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पंजाब
जल संकट के समाधान की राह
Posted on 21 Sep, 2010 09:03 AMहरित क्रांति के दिनों यानी 1960 के दशक के मध्य से ही पंजाब के गेहूं और चावल के खेत भारतीयों के पेट भर रहे हैं। लेकिन भारत के जल संसाधनों को सुखाए बिना इन फसलों के लिए पानी उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। भारत और अमेरिका के कृषि विज्ञानी और अध्येता मिलकर इसी चुनौती के समाधान में जुटे हैं।
आखिर क्यों उफन जाती हैं नदियां
Posted on 28 Aug, 2010 07:27 AM
मई-जून के महीनों में जब तीन-चौथाई देश पानी के लिए त्राहि -त्राहि कर रहा था, पूर्वोत्तर राज्यों में भी बाढ़ से तबाही का दौर शुरू हो चुका था। अभी बारिश के असली महीने सावन की शुरुआत है और लगभग आधा हरियाणा, पंजाब का बड़ा हिस्सा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार का बड़ा हिस्सा नदियों के रौद्र रूप से पानी-पानी हो गया है।
धू-धू जलते पंजाब के सगुण और निर्गुण
Posted on 11 Aug, 2010 12:46 PMपंजाब के प्रत्येक चुनाव में बिजली, पानी, बीज, कीटनाशकों पर सब्सिडी की मांग बढ़ती जाती है। पिछले चुनाव में तो पंजाब पर सबसे अधिक राज करने वाले किसान परिवार के मुख्यमंत्री की पार्टी ने मुफ्त आटे तक की घोषणा कर डाली थी। सोचिए तो जरा कृषि के मॉडल राज्य में किसानों के लिए ही मुफ्त आटे की घोषणा!
पंजाब की धरती को कोयला बनाने के लिए अब पराए हाथों की आवश्यकता नहीं। यह काम अब निरंतर उस धरती के जाये हम लोग ही कर रहे हैं। किसान को सदियों से अपने यहां धरतीपुत्र माना जाता रहा है। लेकिन मान्यताएं तो बाजारी दौर में शायद शो-रूम में लगे जालों सी दिखती हैं, इसलिए जल्दी ही हटा दी जाती हैं। पंजाब का किसान भी अब इन फोकट विचारों से मुक्त हुआ है। वह वर्ष में दो बार अपनी उसी धरती को आग के हवाले कर देता है, जिससे वह साल भर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए फसल लेता है। अब पंजाब की पूरी कृषि योग्य भूमिघग्गर बिक गयी माटी के मोल
Posted on 15 Jul, 2010 08:48 AMपंजाब के बंटवारे में झेलम और चेनाब अलग हुई तो दुख सहलाने को मालवा व बांगर को अलग करने वाले घग्गर दरिया को याद कर कहा जाने लगा कि आज भी हमारे पास चार नदियां तो हैं। लेकिन बंटवारे को एक शताब्दी भी न बीती कि सदियों से मालवा की लाइफ लाइन बनी घग्गर नदी गंदे नाले में कब बदल गई किसी को खबर नहीं हुई।
सरकार तो नहीं पर चौकन्ने हैं संत सीचेवाल
Posted on 13 Jul, 2010 08:37 AM
इस साल मौसम विभाग का आकलन बिल्कुल सही साबित हुआ है कि अबकी बार सावन पूरी तरह से झूम कर आने वाला है। पंजाब बिजली की कमी से थर्राया हुआ है। सरकार को इस बात की ही बहुत खुशी है कि यदि सचमुच मानसून झमाझम बरसा तो बिजली की कमी वाली कमजोरी को सावन ढंक देगा। पर इसके आगे की भी सोची है सरकार ने कि बरसने वाले पानी का और क्या लाभ लिया जा सकता है?
करोड़ों के तालाब खुदे, पानी का अता पता नहीं
Posted on 12 Jul, 2010 10:58 AMअमर उजाला टीम के व्यापक सर्वे में यह पाया गया है कि तालाब तो काफी खुदे पर उनमें पानी नहीं है। तालाब का काम एक सामान्य समझ की जरूरत मांगता है कि तालाब तो खुदे पर उसमें पानी कहां से आएगा उसका रास्ता भी देखना होगा। सामान्यतः जो तालाब मनरेगा में खुदे हैं, उनमें कैचमेंन्ट का ध्यान रखा नहीं गया है। उससे हो यह रहा है कि तालाब रीते पड़े हैं।केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ‘मनरेगा’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना को दूसरे चरण में शहरों में भी लागू करने के लिए बेताब दिख रही है, लेकिन इसके पहले चरण में जिस तरीके से काम हो रहा है उससे गांवों की दशा में बड़े बदलाव की उम्मीद बेमानी ही लगती है। करोड़ों रुपये के खर्च से सैकड़ों पोखरे एवं तालाब खुदे लेकिन उसमें पानी भरने के लिए महीनों से बरसात का इंतजार हो रहा था। कारण कि पानी भरने का बजट मनरेगा में है ही नहीं। सड़कें बनीं, पर गरीबों के रास्ते अब भी कच्चे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के कई जिलों में मनरेगा के कामों की पड़ताल में यही हकीकत सामने आई है। मजदूरों की अहमियत जरूर बढ़ी है, अब दूसरी जगह भी उन्हें डेढ़ सौ रुपये तक मजदूरी मिल जाती है।
भटिण्डा में कैंसर के लिये यूरेनियम भी एक कारण हो सकता है
Posted on 03 May, 2010 09:37 AMपंजाब का एक प्रमुख जिला है भटिण्डा, जो कपास उत्पादन के लिये मशहूर है। पिछले कुछ वर्षों से इस जिले में मृत्यु दर में असाधारण वृद्धि देखी गई है। तलवण्डी साबो के गियाना, मलकाना और जज्जल गाँव सर्वाधिक प्रभावित हैं। विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं जैसे पब्लिक एनालिस्ट पंजाब, जन स्वास्थ्य और कल्याण विभाग पंजाब, पंजाब प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, खेती विरासत, ग्रीनपीस इंडिया आदि ने अपना ध्यान इस
कीड़ों की मौत मरते पंजाब के किसान
Posted on 01 May, 2010 02:35 PMकीटनाशकों की वजह से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों के संबंध में ठोस वैज्ञानिक साक्ष्यों ने पंजाब सरकार को कैंसर के मामलों के पंजीकरण हेतु मजबूर कर दिया है। इस संबंध में पूर्व में जारी अनेक रिपोर्टों के अलावा दो ताजा रपटों ने भी राज्य में इससे मानव स्वास्थ्य की बिगड़ती स्थिति को उजागर किया है। पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कीटनाशकों की वजह से किसानों के डी.एन.