डॉ. वेंकटेश दत्ता

डॉ. वेंकटेश दत्ता
समग्र नदी-संस्कृति एवं पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन के लिए 14 नदी-सूत्र
Posted on 08 Jul, 2014 01:59 PM
40-50 साल पहले बिना किसी फंडिंग, प्रोजेक्ट या एक्शन प्लान के हमारी नदियां साफ थीं, निर्मल थीं, अविरल थीं और हमारे गांव के लाखों किसान अपनी जिम्मेदारी को अपने कंधो पर लेकर पानी का काम करते रहे। विकास ने हमारी पारंपरिक समझ और हिस्सेदारी को चुनौती दी और आज हम सब नदियों में साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। नदी, नाव और गांव की संस्कृति की समझ पर विश्वास कर हम अगर जन भागीदारी से योजना बनाएं और सामाजिक जागरूकता से लोगों को जोड़े तो हम काफी हद तक गंगा नदी को अविरल, निर्मल और नैसर्गिक बना सकते हैं। नदियों को पहले बेजान कर उन्हें पुनर्जीवित करने की कोशिश के बजाय, हमें उन्हें शुरू से ही स्वस्थ रखना होगा। नदियों की रक्षा अपने बच्चों की रक्षा करने जैसी है। हम सबको स्वस्थ रहने के लिए, हमारी नदियों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है।

भारत की अधिकांश नदियां मृत हो रही है, यह हमारे अस्तित्व के लिए एक बुरा संकेत है। एक नदी की स्थिति पारिस्थितिक तंत्र की स्थिति को प्रतिबिंबित करती है, जिसका हम एक अविभाज्य हिस्सा है और यह वास्तविकता है कि यदि हमारी नदियां मृत होती रही तो हम भी अधिक काल तक जीवित नहीं रहेंगे।

एक नदी कैसे मृत हो जाती है? अत्यधिक जल के दोहन से नदियां सूख रही हैं अथवा सूखाग्रस्त होने के कगार पर हैं , नदियों में अपशिष्ट एवं विषाक्त जल प्रवाहित करने से नदियों में हर प्रकार का जीवन नष्ट हो रहा है , इसके जल को हमने इतना गंदा कर दिया है की हम अब इनके किनारों पर स्नान-ध्यान, मनोरंजन, तथा धार्मिक अनुष्ठान को करना बंद कर दिया है।
गोमती की जुबानी...
Posted on 13 Mar, 2014 10:31 AM
मै कक्षप वाहिनी हूं। अतः कक्षप गति से अपने उद्गम स्थल गोमत ताल से प
अविरल-निर्मल एवं सजला गोमती की जरूरत क्यों
Posted on 12 Mar, 2014 04:43 PM

कभी टेम्स नदी एक विशाल एवं प्रदूषित नाले में तब्दील हो चुकी थी। लेकिन जागरूकता और अनुशासन के जरिए आज यह सब नदियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है। हमें भी यह सोचना होगा कि गोमती नदी आखिर कैसे अपना पुराना स्वरूप और प्रतिष्ठा वापस प्राप्त कर सकती है। इसके लिए निश्चय ही तात्कालिक उपाय पर्याप्त एवं प्रभावकारी नहीं हो सकते, क्योंकि रोग के निदान तथा उपचार से अधिक उससे बचाव की अधिक आवश्यकता है। जो संपूर्ण जीवन शैली द्वारा निर्धारित होता है।

गोमती अपने जल से भारत के सबसे बड़े एवं उपजाऊ समतल बेसिन में रहने वाले उ.प्र. के लाखों लोगों का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूपों से पालन एवं भरण-पोषण हजारों सालों से करती आ रही है। इन भौतिक सम्पदाओं के अतिरिक्त गोमती वेद-पुराण, उपनिषद आदि ग्रन्थों द्वारा प्रतिष्ठित अनादि काल से मोक्षदायिनी उद्घोषित हो चुकी है।

जिस देश में गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, सिन्धु तथा कावेरी के पवित्र जल के सन्निधान की प्रत्येक जल में कामना रहती है, उस देश में नदियां असहाय सी अपनी रक्षा के लिए देश की जनता का मुख देख रही हैं। दुर्भाग्यवश आज धरती पर जल की मात्रा का तो निरंतर ह्रास हो ही रहा है, साथ ही शुद्ध जल की मात्रा अत्यंत अपर्याप्त है।

