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पंजाब
प्रदूषित पानी और कैंसर
Posted on 19 Sep, 2011 12:19 PMयद्यपि पंजाब का नाम पांच दरियाओं की भूमि के कारण ही पड़ा है। परन्तु आज पंजाब का पानी दूषित हो चुका है। एक समय था जब पंजाब का पानी अमृत की तरह मीठा और शुद्ध था परन्तु आज पंजाब के पानी में घुल रहे विष के कारण कैंसर जैसे भयानक रोग की लपेट में आ रहा है। पंजाब में कैंसर का कहर दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसने पूरे पंजाब को अपनी लपेट में ले लिया है। बरजिन्द्र पाल सिंह के यूरोपियन कमिशन के लिए मालवा क्षेत्र![पानी से होता कैंसर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/polluted-water_5.gif?itok=mr6DxKYu)
पंजाब में कृषि का अभिशाप
Posted on 25 Aug, 2011 10:24 AM2500 लोगों की मृत्यु के बाद बिसरा की जांच की गई जिसमें डी.डी.टी.
पानी पंजाब का, रोगी राजस्थान के
Posted on 23 Aug, 2011 03:44 PMनदियां दिलों को जोड़ती हैं, नदियां दो संस्कृतियों का मेल कराती हैं, नदियां परस्पर भाईचारा बढ़ाती हैं, नदियां देश की जीवन रेखा होती हैं, इन तमाम जुमलों से हटकर यदि यह कहा जाए कि नदियां दूसरे राज्यों के लोगों को बीमारी बनाती हैं, उन्हें कैंसर की बीमारी देती हैं, लोगों को मौत के मुहाने तक पहुंचाती हैं, तो अतिशयोक्ति न होगी। आपका सोचना सही है कि नदियों के बारे में ऐसा कहना उचित नहीं है। पर सच यही ह
![अब नदियां जीवन नहीं मौंत देती हैं](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/satluj-vyas_5.jpg?itok=7iMJGYqW)
कुदरती खेती करेगा तो किसान मजदूर नहीं बनेगा
Posted on 09 Aug, 2011 03:30 PMपंजाब में इस समय नए रचनात्मक कृषि सृजन का शंखनाद हो चुका है। खेती विरासत मिशन रासायनिक कृषि के बुरे नजीते भुगत रहे पंजाब के किसानों को नया विचार, नया जीवन व नया संसार देने के लिए प्रयासरत है। पिछले ढाई वर्षों में यह आंदोलन तेजी से कामयाबी की ओर बढ़ा है। शुरू-शुरू में इस आंदोलन के विचार को गए जमाने की बात बता कर इस पर हंसने वाले भी अब इसकी ताकत को समझने व स्वीकारने लगे हैं। यह उस महान व्यक्ति की
![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/-%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%80_5.jpg?itok=Wt50cONq)
पंजाब : जमीन से उपजा जहरीला रसायन
Posted on 15 Jul, 2011 04:25 PMकभी अच्छी कृषि का आदर्श हुआ करता पंजाब अब खराब कृषि का एक मॉडल बन कर रह गया है ।
जो बोया सो कट रहा है
Posted on 09 May, 2011 03:04 PMपंजाब की खेती किसानी का सबसे बड़ा संकट आज यही है कि वह प्रकृति से अपनी रिश्तेदारी का लिहाज भूल गई है। पवन, पानी और धरती का तालमेल तोड़ने से ढेरों संकट बढ़े हैं। सारा संतुलन अस्त-व्यस्त हुआ है। पंजाब ने पिछले तीन दशकों में पेस्टीसाइड का इतना अधिक इस्तेमाल कर लिया कि पूरी धरती को ही तंदूर बना डाला है।
