राजस्थान

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वन व वन्य प्राणियों के संरक्षण की विडंबना
Posted on 06 Feb, 2013 03:21 PM वन विभाग द्वारा जारी पासों के जरिए इस इलाके में प्रवेश को नियंत्रि
लापोड़िया: जब बाजार काम करता है
Posted on 02 Feb, 2013 10:26 AM लापोड़िया में मुझे पता लगा कि नौ साल के सूखे के दौरान जब वहां 300
नदी जल प्रदूषण की किसानों पर मार
Posted on 30 Jan, 2013 03:52 PM किसान नहीं चाहते कि पाली के उद्योग अपना कचरा नदी में बहाएं। उनकी मांग है कि उद्योगों को खुद प्रदूषित
‘‘मेवात के जोहड़’’ का डॉ. एसएन सुब्बाराव द्वारा लोकार्पण
Posted on 10 Jan, 2013 01:04 PM अलवर । जोहड़ पर लिखी गई पुस्तक ‘‘मेवात के जोहड़’’ का पिछले दिनों लोकार्पण सर्वोदय समाज के नेता डॉ. एसएन सुब्बाराव ने किया। इस अवसर पर पूरे मेवात में हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई एकता के लिए काम करने वाल डा. एस.
व्यवहार परिवर्तन किये बगैर देश को खुले में शौचमुक्त बनाना संभव नहीं
Posted on 03 Dec, 2012 02:03 PM

देश को खुले में शौच से मुक्ति के लिये व्यवहार परिवर्तन की जरूरत है और उन्हें इस आवश्यकता से जोड़ना होगा। यह काम

गोचर का प्रसाद बांटता लापोड़िया-भाग 1
कोई भी समाज शून्य में जीवित नहीं रह सकता। उसे अपने लोगों, अपने पशुओं, अपनी जमीन, अपने पेड़ पौधों, अपने कुएं, अपने तालाबों, अपने खेतों के लिए कोई न कोई ऐसी व्यवस्था बनानी पड़ती है, जो समयसिद्ध और स्वयंसिद्ध हो। काल के किसी खंड विशेष में समाज के सभी सदस्यों के साथ मिल-जुलकर जो व्यवस्था बनती है Posted on 14 Nov, 2012 09:23 AM

अनुपम जी द्वारा लिखी ‘गोचर का प्रसाद बांटता लापोड़िया’ पुस्तिका की मूल प्रति यहां पीडीएफ के रूप में संलग्न है। पूरी किताब पढ़ने के लिए इसे डाउनलोड कर सकते हैं।



जयपुर अजमेर रोड पर स्थित एक छोटा से गांव लापोड़िया ने तालाबों के साथ-साथ अपना गोचर भी बचाया और इन दोनों ने मिलकर यानि तालाब और गोचर ने लापोड़िया को बचा लिया। आज गांव की प्यास बुझ चुकी है। छः-छः साल के अकाल के बाद भी लापोड़िया की संतुष्ट धरती में हर तरफ हरियाली होती है।

चौका
धरती जतन पदयात्रा – 2012
Posted on 12 Nov, 2012 10:13 AM धरती जतन पदयात्रा, विस्तार केंद्र लापोड़िया (जयपुर) और टोंक से 24 नवंबर 2012 से शुरू होगी और 27 नवंबर 2012 को संपन्न होगी।

सारा विश्व जलवायु संकट से चिंतित है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी-बड़ी बैठकों में विचार विमर्श किया जा रहा है। पूरी दूनिया के साथ-साथ भारत वर्ष में भी बुद्धिजीवी लोग, लोगों की जिंदगी पर आबों हवा में परिवर्तन से क्या असर पड़ा है, उसके आंकड़े एवं तथ्य एकत्रित कर रहे हैं।

लेकिन आज भी बहुत सारे लोग प्रकृति के साथ जी रहे हैं, प्रकृति संरक्षण व संवर्धन के लिये अथक प्रयत्न कर रहे हैं। उनके काम को न तो कोई देखता है और न ही प्रोत्साहन देता है, ऐसे लोग अकेले ही लगे रहते हैं। इन लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाना, पीठ थपथपाना व दिल में आशा की जोत जगाने का कार्य धरती जतन पदयात्रा करती है।
अब मरुधरा में छलकेगा अमृत
Posted on 02 Nov, 2012 03:30 PM राजस्थान में जहां पारंपरिक जलस्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ है वहीं, वृहद, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है। सरकार ने 23 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की घोषणा की है।

