डॉ. महेश परिमल

डॉ. महेश परिमल
पानी की आत्मकथा
Posted on 14 Jun, 2012 12:22 PM
जल ही जीवन है यह एक वैज्ञानिक सत्य है। आज कल की परिस्थिति यह हो गयी है की पानी के लिए हर जगह त्राहिमाम मचा हुआ है गर्मी में खाना मिले या न मिले पर पानी जरुर चाहिए। पानी की समस्या सिर्फ शहरों या महानगरों में ही नहीं अब तो गाँवो में भी पीने का पानी सही ढंग से नई मिल पा रहा है। हम पानी की समस्या से इतने जूझ रहे हैं फिर भी हम पानी का सही इस्तेमाल कैसे करें या पानी को कैसे ज्यादा से ज्यादा बचाएं इसक
देश की नदियों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कब्जा!
Posted on 10 Apr, 2012 11:24 AM

जल योजना के तहत अभी इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों पर अपना कब्जा जमा लिया है। हमार

पानी पंजाब का, रोगी राजस्थान के
Posted on 23 Aug, 2011 03:44 PM

नदियां दिलों को जोड़ती हैं, नदियां दो संस्कृतियों का मेल कराती हैं, नदियां परस्पर भाईचारा बढ़ाती हैं, नदियां देश की जीवन रेखा होती हैं, इन तमाम जुमलों से हटकर यदि यह कहा जाए कि नदियां दूसरे राज्यों के लोगों को बीमारी बनाती हैं, उन्हें कैंसर की बीमारी देती हैं, लोगों को मौत के मुहाने तक पहुंचाती हैं, तो अतिशयोक्ति न होगी। आपका सोचना सही है कि नदियों के बारे में ऐसा कहना उचित नहीं है। पर सच यही ह

अब नदियां जीवन नहीं मौंत देती हैं
टाट की प्याऊ में पानी से भरे लाल घड़े
Posted on 24 May, 2011 01:05 PM

पहले गांव, कस्बों और शहरों में अनेक प्याऊ देखने को मिल जाती थीं, जहां टाट से घिरे एक कमरे में र

हरित क्रांति से कैंसरग्रस्त हुए पंजाबी पुत्तर
Posted on 29 Apr, 2010 08:18 PM

क्या आपको पता है कि हमारे देश में एक ट्रेन ऐसी भी चलती है, जिसका नाम ‘कैंसर एक्सप्रेस’ है? सुनने में यह बात हतप्रभ करने वाली है, पर यह सच है, भले ही इस ट्रेन का नाम कुछ और हो, पर लोग उसे इसी नाम से जानते हैं। यह ट्रेन कैंसर बेल्ट से होकर गुजरती है। यह ट्रेन भटिंडा से बीकानेर तक चलती है। इसमें हर रोज कैंसर के करीब 70 यात्री सफर करते हैं। जानते हैं यह यात्री कहाँ के होते हैं?
ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ता खतरा और उपाय
जानिए कैसे हम ग्लोबल वार्मिंग को रोकने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उपाय अपना सकते हैं | Get information about measures to stop global warming in hindi.
Posted on 04 Oct, 2008 08:41 PM


कंक्रीट का जंगल?

जो पानी की बरबादी करते हैं, उनसे मैं यही पूछना चाहता हूँ कि क्या उन्होंने बिना पानी के जीने की कोई कला सीख ली है, तो हमें भी बताए, ताकि भावी पीढ़ी बिना पानी के जीना सीख सके। नहीं तो तालाब के स्थान पर मॉल बनाना क्या उचित है? आज हो यही रहा है। पानी को बरबाद करने वालों यह समझ लो कि यही पानी तुम्हें बरबाद करके रहेगा। एक बूँद पानी याने एक बूँद खून, यही समझ लो। पानी आपने बरबाद किया, खून आपके परिवार वालों का बहेगा। क्या अपनी ऑंखों का इतना सक्षम बना लोगे कि अपने ही परिवार के किस प्रिय सदस्य का खून बेकार बहता देख पाओगे? अगर नहीं, तो आज से ही नहीं, बल्कि अभी से पानी की एक-एक बूँद को सहेजना शुरू कर दो। अगर ऐसा नहीं किया, तो मारे जाओगे।

ग्लोबल वार्मिंग
कमजोर ‘लैला’ से प्रभावित हो सकता है मानसून
Posted on 12 Jul, 2010 10:10 AM
चारों ओर लैला की ही चर्चा है। हर कोई लैला के बारे में ही बात कर रहा है। कोई इसे जबर्दस्त चक्रवाती तूफान करार देता है, तो कोई इसके कमजोर होने पर राहत महसूस कर रहा है। अब तक करीब 25 जानें लेने वाला यह तूफान भले ही कमजोर पड़ गया हो, पर सच तो यह हे कि इसके हमारे मेहमान मानसून का मिजाज बिगाड़ दिया है। अब मानसून हमसे रुठ जाएगा, जो पहले आने वाला था, अब उसे आने में कुछ देर हो जाएगी। हमारे देश में मानसून एक ऐसी शक्ति है, जो अच्छे से अच्छे बजट को बिगाड़ सकती है। कोई भी तुर्रमखाँ वित्तमंत्री इसके बिना अपना बजट बना ही नहीं सकता। पूरे देश का भविष्य मानसून पर निर्भर करता है। इसलिए इस बार मानसून को लेकर की जाने वाली तमाम भविष्यवाणियों को प्रभावित कर
तृप्ति वो ही प्याऊ वाली
Posted on 26 May, 2010 09:45 PM

समाज में कई परंपराएँ जन्म लेती हैं और कई टूट जाती हैं। परंपराओं का प्रारंभ होना और टूटना विकासशील समाज का आवश्यक तत्त्व है। कुछ परंपराएँ टूटने के लिए ही होती हैं पर कुछ परंपराएँ ऐसी होती हैं, जिनका टूटना मन को दु:खी कर जाता है और परंपराएँ हमारे देखते ही देखते समाप्त हो जाती हैं, उसे परंपरा की मौत कहा जा सकता है।
अब हवा से पानी बनाइए और पीजिए
Posted on 31 Oct, 2009 12:56 PM

पीने के पानी की किल्लत दूर करने के लिए अब एक अनोखी मशीन बनाई गई है। यह मशीन हवा से पानी निकालती है। उम्मीद की जा रही है कि माइक्रोवेव के बाद यह सबसे उपयोगी घरेलू मशीन की खोज साबित होगी।

वॉटर मिल
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