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पंजाब
चुनौती को हमेशा अवसर में बदला जा सकता है
Posted on 27 Sep, 2013 12:35 PMविभाग ने इस प्रोजेक्ट के तहत फिरोजपुर के सुधियां और चुरियां गाँवों में स्वयंसहायता समूह बनाए। इन्हें प्रशिक्षण दिया। दुनिया के ज्यादातर जलस्रोत जलकुंभी की समस्या से ग्रस्त हैं। यह बेहद आम समस्या है। लेकिन केरल राज्य ने न सिर्फ इस समस्या पर नियंत्रण का तरीका खोज लिया बल्कि उससे पैसे कमाने का रास्ता भी निकाल लिया है। कैसे? इसका जवाब है कि जलकुंभी को पानी से निकाल कर दो सप्ताह तक सुखाया जाता है। फिर सूखी जलकुंभी के बंडल बनाकर उन्हें उन महिलाओं को दिया जाता है जिन्होंने इस प्रोजेक्ट के तहत प्रशिक्षण हासिल किया है। शरणजीत कौर, राजवंत कौर, गुरमीत कौर। ये सभी पंजाब के चुरियां गांव की रहने वाली हैं। ब्यास और सतलज नदी के संगम पर यह गांव स्थित है। ये तीनों उन 100 महिलाओं में शामिल हैं जो बिना निवेश किए ही उज्जवल भविष्य की तरफ बढ़ रही हैं। इन्होंने अब तक सिर्फ अपने समय का ही निवेश किया है। कुछ महीने घर से दूर रहकर ट्रेनिंग हासिल करने में। कुछ महीने परियोजना को सफल बनाने में। हालांकि इस काम से पैसे अभी नहीं आ रहे हैं लेकिन वे जानती हैं अगले कुछ महीने में काफी आमदनी होने वाली है। यही नहीं वे इसे लेकर भी खुश हैं कि उन्होंने सदियों पुरानी समस्या का हल खोज लिया है। चुरियां गांव के गुरुद्वारे में अक्सर काम करने वालों का समूह इस नई परियोजना और उसके परिणामों पर चर्चा करता दिख जाता है। साथ ही यह भी कि और किस तरह एक-दूसरे की मदद की जा सकती है।जीवन की पाठशाला
Posted on 29 Aug, 2013 03:35 PMशिक्षा जब कारोबार की जगह सरोकार से जुड़ती है तो क्या चमत्कार हो सकता है, यह बताता है पंजाब के गुरदासपुर जिले में चल रहा एक अनोखा कॉलेज।कालीबेई संत का सत्कर्मण
Posted on 25 Mar, 2013 04:36 PM2003 में कालीबेई की दुर्दशा ने संत की शक्ति को गुरु वचन पूरा करने की ओर मोड़ दिया-पवन गुरु, पानी पिता, माता धरती
ਪੰਜਾਬ ਜ਼ਹਿਰੀ ਧਰਤੀ ਕਾਰਣ ਨਸਲਕੁਸ਼ੀ ਵੱਲ
Posted on 25 Jan, 2013 11:47 AMਅਚਾਨਕ ਮੋਬਾਈਲ ਦੀ ਘੰਟੀ ਖ਼ੜਕੀ। ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਬਾਬਾ ਦਿਲਬਾਗ ਸਿੰਘ ਮੁਖੀ ਖਾਲਸਾ ਮਿਸ਼ਨ ਕੌਂਸਲ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਫਤਹਿ ਬੁਲਾਈ। ਹਾਲ ਚਾਲ ਪੁੱਛਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਨ•ਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪਸਰੇ ਭਾਰੀ ਕੈਂਸਰ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਲਈ। ਮੈਂ ਆਖਿਆ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਬਚਣਾ ਬਹੁਤ ਮੁਸ਼ਕਲ ਹੈ, ਜੇਕਰ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਪੰਜਾਬੀ ਜਾਗ੍ਰਿਤ ਨਾ ਹੋਏ। ਜਥੇਦਾਰ ਦਿਲਬਾਗ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਸ ਬਾਰੇ ਡਾਕੂਮੈਂਟਰੀ ਫ਼ਿਲਮ ਬਣਾਈ ਜਾਵੇ ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਚੈਨਲਾਂ 'ਤੇ ਚਲਾਉਣ ਦਾ ਮੇਰਾ ਇਰਾਦਾ ਹੈ। ਬਾਬਾ ਦਿਲਬਾਗ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕपंजाब की रक्ताभ छठी नदी
Posted on 29 Nov, 2012 10:16 AMपांच नदियों से घिरे पंजाब का अतीत जितना सुखद है वर्तमान उतना ही दुखद। अपनी उपजाऊ भूमि और उन्नत खेती की वजह से यह इलाका सदियों से खुशहाल रहा। लेकिन भारत-पाक बंटवारे के साथ ही इसकी उपजाऊ भूमि भी टुकड़ों में बंट गई। यह विभाजन रेखा पंजाब के लिए मुसीबत साबित हुई। इसकी दास्तान बता रहे हैं कश्मीर उप्पल।पंजाब, फारसी के शब्द पंज और आब यानी पांच नदियों के पानी के संयोग से मिलकर बना है। यह माना जाता है कि दक्षिण एशिया की शुरुआती सभ्यता का विकास यहीं हुआ था।
पंजाब के पानी में यूरेनियम का जहर
Posted on 24 Jul, 2012 04:35 PMपांच नदियों का राज्य ‘पंच-आब’ पंजाब अब बे-आब हो रहा है। पंजाब इस समय एक बेहद गम्भीर पर्यावरणीय खतरे और सामूहिक स्वास्थ्य पर संकट का सामना कर रहा है और जीवन दाँव पर लगे हैं। जल प्रदूषक यूरेनियम, आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट आदि का खतरा समूचे पंजाब पर मंडरा रहा है लेकिन पंजाब का “मालवा क्षेत्र” इससे अधिक प्रभावित होने वाला है क्योंकि इसका क्षेत्रफल भी बड़ा है और इलाके में जनसंख्या भी अधिक है। विभउपजाऊ मिट्टी खाते शहर
Posted on 13 Jul, 2012 04:53 PMवैज्ञानिक शोधों से सिद्ध हुआ है कि आर.ओ. पद्धति से भारी धातुएं जैसे आर्सेनिक, क्रोमियम, लोहा आदि की तरह यूरेनियम को दूर भी नहीं किया जा सकता है। पंजाब सरकार ने कई गांवों में आर.ओ. सिस्टम लगाये हैं जहां गरीबों को न्यूनतम मूल्य पर पीने का पानी दिया जाता है। पर पशु तो वही पानी पीते हैं जो तीन सौ फुट नीचे से खींचा जाता है। पशुओं के दूध में दूषित पानी का असर लोगों तक भी पहुंचता रहता है। पंजाब के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आर.ओ. सिस्टम से साफ किया पानी पीना समृद्ध और पढ़ा-लिखा होने की निशानी है। क्या यही है हमारा पंजाब?
