राजस्थान

Term Path Alias

/regions/rajasthan-1

पूर्वजों ने संजोया हमने खोया
Posted on 18 Jul, 2011 09:57 AM राजस्थान में प्राचीन काल से ही पानी को घी से भी ज्यादा मूल्यवान माना गया है। विडंबना की बात यह है कि पूर्वजों द्वारा संजोकर रखी गई यह अनमोल धरोहर अब धरती के गर्भ में समाती जा रही है । सतही जल के अंधाधुंध दोहन और बेजां इस्तेमाल के कारण राजस्थान में 239 में से 207 ब्लॉक डार्क जोन (सूखा क्षेत्र) घोषित किए जा चुके है । इन 207 ब्लॉक में बस इतना ही पानी बचा है जिससे कुछ साल तक यहां के बाशिंदों की प्यास तो बुझ सकती है लेकिन खेती-बाड़ी और पानी का दूसरे कामों में इस्तेमाल मुश्किल है । अंधाधुंध दोहन का ही नतीजा है कि पिछले तीस साल में राजस्थान में भूजल स्तर दस से 30 मीटर तक नीचे चला गया है।

निजी हाथों में होगी पेयजल व्यवस्था!
Posted on 15 Jul, 2011 12:15 PM राजस्थान के गांवों और शहरों में पेयजल उपलब्ध करवाना यहां की सरकारों के लिए सबसे महत्तवपूर्ण चुनौती और चिंता का विषय है। इससे निपटने के लिए सरकार निजी-सार्वजनिक हिस्सेदारी (पीपीपी) मॉडल अपनाने पर विचार कर रही है। राजस्थान देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 10.4 प्रतिशत क्षेत्र समाहित करता है और देश की 5.5 फीसदी आबादी व 18.70 प्रतिशत मवेशियों को पालता है, लेकिन यहां देश में उपलब्ध कुल सतह जल का केवल 1.16 प
जल संरक्षण के सदियों पुराने तरीके आजमा रहे गांववासी
Posted on 15 Jul, 2011 12:02 PM

करीब दो दशक पहले बनाई गई इन नहरों का मकसद था हिमालय से पानी उतारकर यहां की बंजर जमीन को खेती कि

उम्मीद जगाती एक नदी का रुदन
Posted on 11 Jul, 2011 08:33 AM

प्लांट के लिए चंबल से डाली जा रही पाइपलाइन

चंबल नदी
नरेगा श्रमिकों को दो, तीन और चार रुपए की मजदूरी
Posted on 05 Jul, 2011 11:51 AM

जयपुर. सरकार एक तरफ जहां नरेगा से लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार देने का दावा कर रही है, वहीं नरेगा श्रमिकों को दो-दो, तीन-तीन और चार-चार रुपए की मजदूरी भी मिली है। इस रकम में परिवार चलाना तो दूर, एक कप चाय भी नहीं मिल सकती। सरकार की जानकारी में आने के बाद भी मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। नरेगा श्रमिकों के पक्ष में आवाज उठाने वाले संगठन सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान की ओर

ऊपरी यमुना के राज्यों को यमुना जल का बंटवारा
Posted on 30 Jun, 2011 11:13 AM मई 1994 में यमुना जल बंटवारे के लिए ऊपरी तटवर्ती राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली ने मिलकर आपसी समझ के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। यमुना के वार्षिक 13 मिलियन घनमीटर (बीसीएम) शुद्ध उपलब्ध जल का निम्नानुसार बंटवारा हुआः
सामूहिक निर्णय लेने की ताकत पर मुस्कराता गांव बख्तावरपुरा
Posted on 31 May, 2011 12:43 PM

दिल्ली झुंझनू मार्ग पर, झुंझनू से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ने वाला एक गांव, यहां की साफ सफाई, चमचमाती हुई सड़क, बरबस ही यहां से गुजरने वालों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। रास्ते में एक बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है `मुस्कराईए कि आप राजस्थान के गौरव बख्तावरपुरा गांव से गुजर रहे हैं। रुककर गांववालों से बात करते हैं तो पता चलता है कि इस गांव में आज पानी की एक बूंद भी सड़क पर या नाली में व्यर्थ नहीं बह

ग्राम सरपंच महेन्द्र कटेवा बताते हैं कि गांव की ज़रूरतों के लिए हर रोज़ साढ़े चार लाख लीटर पानी ज़मीन से निकाला जाता है लेकिन इसमें से करीब 95 फीसदी वापस उसी दिन रिचार्ज कर दिया जाता है। पानी की कमी से जूझ रहे राजस्थान के गांवों के लिए यह एक बड़ी घटना है।
रेगिस्तान में स्वराज कहानी गोपालपुरा गांव की
Posted on 31 May, 2011 09:45 AM

राजस्थान के चुरू ज़िले की सुजानगढ़ के रेगिस्तान में गोपालपुरा गांव विकास की नई कहानी लिख रहा है। 2005 में हुए पंचायत चुनाव में गोपालपुरा पंचायत के तहत आने वाले तीन मजरों- गोपालपुरा, सुरवास और डूंगरघाटी के लोगों ने सविता राठी को सरपंच चुना। वकालत की पढ़ाई कर चुकीं सविता राठी ने (लोगों के साथ मिलकर) गांव के विकास का नारा दिया था। लेकिन सरपंच बनने के बाद सविता राठी ने सबसे पहला काम ग्राम सभा की नि

गोपालपुरा गांव में ग्राम सभा
बाड़मेर में ग्रामीणों ने किया पानी का बंटवारा
Posted on 28 Apr, 2011 10:20 AM

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि पानी को लेकर होने वाले झगड़ों को रोकने के लिए पानी का बंटवारा

×