मध्य प्रदेश

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तालाबों ने सहेजी कई नस्लें
Posted on 23 Jul, 2015 03:33 PM पर्यावरण और जैव विविधता का आपस में बहुत मजबूत सम्बन्ध है। अच्छे पर्यावरण में ही विविध प्रजातियों को पनपने की क्षमता होती है। पर्यावरण यदि प्रदूषित होगा तो वहाँ किसी भी सूरत में जैव विविधता के लिए खतरा ही होगा। जैव विविधता से आशय है जन्तुओं और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियाँ निरापद रूप में अपने सहअस्तित्व में फले-फूले। लेकिन जिस तरह से हमारे आस-पास का पर्याव
Agriculture
बढ़ती आबादी से बनी बसाहटों ने नर्मदा में बढ़ाया प्रदूषण
Posted on 21 Jul, 2015 03:41 PM

धार। जिले सहित नर्मदा पट्टी के सभी क्षेत्रों में तेजी से जनसंख्या बढ़ते जा रही है। धार जिले में एक दशक पूर्व जो आबादी करीब 17 लाख थी वह बढ़कर अब करीब 22 लाख हो गई है। इसमें 761 पंचायतों व 11 नगरीय निकायों में बसे इस जिले में हर जगह से नर्मदा नदी के पानी की माँग उठने लगी है। यह अलग विषय है कि संसाधनों की कमी के चलते फिलहाल दोहन कम हो पा रहा है। जनसंख्या के कारण सबसे बड़ी समस्या जो उपजी है। वह प्रदू

Narmada
7266 करोड़ से भी नहीं बुझी बुंदेलखण्ड की प्यास
Posted on 21 Jul, 2015 01:22 PM

बुंदेलखण्ड जल-पुरुष ने 2 वर्ष पूर्व लिया था गोद

dry bundelkhand
फ्लोराइड उन्मूलन के बीच जिन्दगी
Posted on 11 Jul, 2015 05:34 PM

मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित धार जिला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। लेकिन यह पहले से ही पानी के संकट से जूझने वाला जिला है। यहाँ जनवरी से लेकर जून तक हर साल पानी का संकट खड़ा होता है। जिले का उत्तरी भाग मालवा अंचल में आता है। इसका मध्य भाग विंध्याचल में और दक्षिणी भाग नर्मदा घाटी से जुड़ा हुआ है।

Fluoride in Madhya Pradesh
फ्लोरिसिस की चपेट में आदिवासी
Posted on 09 Jul, 2015 05:03 PM झाबुआ मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित 3782 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। पहाड़ी ढलानों पर बसे इस आदिवासी बहुल जिले में प्राकृतिक संसाधनों का विपुल भण्डार है। जिले के पूरब में राज्य के सीमाई जिले बड़वानी, धार व रतलाम हैं तो पश्चिमी सीमा गुजरात राज्य तथा पश्चिम-उत्तरी सीमा राजस्थान राज्य से लगती है। यह जिला मध्यम वर्षा मण्डल के तहत आता है।

जिले के उत्तरी भाग में हथिनी नदी व दक्षिणी भाग में अनास नदी बहती है। यहाँ पर सागोन, खेर, महुआ, ताड़ी व बाँस के पेड़ बहुतायत में हैं। लाइम स्टोन, डोलामाइट, केल्साइट आदि यहाँ की प्रमुख खनिज सम्पदा हैं। मेघनगर जिले का मुख्य औद्योगिक क्षेत्र है।
कहानी तीन नटखट बच्चों की
Posted on 06 Jul, 2015 04:33 PM यह कहानी झाबुआ जिले के जाने माने गाँव जशोदा खुमजी की है। इस गाँव ने पिछले तीन सालों में अपनी एक खास पहचान बना ली है। उन्होंने यह पहचान फ्लोरोसिस के खिलाफ अपने अभियान की वजह से बनाई है। यह एक छोटा सा गाँव है, यहाँ के सभी लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं और एक दूसरे के सुख-दुख में हमेशा साथ देते हैं।
बड़ीछतरी
Posted on 06 Jul, 2015 03:35 PM धार जिले के 65 परिवारों वाले बड़ीछतरी गाँव में चार हैण्डपम्प और दो कुएँ हैं। हैण्डपम्प के पानी में फ्लोराइड की सान्द्रता काफी अधिक है 0.56-7.93 के बीच जो स्वीकृत सीमा 1.5 मिग्रा प्रति लीटर से कई गुना अधिक है। दो कुओं में से एक निजी कुआँ है जिसे गाँव के हर लोग इस्तेमाल नहीं कर सकते और दूसरा सरकारी कुआँ गाँव से दो किमी दूर है। इससे जाहिर है कि सुरक्षित पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम के लागू होने से पहले पू
कालापानी
Posted on 06 Jul, 2015 01:13 PM मध्य प्रदेश के धार जिले के मनावर प्रखण्ड के गरीब आदिवासी गाँव के लोगों ने सोचा नहीं था कि उन्हें कभी पीने के लिये स्वच्छ जल नसीब होगा। यह गाँव स्केलेटल फ्लोरोसिस से सबसे अधिक संख्या में प्रभावित लोगों वाले गाँव के तौर पर जाना जाता है।
सुरक्षित जलापूर्ति – लोगों के लिये आशा की किरण
Posted on 06 Jul, 2015 11:36 AM धार जिला मध्य प्रदेश के दक्षिणी आदिवासी इलाके में स्थित है। यह एक सूखा प्रभावित जिला है जो न सिर्फ नियमित तौर पर जल संकट की समस्या से जूझता है बल्कि यहाँ के भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्रा भी काफी अधिक है, जिसकी वजह से हड्डियाँ टेढ़ी कर देने वाले फ्लोरोसिस रोग का यहाँ प्रकोप रहता है। यहाँ के लोग भूमिगत जल पर आश्रित हैं जिसमें फ्लोराइड की सान्द्रता काफी अधिक पाई जाती है।

सिंचित खेती में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ यहाँ भूमिगत जल के स्तर में गिरावट आने लगी, लिहाजा लोगों को और गहराई तक जाने के लिये मजबूर होना पड़ा। बिजली ने काफी अधिक गहराई से पानी बाहर निकालने की सुविधा उपलब्ध करा दी है, जिसकी वजह से अधिक दूषित भूजल बाहर आने लगा है।
कागजों पर खोदे मनरेगा के कुएँ
Posted on 03 Jul, 2015 01:13 PM महात्मा गाँधी के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। पंचायतों ने पैसा हड़पने के लिए ऐसे–ऐसे तरीके ईजाद किये हैं कि सुनने वाले भी चकित रह जाते हैं। कई पंचायतों में तो सरपंच–सचिव और जनपद के कुछ अफसरों–कर्मचारियों की मिली-भगत से बड़े–बड़े कारनामें हुए हैं। ऐसे ही एक कारनामे का खुलासा सूचना के अधिकार
narega irregularity
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