर्सम्बन्ध को लेकर सालों तक बहस चली है। यह बहस फिर से धरातल पर आया जब
अकेले बना लिया बांध
Posted on 03 Oct, 2013 12:43 PM किसानों को उम्मीद है कि अब सरकार की विकास एजेंसियां व जनप्रतिनिधि इ
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