प्रदेश में जहां पारंपरिक जलस्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ है। वहीं वृहद, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है। पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थल की गोद में बसे बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में पेयजल परियोजनाओं ने इस क्षेत्र की प्यास बुझाने के साथ ही यहां विकास के नए द्वार खोले हैं। राजस्थान जैसे वृहद राज्य में कठिन भौगोलिक परिस्थितियां और पानी की कमी के बावजूद यहां के जनजीवन में कभी भी मायूसी का माहौल नहीं रहा। यहां कि महिलाएं सिर पर मटकी रखे मीलों चलकर पानी लाती रही हैं। पानी के लिए यहां के लोग सदैव ही इंद्रदेव की मेहरबानी के लिए दुआएं करते रहे हैं। इतने बड़े राज्य में देश में उपलब्ध पानी का मात्र एक प्रतिशत हिस्सा ही मौजूद है। ऐसे में पानी के महत्व को मरुधरा के लोगों से बेहतर कौन जान सकता है लेकिन समय बदलने के साथ ही पेयजल का परिदृश्य भी बदलने लगा है।
मीठे पानी की आस हुई पूरी
Posted on 27 Oct, 2012 04:50 PM राजस्थान के भरतपुर जिले के लोगों को पीने का पर्याप्त मीठा पानी मयस्सर नहीं था। करीब 70 से 75 फीसदी आबादी खारा पानी पीने को विवश थी। जाहिर है, खारे पानी से उनकी प्यास बमुश्किल ही बुझती थी लेकिन चंबल-धौलापुर-भरतपुर वृहद पेयजल परियोजना ने काफी हद तक इस कमी को दूर किया है।

प्रस्तावित 599 गांवों में चंबल नदी के जल के वितरण के कार्य के लिए गांवों के क्लस्टर निर्माण के विस्तृत तखमीने बनाने का कार्य भी अलग से प्रारंभ किया जा रहा है। चंबल-धौलपुर-भरतपुर परियोजना की मुख्य ट्रांसमिशन पाइप लाइन से रूपवास में ऑफटीक देकर रूपवास तहसील के खारे पानी की समस्या से ग्रस्त 30 गांवों को चंबल नदी का जल उपलब्ध कराने की योजना की विस्तृत तकनीकी प्रस्ताव भी तैयार किए गए हैं। इन प्रस्तावों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति शीघ्र जारी कर कार्यों को प्रारंभ किया जाएगा। राजस्थान के भरतपुर जिले के लोगों की मीठे पानी पीने की आस अब पूरी हो रही है। भरतपुर शहर के बाशिंदों को अब मीठे पानी का स्वाद पता चला है। यहां के लोग अब तक खारा पानी पीने के लिए ही अभिशप्त थे। हालांकि साल 1970 से इस शहर को बांध बारेठा से मीठे पानी की आपूर्ति की जा रही थी लेकिन यह पानी इस शहर की मात्र 20-25 प्रतिशत आबादी की प्यास बुझा रहा थ। अब चंबल नदी का पानी भरतपुर पहुंचने से राजस्थान के इस ऐतिहासिक शहर की फिजां बहुत बदली-सी नजर आने लगी है।
महिलाएं, निर्मल गांव और जयराम रमेश
Posted on 24 Oct, 2012 04:45 PM निर्मल भारत अभियान की कमान अब स्वयं महिलाओं को अपने हाथ में ले लेनी चाहिये। भारत के प्रत्येक गांव को निर्मल गांव बनाना महिलाओं के हाथ लगाये बगैर असंभव है, क्योंकि यह हमारे मर्यादा का सवाल है। सरकार के इस अभियान को समाज में मान-प्रतिष्ठा से जोड़ा जाना चाहिए। केन्द्रीय ग्रामीण मंत्री ने महिलाओं से हरियाणा में इस समय पॉपुलर हुए उस संकल्प को अपनाने की अपील की जिसमें वहां की बेटियों के लिये धक्काड़े के साथ कहा जा रहा है कि ‘शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं।’ सांगोद (कोटा)। महिलाएं, निर्मल गांव और जयराम रमेश, क्या इन तीनों में कोई साम्यता हो सकती है। यदि केंद्रीय ग्रामीण एवं पेयजल मंत्री जयराम रमेश की सुने तो, हां। इतना ही नहीं इस त्रिकोणमिती में तो उनको चमत्कार का भी दीदार हो रहा है। पहले इन्दौर में उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि पानी के बिना निर्मल गांव बनाना असंभव है। लेकिन भारत निर्मल यात्रा के कोटा राजस्थान पहुंचने पर जब ग्रामीण मंत्री ने मंच के सामने महिलाओं की अपार भीड़ देखी तो उनके स्वर बदल गए।
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