राजस्थान

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रेत के समंदर में पानी से भरा सागर
Posted on 05 Oct, 2011 12:09 PM

ऐतिहासिक गढ़ीसर तालाब को बड़े हादसे से भले ही बचा लिया गया लेकिन इसे एक बदनामी के सबब से कोई नह

कम पानी और मिट्टी के बिना खेती कैसे करें?
Posted on 04 Oct, 2011 12:14 PM

शेखावाटी के किसानों को मोरारका फाउंडेशन की देन

हरियाली की संस्कृति
Posted on 26 Sep, 2011 01:00 PM

वृक्षारोपण, संरक्षण, संवर्धन जन-जन का अभियान बने, तभी वन विस्तार की हरीतिमा राजस्थान की मरुभूमि

इंसानी बंधन के शिकार बांध
Posted on 25 Sep, 2011 01:18 PM

भरपूर बरसात के बावजूद राजस्थान में सैकड़ों बांध ऐसे रह गए जिनमें एक बूंद भी पानी नहीं आया। कार

सरस्वती: द लॉस्ट रिवर ऑफ थार डेजर्ट
Posted on 21 Sep, 2011 04:54 PM

अब सेटेलाईट चित्रों द्वारा इसकी पुष्टि होती है कि लूनी नदी के पश्चिम की ओर चलने वाली जोजरी नदी

पोखर के लिए बहा दी खून की नदी
Posted on 19 Sep, 2011 01:45 PM

छोटे छोटे विवाद कितने विनाशकारी रूप अख्तियार कर सकते हैं उसका अंदाज इस घटना से लगाया जा सकता है। राजस्थान के भरतपुर जिले में पोखर पर कब्जे के एक विवाद ने इतना वीभत्स रूप से लिया कि दर्जनभर लाशों का ढेर लग गया। पोखर का पानी तो ठहरा रह गया लेकिन गांव में खून की नदी बह निकली। राजस्थान के भरतपुर जिले के गोपालगढ़ गांव में बुधवार को हुए दंगे के बाद अब इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंच गई है। बृहस्पतिवार को द

पानी के लिए खून बहाते लोग
खेजड़ी का पेड़
Posted on 16 Sep, 2011 11:55 AM

जहां रूठ गया पानी
जहां उखड़ गए पेड़ों के पांव,
जहां चंद बूंदों की भीख को
रोते सूख गए पौधे।
वहां जम गया
रम गया
अकेला खेजड़ी।

खेजड़ी में देखता है मरुथल
कि कैसे होते हैं पेड़।
कितनी मीठी होती है छांव,
ठन्डे पत्ते और नर्म स्पर्श
और उनसे फूटती हवा।
क्या होता है,
जलते-तपते में वीरान में जीना।

खेतों में उगाया पैसा
Posted on 15 Aug, 2011 09:24 AM

मात्र आठवीं कक्षा तक पढ़े महावीर को यह पता नहीं था कि एक बीघा खेत से 60-70 हजार रुपया कमाया जा सकता है। वह तो अब तक यही देखता आया था कि सरसों हो या गेहूं, एक बीघा खेत से साल भर में 8-10 हजार रुपये की आमदनी ही हो सकती है। महावीर रात-दिन खेत में जी तोड़ मेहनत करता। सर्दी, गर्मी और बरसात से भी हार नहीं मानता किन्तु उसके पास मौजूद पांच बीघा जमीन से उसके परिवार का गुजारा नहीं हो पा रहा था। खेती-बाड़

पपीता की खेती
चंबल से मगर का मोहभंग
Posted on 28 Jul, 2011 10:12 AM

कोटा। कहीं रेत भरते ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की धड़धड़ाहट तो कहीं अवैध खनन के धमाके। अब ऐसे में कोई अपने नन्हें बच्चों को कैसे छोड़ सकता है? बरसों को चंबल नदी में रह रहे मादा मगरमच्छों की भी ऐसी ही स्थिति है। चंबल की कराइयों में बढ़ती मानवीय गतिविधियों के चलते इन्होंने अपने प्रजनन स्थल बदल लिए हैं। अब ये चंबल छोड़कर उसकी सहायक नदी चंदलोई व उसमें गिरने वाले नालों के इर्दगिर्द अण्डे दे रही हैं।

घड़ियालों का अस्तित्व संकट में
अणुमुक्ति द्वारा रावतभाटा में किया गया सर्वेक्षण
Posted on 25 Jul, 2011 11:50 AM

डा.संघमित्रा गाडेकर व सुरेन्द्र गाडेकर क नेतृत्व में अणुमुक्ति समूह द्वारा 1991 में राजस्थान के रावतभाटा परमाणु बिजलीघर के इलाके में सर्वेक्षण किया गया | इस सर्वेक्षण का उद्देश्य भी रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयत्र का वहां के निवासियों में पड़े प्रभाव का अध्ययन करना था। इस अध्ययन में रावतभाटा के पास के गांवों के लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति पर कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आए। इस सर्वेक्षण की रपट अणुम

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