रासायनिक खेती, नदियों और भूजल स्तर जैसे पर्यावरणीय विषयों पर लिखना किसी अंधेरे में चीख की तरह लगता है। टी.वी. और समाचारपत्रों में बढ़ता तापमान प्रतिदिन हेडलाइन्स बनता है। उसके साथ ही पंखों, कूलरों और एयरकंडीशनर के विज्ञापन भी बढ़ जाते हैं और उनकी बिक्री भी। परन्तु ओजोन-परत और घटता वन क्षेत्र हमारी चिन्ता का विषय नहीं बनता। शहरों और गांवों में नित नई खुलती दवाई की दुकानें अब हमें नहीं डरातीं। सिने अभिनेता आमिर खान ने 24 जून के ‘सत्यमेव जयते’ कार्यक्रम में रासायनिक खेती के ‘अभिशापों’ और जैविक खेती के ‘वरदानों’ को देश के सम्मुख रखा। लेकिन अभी तक समाज और सरकार की ऐसी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है कि कोई रासायनिक खेती के दुष्परिणामों से चितिंत हो। पंजाब को आधुनिक कृषि का मॉडल मानकर उसका अनुकरण करने से पूरे देश में भी रासायनिक और यांत्रिक खेती के दोष फैल गए हैं।संत के भगीरथ प्रयास से साफ हुई नदी
Posted on 09 Feb, 2012 10:36 AMसंत बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल जब भी नदी की हालत देखते तो बाकी श्रद्धालुओं की तरह उनका मन भी भारी हो जाता। एक दिन प
दक्षिणी पंजाब में कैंसर की महामारी
Posted on 07 Nov, 2011 09:21 AMकेंद्र सरकार को सबसे पहले समूचे मालवा क्षेत्र में हेल्थ इमरजेंसी घोषित करके कैंसर विशेषज्ञों तथा पर्यावरण विशेषज्ञों का एक उच्च स्तरीय दल वहां भेजना चाहिए। पूरे क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण आवश्यक है। हमें मालूम होना चाहिए कि ऐसे कौन से कैंसर कारक तत्व हैं, जिनकी वजह से ये बीमारियां फैल रही हैं। कैंसर पीड़ितों के इलाज के लिए राज्य सरकार केंद्र के सहयोग से कैंसर राहत कोष स्थापित कर सकती है।
पंजाब के दक्षिणी जिलों के किसान इस समय गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि राज्य और केंद्र, दोनों की ही सरकारें उनकी तकलीफ सुनने को तैयार नहीं हैं। सतलुज नदी के दक्षिण में मालवा क्षेत्र कृषि की दृष्टि से संपन्न इलाका है। यहां उपजने वाला अनाज पूरे देश का पेट भरता है। कपास की अच्छी खेती की वजह से इस इलाके को 'कॉटन बेल्ट' भी कहा जाता है लेकिन यहां के लहलहाते खेतों के पीछे एक दर्द भरी दास्तान छिपी हुई है। मालवा क्षेत्र के सात जिलों- भटिंडा, फरीदकोट, मोगा, मुक्तसर, फिरोजपुर और मानसा के किसानों को पिछले काफी समय से कैंसर और अन्य रोगों से जूझना पड़ रहा है।
ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ
Posted on 02 Oct, 2011 01:47 PM
आज भी खरे हैं तालाब (पंजाबी)
ਆਪਣੀ ਕਿਤਾਬ “ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ” ਵਿੱਚ ਸ਼੍ਰੀ ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਨੇ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਤਾਲਾਬੋਂ , ਪਾਣੀ - ਇਕੱਤਰੀਕਰਨ ਪੱਧਤੀਯੋਂ , ਪਾਣੀ - ਪ੍ਰਬੰਧਨ , ਝੀਲਾਂ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਅਨੇਕ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੀ ਸੱਮਝ , ਦਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਜਾਂਚ ਨੂੰ ਲਿਪਿਬੱਧ ਕੀਤਾ ਹੈ ।
ਭਾਰਤ ਦੀ ਇਹ ਹਿਕਾਇਤੀ ਪਾਣੀ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ , ਅੱਜ ਵੀ ਹਜਾਰਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਅਤੇ ਕਸਬੀਆਂ ਲਈ ਜੀਵਨਰੇਖਾ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹਨ । ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਦਾ ਇਹ ਕਾਰਜ , ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿੱਚ ਕਾਲੀ ਛਾਇਆ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਲ ਰਹੇ ਭੀਸ਼ਨ ਜਲਸੰਕਟ ਵਲੋਂ ਨਿੱਬੜਨ ਅਤੇ ਸਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੱਮਝਣ ਵਿੱਚ ਇੱਕ “ਗਾਇਡ” ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਨੇ ਪਰਿਆਵਰਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ - ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸਾਲਾਂ ਤੱਕ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਰਤਮਾਨ ਵਿੱਚ ਉਹ ਗਾਂਧੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਠਾਨ , ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਨਾਲ ਕਾਰਜ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਿਤਾਬਾਂ , ਖਾਸਕਰ “ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ” ਅਤੇ “ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੀ ਰਜਤ ਬੂੰਦਾਂ” , ਪਾਣੀ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾ ਉੱਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਕਿਤਾਬਾਂ ਵਿੱਚ ਮੀਲ ਦੇ ਪੱਥਰ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੈ ,