/regions/rajasthan-1
राजस्थान
धोरों की धरती पर हिमधारा
Posted on 29 Sep, 2012 04:16 PM ‘बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना’ यानी ‘राजीव लिफ्ट पेयजल परियोजना’ से पहली बार जिले के लोगों का मीठा पासियासत और अदालत में कैद एक विरासत
Posted on 30 Aug, 2012 10:52 AMजीर्णोद्धार के बाद जयपुर की मानसागर झील और जलमहल पर नए प्रदूषण का साया
मुंह में जहर का जीरा
Posted on 04 Aug, 2012 04:47 PMराजस्थान की सोना फसल जीरा अब सवालों के घेरे में है। देश में पैदा होने वाली जीरे का 40 फीसदी राजस्थान में होता है। बहुत कम पानी की फसल जीरा हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार जहरीला होता जा रहा है। जीरे की फसल में बेरोकटोक कीटनाशकों के इस्तेमाल ने जीरे को जहरीला बना दिया है। कीटनाशकों की न्यूनतम स्वीकृत मात्रा एक पीपीएम (10 लाख में एक हिस्सा) यानी एक किलोग्राम में एक मिलीग्राम से कम होनी चाहिए।औसत से 27 फीसदी कम बरसा है मानसून
Posted on 01 Aug, 2012 04:49 PMराजस्थान पर अकाल का साया एक बार फिर से मंडराने लगा है। वैसे भी राजस्थान और अकाल का चोली-दामन सा नाता है। राजस्था
अक्षय ऊर्जा से उजाला
Posted on 05 Jun, 2012 10:37 AMसौर ऊर्जा की प्रचुरता के कारण राजस्थान अब औद्योगिक विकास और निवेश की दृष्टि से अपार संभावना वाला राज्य बन चुका ह
सूरज तले अंधेरा
Posted on 28 Apr, 2012 09:14 AMसरकारी सुविधाएं, अनुदान सब ले लिए गए पर बिजली तो बनी नहीं। फिर इन सातों संयंत्रों ने काम प्रारंभ करने का प्रमाणप
कानून से होता अन्याय
Posted on 13 Apr, 2012 11:31 AMराजस्थान में वन अधिकार कानून की मनमानी व्याख्या कर अधिकारियों द्वारा आदिवासियों को भूमिहीन बनाने का सिलसिला निरं
अब नहीं लौटेंगे सारस
Posted on 11 Apr, 2012 02:05 PMप्राकृतिक भोजन और पानी की कमी के कारण यहां आने वाले हर प्रकार के पक्षियों की तादाद में भारी कमी आई है। अब यहां आ
जल-संसाधनों से खिलवाड़ या पानी के बाजारीकरण की मनमानी?
Posted on 27 Mar, 2012 12:47 PMराजस्थान के कई शहरों में लोगों को 24 घंटे पानी देने की तैयारी की जा रही है। मगर कहने में अच्छी लगने वाली यह योजना कार्यान्वयन के स्तर पर खामियों से भरी है।
कुल दो लाख 15 हजार की आबादी वाले खंडवा में कंपनी को अपना संचालन खर्च निकालने के लिए सिर्फ 174. 7 करोड़ लीटर प्रतिदिन जलापूर्ति करनी है। यानी खंडवा के हर नागरिक के हिस्से में 81 लीटर प्रतिदिन ही पानी आना है और यह सरकारी मानक 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से काफी कम है। इसी तरह, नागपुर में जल कनेक्शन शुल्क तो 300 रुपये ही रखा गया है लेकिन उसके साथ विओलिया कंपनी घर तक लाइन बिछाने, मीटर, कनेक्शन सामग्री के अलावा सड़क की खुदाई और प्लंबर का खर्च भी कनेक्शनधारियों से ही ले रही है।
खबर 24X7। बैंकिंग 24X7। पिज्जा 24X7। और अब इसी तर्ज पर राजस्थान के कई शहरों में 24 घंटे और सातों दिन पानी पिलाने का दावा किया जा रहा है। यह दावा राज्य सरकार के उस जलदाय विभाग का है जो आज तक लोगों को 24 घंटे में से बामुश्किल दो घंटे भी पानी नहीं पिला पाया। विभाग की मानें तो उसने पीपीपी यानी जन-निजी साझेदारी के जरिए 24 घंटे पानी पिलाने के लिए कमर कस ली है। मगर तहलका की पड़ताल बताती है कि विभाग ने अपनी कमर जनता का पानी कंपनियों के हाथ सौंपने के लिए कसी है। असल में राजस्थान की मरु धरा पर धाराप्रवाह पानी पिलाने की तस्वीर दिखाना कुछ और नहीं बल्कि 24 घंटे पानी पर मनमानी का रास्ता साफ करने की एक कवायद है। उन कंपनियों के लिए जिन्हें इसका ठेका मिलेगा। देश के भीतर 24 घंटे जलापूर्ति के सपने गिने-चुने शहरों में ही दिखाए गए हैं।