बढ़ती आबादी से बनी बसाहटों ने नर्मदा में बढ़ाया प्रदूषण

Narmada
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धार। जिले सहित नर्मदा पट्टी के सभी क्षेत्रों में तेजी से जनसंख्या बढ़ते जा रही है। धार जिले में एक दशक पूर्व जो आबादी करीब 17 लाख थी वह बढ़कर अब करीब 22 लाख हो गई है। इसमें 761 पंचायतों व 11 नगरीय निकायों में बसे इस जिले में हर जगह से नर्मदा नदी के पानी की माँग उठने लगी है। यह अलग विषय है कि संसाधनों की कमी के चलते फिलहाल दोहन कम हो पा रहा है। जनसंख्या के कारण सबसे बड़ी समस्या जो उपजी है। वह प्रदूषण है। नर्मदा नदी के तटों के आस-पास काॅलोनियों का विकास हो रहा है। नदियों के कैचमेंट एरिये में अतिक्रमण हो रहा है। इन सब परिस्थितियों में नर्मदा नदी के प्रति चिन्ता पैदा की है।

प्रदेश में नर्मदा नदी नर्मदा नदी होकर बह रही है। इन क्षेत्रों के किनारे तेजी से आबादी बढ़ी है। इसके परिणामस्वरूप नर्मदा नदी पर प्रभाव पड़ा है। आमतौर पर जनसंख्या विस्फोट को इस नजरिए से नहीं देखा जाता है। यह समस्या केवल धार की नहीं है। पूरे प्रदेश में जहाँ से भी नर्मदा गुजर रही है वहाँ यही हाल है। प्रदेश में जहाँ भी आबादी का घनत्व ज्यादा है वहाँ पर नदी में प्रदूषण अधिक है। दो साल पहले जारी की गई एक रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा हुआ था कि आबादी की अधिकता वाले इलाकों में नर्मदा पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

 

ये है आबादी बढ़ने के नतीजे


1. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के आधिकारिक सूत्रों की बात मानें तो आबादी के कारण नर्मदा की निर्मलता पर खतरा बढ़ा है।
2. तेजी से नदी किनारे ग्रामीण व शहरी आबादी बढ़ रही है। इस वजह से नदी के पानी में नालियों का गन्दा पानी तेजी से पहुँचने लगा है।
3. शहरीकरण का नतीजा है कि उद्योग नदी किनारे स्थापित हो रहे हैं और उद्योगों का पानी भी सीधे तौर पर नदी में ही जा रहा है।
4. नर्मदा नदी की जो भी सहायक नदियाँ हैं उनके कैचमेंट एरिये में अतिक्रमण होने से नदी में पानी कम पहुँचता है।
5. नदी के पानी का तेजी से दोहन सिंचाई के लिए हो रहा है। सिंचाई के कारण जहाँ नदी पर पानी का दोहन अधिक हो रहा है। वहीं रासायनिक खादों के उपयोग से उसमें प्रदूषण भी बढ़ा है।
6. 39 सहायक नदी के कैंचमेंट एरिये में हो रहा है अतिक्रमण।

 

आबादी का संयमित होना जरूरी


जनसंख्या के दबाव से ज्यादा महत्त्वपूर्ण आबादी का संयमित होना जरूरी है। आबादी कम होगी तो भी प्रदूषण हो सकता है। आबादी ज्यादा हो और संयमित रहती है तो नर्मदा की निर्मलता को लेकर कोई चिन्ता नहीं होगी। आबादी के मामले में वैसे भी नर्मदा नदी पर निर्भरता प्रति वर्ग किमी देखें तो वह अन्य नदियों की तुलना में कम ही है। सबसे अहम मुद्दा यह है कि अतिक्रमण और प्रदूषण दोनों से बचाव के लिए जनमानस को तैयार करना होगा। नदी के प्रति लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है।

डाॅ. अनिल माधव दवे, प्रमुख नर्मदा समग्र

 

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