शक्ति मनीष वैद्य

शक्ति मनीष वैद्य
बारिश में भी पानी खरीदना पड़ रहा है दलितों को
Posted on 06 Sep, 2015 04:00 PM

जल संकटइन दिनों भले ही बारिश

water crisis
चन्द्रकेशर बाँध लबालब तो खिले किसानों के चेहरे
Posted on 21 Aug, 2015 11:05 AM

जलस्रोत अपने इलाके की तकदीर रचते हैं। यह बात एक बार फिर साबित हुई है। करीब पाँच साल बाद इस बार अच्छी बारिश से चन्द्रकेशर बाँध लबालब भर गया है। इससे आस-पास के गाँवों के करीब साढे तीन हजार से ज्यादा किसानों के चेहरे पर चमक आ गई है। बाँध में इतना पानी आ जाने से अब यह पक्का हो गया है कि यहाँ की जमीनें अब रबी की फसलों के रूप में सोना उगलेंगी। इस बाँध के आसपास से करीब 10 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन में र

chandrakeshar dam
600 करोड़ खर्च करने के बाद भी पानी नहीं, अब सहेजेंगे कुएँ-बावड़ियाँ
Posted on 18 Aug, 2015 10:12 AM

मध्यप्रदेश के महानगर इन्दौर की तेजी से बढ़ती हुई आबादी को पानी देने में नगर निगम के हाथ–पाँव फूल रहे हैं। बीते साल 600 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्चकर करीब 50 कि.मी.

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नारू रोग की आशंका से आदिवासी पशोपेश में
Posted on 18 Aug, 2015 09:42 AM
डॉ बीएस बघेल बताते हैं कि उन्हें शुरू से ही लग रहा है कि यह नारू क
water
गाँव में आसान हुआ पानी तो सपने भी हुए पूरे
Posted on 16 Aug, 2015 12:11 PM

करीब 15 साल पहले वह शादी के बाद जब से दुल्हन बन कर इस गाँव में आई थी, तब से थोड़े दिनों पहले तक उसकी जिन्दगी धुँआ–धुँआ सी ही थी। जैसे जिन्दगी इन थोड़े ही दिनों में उसे बोझ सी लगने लगी थी। अल सुबह से पानी की चिन्ता सताने लगती तो रात को सुबह जल्दी उठने की चिन्ता बनी ही रहती। इस गाँव में घर के लिए जरूरी पानी जुटाना जैसे बड़ी मशक्कत से कम नहीं हुआ करता था। वह ह

water
भोपाल का बड़ा ताल भी हो रहा प्रदूषितः एनजीटी नाराज
Posted on 14 Aug, 2015 01:22 PM
अपनी अप्रतिम सुन्दरता और बड़े आकार जैसी खासियतों से भोपाल का बड़ा तालाब एशिया के बड़े जलस्रोतों में गिना जाता है। पूरा भोपाल शहर इसी 31 किमी क्षेत्रफल में फैले बड़े ताल के आस-पास बसा है। शहर के बीचो-बीच जब इसका नीला पानी ठाठे मारता है तो पूरे शहर के बाशिंदे अपना तनाव भूलकर इसकी ऊँची–ऊँची लहरों को उठते–गिरते टकटकी लगाए देखने लगते हैं। हर शाम इसके किनारों पर हजारो
Bhopal tal
कागजों पर नदी-नालों और जंगल में बना दिए खेत
Posted on 13 Aug, 2015 11:42 AM
60 साल के सिद्धूजी इस बात से बेहद खुश थे कि अब वे भी अपनी जमीन के खुद मालिक बनेंगे। दूसरों के खेत में मजदूरी करते हुए उनकी कई पीढियाँ गुजर चुकी है। लेकिन अब उनके भाग जगे हैं, देर से ही सही। उन्हें सरकार ने बकायदा पट्टा लिखकर अपने ही गाँव की 5 बीघा जमीन का मालिक भी करार दे दिया। ख़ुशी के मारे वे रात भर खुली आँखों से सपने देखता रहे। पर दूसरे ही दिन उनके सारे सप
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