धरती जतन पदयात्रा, विस्तार केंद्र लापोड़िया (जयपुर) और टोंक से 24 नवंबर 2012 से शुरू होगी और 27 नवंबर 2012 को संपन्न होगी।
सारा विश्व जलवायु संकट से चिंतित है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी-बड़ी बैठकों में विचार विमर्श किया जा रहा है। पूरी दूनिया के साथ-साथ भारत वर्ष में भी बुद्धिजीवी लोग, लोगों की जिंदगी पर आबों हवा में परिवर्तन से क्या असर पड़ा है, उसके आंकड़े एवं तथ्य एकत्रित कर रहे हैं।
लेकिन आज भी बहुत सारे लोग प्रकृति के साथ जी रहे हैं, प्रकृति संरक्षण व संवर्धन के लिये अथक प्रयत्न कर रहे हैं। उनके काम को न तो कोई देखता है और न ही प्रोत्साहन देता है, ऐसे लोग अकेले ही लगे रहते हैं। इन लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाना, पीठ थपथपाना व दिल में आशा की जोत जगाने का कार्य धरती जतन पदयात्रा करती है।
ग्राम विकास नवयुवक मंडल लापोड़िया सन् 1987 से देवउठनी एकादशी पर धरती जतन पदयात्रा का आयोजन करती है। अपनी स्वयं की श्रद्धा से प्रकृति के लिये कुछ करने वाले लोगों के प्रयास से अन्य लोगों को रूबरू कराती है। यह विचार लोगों को एक सूत्र में बांधता गया, आज यह एक परिपाटी/रिवाज/संस्कृति बन गयी है। जो आज यह लोग संचालित अभियान है।
अनुसंधान करना, बड़ी-बड़ी बैठक करना सही हो भी सकता है परंतु इतना ही करना पर्याप्त नहीं है। धरती पर तो उतरना ही पड़ेगा। धरती को माथे लगाकर चलना होगा तथा पिछले वर्षों में धरती के साथ हुए अपराध को चुकता करने के लिये पेड़ लगाकर, पानी बचाकर, हरियाली बढ़ाकर व लोगों को प्रकृति प्रेमी बनाकर इस धरती का श्रृंगार तो करना ही पड़ेगा। यह पदयात्रा ऐसे लोगों की है, जो इस तरह से प्रकृति की सेवा करते रहे हैं।
इसके अलावा प्रकृति के विरूद्ध कार्य करने वालों को रोकती है, समझाती है, सावधान करती है व आगे का सही रास्ता दिखाती है पदयात्रा। आओ हम भी जुड़े पदयात्रा में.....।
यात्रा के दौरान ही गोचर पूजन, संसाधनों का पूजन व पेड़ों के रक्षासूत्र बांधा जाता है व पेड़ नहीं काटने, अतिक्रमण नहीं करने, तालाब में कचरा नहीं डालने व पुराने अतिक्रमण को हटाकर गांव में नए पेड़ों की संख्या बढ़ाने का संकल्प लिया जाता है। गांव में नए काम करने की शुरुआत का मुहुर्त के रूप में श्रमदान किया जाता है। गांव का वातावरण अहिंसात्मक हो, किसी भी जीव को नहीं सताया जाए, शिकार नहीं किया जाए, गांव शांतिप्रिय, खुशहाल व हरा-भरा हो इस तरह के गांव के आम निर्णय के साथ ही पदयात्रा अगले गांव को बढ़ जाती है।
25 वर्षों से इस बेहतर संस्कृति को सजाने व श्रद्धाकर्म-ढुढाड जतन करके समाज के निर्माण व प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में जुटे कर्मयोगियों को GVNML व ग्राम समुदाय द्वारा प्रत्येक देवउठनी पर सम्मानित किया जाता है। इस सम्मान का नाम ढुढाड क्षेत्र के लिए “ढुढाड रत्न” मारवाड़ क्षेत्र के लिए “मारवाड़ रत्न” है जो इस वर्ष भी 27 नवम्बर 2012 को समापन समारोह में विशेष रूप से जुटे स्वयं सेवकों को दिया जाएगा।
इस बार यह पदयात्रा संस्था के दोनों विस्तार केंद्रों लापोड़िया (जयपुर) नगर (टोंक) से एक साथ दिनांक 24 नवम्बर 2012 से शुरू होगी जो लगभग 50 गांवों को अपने में समेटती हुई 27 नवम्बर 2012 नगर कार्यालय में पूर्ण हो जाएगी।
संपर्क
लक्ष्मण सिंह
फोन नं. +919414071843
ग्रामीण विकास नवयुवक मंडल लापोड़िया
