पंजाब

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पंजाब के भूमिगत पानी की 10 वर्ष की रिपोर्ट तलब
Posted on 22 Mar, 2015 12:55 PM राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई
अपना मूल पछाण
Posted on 03 Mar, 2015 04:14 PM पुराण, इतिहास गवाह हैं कि अपनी जड़ों से कट कर सब चेतन-अचेतन मुरझा जाते हैं। मूल से कट कर मूल्य कभी बचाए नहीं जा सके। सभ्यताएँ, परम्पराएँ, समाज भी हरे पेड़ों की तरह होती हैं। उन्हें भी अच्छे विचारों की खाद, सरल मन जल की नमी, ममता की आँच और प्रकृति के उपकारों के प्रति कारसेवक-सा भाव ही टिका के रख सकता है। इन सब तत्वों के बिना समाज के भीतर उदासी घर करने लगती है।

पंजाब आज इसी उदासी का शिकार है। अनुभव कहता है कि जब भी कोई समाज अपने को अपने से काट कर अपना भविष्य संवारने निकलता है तो उसमें परायापन झलकने लगता है। परायेपन को बनावटीपन में बदलते देर नहीं लगती। आज ऐसा ही परायापन हरित क्रान्ति के मारे और नशों में झूमते पंजाब के कोने-कोने में देखने को मिलता है। परायापन एक गम्भीर समस्या है, बेशक वो घर का हो या समाज का। उससे सबकी कमर झुकने लगती है।
‘जपुजी’ की साक्षी नदी
Posted on 26 Dec, 2014 03:50 PM

बाबा बलबीर सिंह 160 किलोमीटर ‘काली वेईं’ को पुनः निर्मल कर सनातन परंपराओं की पूर्ण स्थाप

पंजाब : क्रान्ति से कैंसर तक
Posted on 12 Dec, 2014 03:42 PM ग्रेटर नोएडा का मामला न तो पहला है और न ही अन्तिम। यह पूँजीवादी विकास मॉडल का नतीजा है। यह पहले ही पंजाब में हरित क्रान्ति के नाम पर कैंसर ला चुका है।

.उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के गाँवों में जिस प्रकार कैंसर जैसी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ सामने आ रही हैं, वैसी घटनाएँ पंजाब में पिछले करीब दो दशक से देखी जा रही हैं। विभिन्न संगठनों की पहल के बाद उम्मीद थी कि हालत में सुधार आएगा, लेकिन स्थिति सुधरने के बावजूद बिगड़ती ही जा रही है।

अब पंजाब के मालवा क्षेत्र में प्रतिदिन एक आदमी कैंसर और हेपटाइटिस सी की चपेट में आ रहा है, जबकि सरकार और कम्पनियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। समझा जा सकता है कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा हो सकता है।
कारसेवा का करिश्मा : निर्मल कालीबेई
Posted on 21 Oct, 2014 01:28 PM होशियारपुर के धनोआ गांव से निकलकर कपूरथला तक जाती है 160 किमी लंबी कालीबेई। इसेे कालीबेरी भी कहते हैं। कुछ खनिज के चलते काले रंग की होने के कारण ‘काली’ कहलाई। इसके किनारे बेरी का दरख्त लगाकर गुरुनानक साहब ने 14 साल, नौ महीने और 13 दिन साधना की। एक बार नदी में डूबे, तो दो दिन बाद दो किमी आगे निकले। मुंह से निकला पहला वाक्य था: “न कोई हिंदू, न कोई मुसलमां।’’ उन्होंने ‘जपजीसाहब’ कालीबेईं के किनारे ही रचा। उनकी बहन नानकी भी उनके साथ यहीं रही। यह 500 साल पुरानी बात है।

अकबर ने कालीबेईं के तटों को सुंदर बनाने का काम किया। व्यास नदी इसे पानी से सराबोर करती रही। एक बार व्यास ने जो अपना पाट क्या बदला; अगले 400 साल कालीबेईं पर संकट रहा।
<i>संत सीचेवाल के मेहनत से साफ हुई नदी</i>
समाज का संतुलन बिगाड़ता पानी का असंतुलित बंटवारा
Posted on 24 Jul, 2014 10:14 AM मॉनसून संकट के बीच हरियाणा में पानी को लेकर हरियाणा में चार बड़ी खबरें आईं।

एक : नहरी पानी को लेकर हुए संघर्ष में मुआना गांव के किसानों के दो गुटों में हुई गोलीबारी में एक किसान की मौत हो गई जबकि छह गंभीर रूप से घायल हो गए।
पंजाब-हरियाणा में धान, मक्के के किसान संकट में
Posted on 20 Jul, 2014 09:17 AM केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की धान की रोपाई सीधे करने और कम करने की सला
झज्जर नदी के प्रदूषण पर पंजाब व हरियाणा सरकार को नोटिस
Posted on 07 Jun, 2014 03:57 PM राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने झज्जर नदी के प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताई है। आयोग ने इस मामले में पंजाब और हरियाणा दोनों सरकारों को नोटिस जारी किए हैं। मीडिया की एक खबर का संज्ञान लेते हुए आयोग ने यह कदम उठाया है। खबर में बताया गया था कि दो राज्यों में बहने वाली झज्जर नदी प्रदूषित जलस्रोत में बदल चुकी है। नतीजतन झज्जर के किनारे बसे पंजाब के मानसा जिले के 20 गांवों के भूजल का रंग नीले से काला हो
ਬੀਜ ਵਿਰਾਸਤ ਆਪਣੀ ਯਾਰੋ, ਕੰਪਨੀਆਂ ਨੂੰ ਧੱਕਾ ਮਾਰੋ!
Posted on 08 Nov, 2013 01:16 PM ਉਹ ਤਾਂ ਭਲਾ ਹੋਵੇ ਕੁੱਝ ਭਲੇਮਾਣਸ ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ ਦਾ ਜਿੰਨ੍ਹਾ ਨੇ ਇਹਨਾਂ ਕੰਪਨੀਆਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪਾਣੀ ਹੋ ਗਏ ਨੇ ਜ਼ਹਿਰੀ
Posted on 07 Nov, 2013 10:18 AM ਮਨੁੱਖ ਹੋਂਦ ਲਈ ਪਾਣੀ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਤੇ ਸਵੱਛਤਾ ਲਾਜ਼ਮੀ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਜੀਵਨ ਨਹੀਂ ਚਿਤਵਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ, ਕਿਉਂਕਿ ਪਾਣੀ ਆਰਥਿਕ ਤਰੱਕੀ, ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਉੱਨਤੀ, ਤੰਦਰੁਸਤ ਸਿਹਤ ਤੇ ਅਧਿਆਤਮਕ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ। ਗੁਰਬਾਣੀ ਵਿੱਚ ਇਸ ਪ੍ਰਸੰਗ 'ਚ ਪ੍ਰਮਾਣ ਵੀ ਮਿਲਦੇ ਹਨ,ਪਵਣੁ ਗੁਰੂ ਪਾਣੀ ਪਿਤਾ

ਮਾਤਾ ਧਰਤਿ ਮਹਤੁ
ਜਾਂ
ਜਲ ਬਿਨੁ ਸਾਖ ਕੁਮਲਾਵਤੀ
ਉਪਜਹਿ ਨਾਹੀ ਦਾਮ
ਪਹਿਲਾ ਪਾਣੀ ਜਿਉ ਹੈ
ਜਿਤੁ ਹਰਿਆ ਸਭ ਕੋਇ
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