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लखनऊ जिला
अविरल-निर्मल एवं सजला गोमती की जरूरत क्यों
Posted on 12 Mar, 2014 04:43 PMकभी टेम्स नदी एक विशाल एवं प्रदूषित नाले में तब्दील हो चुकी थी। लेकिन जागरूकता और अनुशासन के जरिए आज यह सब नदियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है। हमें भी यह सोचना होगा कि गोमती नदी आखिर कैसे अपना पुराना स्वरूप और प्रतिष्ठा वापस प्राप्त कर सकती है। इसके लिए निश्चय ही तात्कालिक उपाय पर्याप्त एवं प्रभावकारी नहीं हो सकते, क्योंकि रोग के निदान तथा उपचार से अधिक उससे बचाव की अधिक आवश्यकता है। जो संपूर्ण जीवन शैली द्वारा निर्धारित होता है।
गोमती अपने जल से भारत के सबसे बड़े एवं उपजाऊ समतल बेसिन में रहने वाले उ.प्र. के लाखों लोगों का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूपों से पालन एवं भरण-पोषण हजारों सालों से करती आ रही है। इन भौतिक सम्पदाओं के अतिरिक्त गोमती वेद-पुराण, उपनिषद आदि ग्रन्थों द्वारा प्रतिष्ठित अनादि काल से मोक्षदायिनी उद्घोषित हो चुकी है।जिस देश में गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, सिन्धु तथा कावेरी के पवित्र जल के सन्निधान की प्रत्येक जल में कामना रहती है, उस देश में नदियां असहाय सी अपनी रक्षा के लिए देश की जनता का मुख देख रही हैं। दुर्भाग्यवश आज धरती पर जल की मात्रा का तो निरंतर ह्रास हो ही रहा है, साथ ही शुद्ध जल की मात्रा अत्यंत अपर्याप्त है।
जल के परंपरागत स्रोत विशेषतः मानवकृत धर्म के परिणामस्वरूप उत्खनित तालाब, कुएँ, बावली आदि नष्टप्राय हैं। पर्वतों से छेड़छाड़ के कारण निर्झर-स्रोतों में भी न्यूनता आई है।
उ.प्र. में नदियों को पुनर्जीवित करने में समाज और सरकार का सहयोग जरूरी
Posted on 02 Mar, 2014 10:50 AMजल-जन-जोड़ो अभियान तथा परमार्थ समाज सेवी संस्थान के तत्वावधान में जल सुरक्षा, नदी पुनर्जीवन हेतु जल समझीलों की एक वेदनामयी दुनिया
Posted on 08 Feb, 2014 10:29 PMयह देश हमारा था,तालाब, नदी और झरनों से।
नहरें और पोखर खूब बने,
कुदरत के अजब खिलौने से।।
यहां कुमुद कुमदनी खिलते थे,
रातों को चकई रोती थी।
मिलने को चकवा व्याकुल था,
रातों को दुनियां सोती थी।।
मिलन हुआ न रातों में,
वे सुबह उजालों में मिलते थे।
चकई चकवा की अमर कहानी,
जल बचाएं, पृथ्वी बचाएं...
Posted on 21 Dec, 2013 04:36 PMथोड़ी कोशिश करें...तो आप भी ‘पानी के संरक्षण’ में दे सकते हैं अपना योगदान।इस बरसात में धरती का पानी लौटाइए!
खोजना ही होगा बिजली का विकल्प
Posted on 01 May, 2013 10:35 AM भारत अगले दस साल में 8-9 फीसद वृद्धि का लक्ष्य पाने का इरादा रखता28 को लखनऊ में बनेगी 20 नदियों की प्रदूषण मुक्ति कार्ययोजना
Posted on 01 Apr, 2013 09:16 AMतिथि : 28 अप्रैल 2013
स्थान : जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केन्द्र (लखनऊ)
नदियों को लेकर चिंतित कई शख़्शियतें समग्र चिंतन के लिए आगामी 28 अप्रैल को लखनऊ में एकजुट होंगी। इनमें सर्वश्री न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय, गंगा एक्शन परिवार के स्वामी चिदानंद ‘मुनीजी’, राज्यसभा सदस्य अनिल माधव दवे, प्रसिद्ध स्तंभकार भरत झुनझुनवाला, भारत सरकार के पूर्वजल संसाधन सचिव माधव चितले, गंगा प्रदूषण मुक्ति को लेकर सक्रिय वर्तमान भाजपा उपाध्यक्ष उमा भारती, यमुना रक्षक दल के अध्यक्ष महंत जयकृष्ण दास और लखनऊ के महापौर डॉ. दिनेश शर्मा प्रमुख हैं। नदी पर समग्र चिंतन का यह राष्ट्रीय अवसर जुटाने की पहल ‘लोक भारती’ नामक संगठन ने की है।
खेत सींचने लायक भी नहीं रहा गंगाजल
Posted on 22 Mar, 2013 03:35 PM ताज़ा अध्ययन में यह बात सामने आ चुकी है कि गंगा का जल तो हरिद्वारउ. प्र. नदी प्रदूषण मुक्ति, ग्राम प्रधानों की भूमिका और आगे
Posted on 25 Oct, 2012 10:13 AM छोटी नदियों की प्रदूषण मुक्ति में जब खुद समाज का पसीना लगेगा; उसक‘उत्तम प्रदेश’ में जारी अमानवीय कुप्रथा
Posted on 30 Aug, 2012 12:21 PMसरकार और सामाजिक संगठन अगर ईमानदारी से वास्तव में मानवता के लिए शर्मनाक इस पेशे के उन्मूलन के प्रति संजीदा हैं त