पंजाब सदियों से कृषि प्रधान राज्य का गौरव पाता रहा है। कभी सप्त सिंधु, कभी पंचनद तथा कभी पंजाब के नाम से इस क्षेत्र को जाना गया है। यह क्षेत्र अपने प्राकृतिक जल स्रोतों, उपजाऊ भूमि और संजीवनी हवाओं के कारण जाना जाता था। प्रकृति का यह खजाना ही यहां हुए हमलों का कारण रहा है। देश के बंटवारे के बाद ढाई दरिया छीने जाने के बावजूद बचे ढाई दरियाओं वाले प्रदेश ने देश के अन्न भंडार को समृद्ध किया है। किसानी का काम किसी भी देश या कौम का मूल काम माना गया है। हमारी परंपराओं में किसान को संसार का संचालन कर्ता माना गया है। यह भी कहा गया कि किसान दूसरे कामों में व्यस्त उन लोगों को भी जीवन देते हैं, जिन्होंने कभी जमीन पर हल नहीं चलाया। यह भी कहा गया है कि जो मात्र अपने ही पेट तक सीमित है, वह पापी है। मात्र स्वयं के पेट का मित्र स्वार्थी और महादोशी है। किसान का काम अपने लिए तो जीविका कमाना है ही, दूसरों के लिए भी रोटी का प्रबंध करना है। वह धरती को अपनी छुअन मात्र से उसके भीतर छिपी सृजन शक्ति को मानव मात्र की जरूरतों के अनुसार जगाता है।![Pesticide spraying](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Pesticide%20spraying_1_5.jpg?itok=vrnRwVTC)
चिनाब
Posted on 26 Feb, 2011 11:14 AMकश्मीर से लौटते समय पैर उठते ही नहीं थे। जाते समय जो उत्साह मन में था, वह वापस लौटते वक्त कैसे रह सकता था?![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/chenab_0_5.jpg?itok=YjTSbXnG)
पानी नहीं होगा तो क्या होगा
Posted on 06 Jan, 2011 09:35 AMक्या आपने कभी सोचा है कि धरती पर से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो चेतें।
भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं, क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं।
उत्तराखंडः प्रकृति नहीं विकास को कोसें
Posted on 15 Oct, 2010 03:43 PM अनियंत्रित और मैदानी प्रकृति का विकास उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहा है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि पड़ोस में लगी आग यदि हम नहीं बुझाएगें तो हमारा घर भी जल कर भस्म हो जाएगा। पूरा उत्तरी भारत इस बार उत्तराखंड की बाढ़ की भयावहता का विस्तार बन कर रह गया। इस विभीषिका का पुनरावृति रोकने के लिए आवश्यक भी है कि पहाड़ों को नैसर्गिक रूप से बचे रहने दिया जाए।-का.सं.सितम्बर के तीसरे सप्ताह की अखण्ड बारिश ने पूरे उत्तराखण्ड को तहस-नहस करके रख दिया था। अनुमान है कि इस दौरान दो सौ लोग तथा एकाध हजार पशु मारे गए। एक हजार मकान और फसल से भरे खेत भी नष्ट हो गए थे और अनेक सड़कें भी बह गई। वर्ष 1956, 1970 एवं 1978 में भी इस प्रकार की बारिश हुई थी। लेकिन तब इस प्रकार की तबाही नहीं हुई थी। मेरे बचपन में जहां गोपेश्वर गांव की आबादी 500 थी वह आज 15000 हो गई है। नए फैले हुए गोपेश्वर में बरसात के दिनों में टूट-फूट एवं जल-भराव की घटना कभी कभार होती रहती हैं लेकिन जो पुराना गांव है उसमें अभी तक इस प्रकार की गड़बड़ी नहीं के बराबर है। गोपेश्वर मन्दिर के नजदीक भूमिगत नाली पानी के निकास के लिए बनी थी जिसमें जलभराव की नौबत ही नहीं आती थी।तबाही के बांध
Posted on 29 Sep, 2010 09:26 AMऐसा लगता है कि देश के प्रसिद्ध बांध भाखड़ा का, जिसे गोविंद सागर भी कहते हैं, संचालन तदर्थ और कामचलाऊ ढंग से किया जा रहा है, जो असंख्य लोगों और उनकी जीविका के लिए तो खतरनाक है ही, इस बांध से जिन क्षेत्रों में जलापूर्ति हो रही है, वहां भी भारी संकट उत्पन्न हो सकता है। इसका ताजा उदाहरण इसी महीने तब दिखा, जब बांध की दीवार पर झुकाव देखा गया। यह 1988 की विनाशकारी घटना का दोहराव लगता है, जब भीषण बाढ़ के![title=](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/VichaarNewsImage.aspx_0_7.jpeg?itok=KVbTlf9y)