सारा विश्व जलवायु संकट से चिंतित है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी-बड़ी बैठकों में विचार विमर्श किया जा रहा है। पूरी दूनिया के साथ-साथ भारत वर्ष में भी बुद्धिजीवी लोग, लोगों की जिंदगी पर आबों हवा में परिवर्तन से क्या असर पड़ा है, उसके आंकड़े एवं तथ्य एकत्रित कर रहे हैं।
लेकिन आज भी बहुत सारे लोग प्रकृति के साथ जी रहे हैं, प्रकृति संरक्षण व संवर्धन के लिये अथक प्रयत्न कर रहे हैं। उनके काम को न तो कोई देखता है और न ही प्रोत्साहन देता है, ऐसे लोग अकेले ही लगे रहते हैं। इन लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाना, पीठ थपथपाना व दिल में आशा की जोत जगाने का कार्य धरती जतन पदयात्रा करती है।
ग्राम विकास नवयुवक मंडल लापोड़िया सन् 1987 से देवउठनी एकादशी पर धरती जतन पदयात्रा का आयोजन करती है। अपनी स्वयं की श्रद्धा से प्रकृति के लिये कुछ करने वाले लोगों के प्रयास से अन्य लोगों को रूबरू कराती है। यह विचार लोगों को एक सूत्र में बांधता गया, आज यह एक परिपाटी/रिवाज/संस्कृति बन गयी है। जो आज यह लोग संचालित अभियान है।
अनुसंधान करना, बड़ी-बड़ी बैठक करना सही हो भी सकता है परंतु इतना ही करना पर्याप्त नहीं है। धरती पर तो उतरना ही पड़ेगा। धरती को माथे लगाकर चलना होगा तथा पिछले वर्षों में धरती के साथ हुए अपराध को चुकता करने के लिये पेड़ लगाकर, पानी बचाकर, हरियाली बढ़ाकर व लोगों को प्रकृति प्रेमी बनाकर इस धरती का श्रृंगार तो करना ही पड़ेगा। यह पदयात्रा ऐसे लोगों की है, जो इस तरह से प्रकृति की सेवा करते रहे हैं।
इसके अलावा प्रकृति के विरूद्ध कार्य करने वालों को रोकती है, समझाती है, सावधान करती है व आगे का सही रास्ता दिखाती है पदयात्रा। आओ हम भी जुड़े पदयात्रा में.....।
यात्रा के दौरान ही गोचर पूजन, संसाधनों का पूजन व पेड़ों के रक्षासूत्र बांधा जाता है व पेड़ नहीं काटने, अतिक्रमण नहीं करने, तालाब में कचरा नहीं डालने व पुराने अतिक्रमण को हटाकर गांव में नए पेड़ों की संख्या बढ़ाने का संकल्प लिया जाता है। गांव में नए काम करने की शुरुआत का मुहुर्त के रूप में श्रमदान किया जाता है। गांव का वातावरण अहिंसात्मक हो, किसी भी जीव को नहीं सताया जाए, शिकार नहीं किया जाए, गांव शांतिप्रिय, खुशहाल व हरा-भरा हो इस तरह के गांव के आम निर्णय के साथ ही पदयात्रा अगले गांव को बढ़ जाती है।
25 वर्षों से इस बेहतर संस्कृति को सजाने व श्रद्धाकर्म-ढुढाड जतन करके समाज के निर्माण व प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में जुटे कर्मयोगियों को GVNML व ग्राम समुदाय द्वारा प्रत्येक देवउठनी पर सम्मानित किया जाता है। इस सम्मान का नाम ढुढाड क्षेत्र के लिए “ढुढाड रत्न” मारवाड़ क्षेत्र के लिए “मारवाड़ रत्न” है जो इस वर्ष भी 27 नवम्बर 2012 को समापन समारोह में विशेष रूप से जुटे स्वयं सेवकों को दिया जाएगा।
इस बार यह पदयात्रा संस्था के दोनों विस्तार केंद्रों लापोड़िया (जयपुर) नगर (टोंक) से एक साथ दिनांक 24 नवम्बर 2012 से शुरू होगी जो लगभग 50 गांवों को अपने में समेटती हुई 27 नवम्बर 2012 नगर कार्यालय में पूर्ण हो जाएगी।
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लक्ष्मण सिंह
फोन नं. +919414071843
ग्रामीण विकास नवयुवक मंडल लापोड़िया
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