जल के परंपरागत स्रोत विशेषतः मानवकृत धर्म के परिणामस्वरूप उत्खनित तालाब, कुएँ, बावली आदि नष्टप्राय हैं। पर्वतों से छेड़छाड़ के कारण निर्झर-स्रोतों में भी न्यूनता आई है।
बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय
हिमालय एक भूकंप-प्रवण क्षेत्र है। यहां तक कि कम क्रम वाला भूकंप भी इस क्षेत्र के कई हिस्सों में भीषण आपदा को जन्म दे सकता है। भारत, नेपाल और भूटान में हिमालय की 273 जलविद्युत परियोजनाओं में से लगभग एक चौथाई में भूकंप और भूस्खलन से गंभीर क्षति होने की आशंका है। सड़क चौड़ीकरण और जल विद्युत परियोजनाओं के बेलगाम विकास से हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना होगा। पर्यावरणीय नियमों का पालन न करने से बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी पलक झपकते ही ख़तम हो सकती है।
Posted on 21 Oct, 2023 11:37 AM

ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर, हिमालयी ग्लेशियर ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। हिमालयी क्षेत्र में हिमपात और हिमनद पूरे उपमहाद्वीप में विभिन्न नदियों के लिए पानी के मुख्य स्रोत हैं। ये स्रोत ब्रह्मपुत्र, सिंधु और गंगा जैसी नदी प्रणालियों में पानी के सतत प्रवाह को बनाए रखने में मदद करते हैं। एक अरब से अधिक लोगों का जीवन इन नदियों पर निर्भर है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, हिमालय के ग्लेशियर

बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय,pc-सर्वोदय जगत
गंगा को जान-बूझकर मारा जा रहा है–राजेन्द्र सिंह
राजेन्द्र सिंह, जिन्हें जलपुरुष और पानी बाबा के रूप में सम्मानित किया जाता है, 1 जनवरी को बनारस में पहुंचे। उनका उद्देश्य था कि वे काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के नाम पर हो रही राजनीतिक हंगामे की सच्चाई को सामने लाएं और गंगा के किनारे हो रहे विकास कार्यों का मूल्यांकन करें। बनारस को सुंदरता से सजाने के लिए सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए फोटो और वीडियो से लोगों को मुग्ध करने का प्रयत्न हुआ है। लोग समझते हैं कि बनारस में समृद्धि का संकेत है, और गंगा में प्रकृति से मेल है। परंतु, हमने मणिकर्णिका और ललिता घाट पर पहुंचकर, समस्या की हकीकत से मुकाबला किया। नए-नए खिड़किया घाट की प्रतीक्षा में हम पहुंचे, पर हमें मिला तो सिर्फ निराशा ही निराशा। राजेन्द्र सिंह क्रोध से लाल-पीले हो कर कहते हैं, कि गंगा को जान-बूझकर मारा जा रहा है।
Posted on 19 Oct, 2023 03:05 PM

आज सुबह जब मैं बनारस में गंगा जी के घाटों पर गया, तो ललिता घाट से पैदल गुजरते हुए मैंने लक्ष्य किया कि दक्षिणवाहिनी गंगा जब बनारस में उत्तरवाहिनी होती है तो एक अर्द्धचन्द्राकार हार सी आकृति बनाती है. पहले वहां एक निरवरोध प्रवाह बना रहता था. ललिता घाट पर बनने वाला वह प्राकृतिक वृत्त, आज देखा तो नष्ट कर दिया गया है और वहां अब एक त्रिकोण सा निर्मित हो गया है.

वाराणसी के खिड़किया घाट पर गंगा के प्रवाह क्षेत्र के लगभग 50 मीटर भीतर चल रहा निर्माण,Pc-सर्वोदय जगत
बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय
हिमालय में भूकंप और भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। इन प्राकृतिक आपदाओं से हिमालय के जलविद्युत परियोजनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। हिमालय में 273 जलविद्युत परियोजनाओं में से 67 परियोजनाओं को भूकंप के प्रभाव से बचाने की जरूरत है। हिमालय की समृद्ध प्रकृति को सुरक्षित रखने के लिए, सड़कों का विस्तार और जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण सतर्कता से किया जाना चाहिए। पर्यावरणीय नियमों का पालन करने से हम हिमालय की सुंदरता को बरकरार रख सकते हैं
Posted on 19 Oct, 2023 02:48 PM

ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर, हिमालयी ग्लेशियर ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। हिमालयी क्षेत्र में हिमपात और हिमनद पूरे उपमहाद्वीप में विभिन्न नदियों के लिए पानी के मुख्य स्रोत हैं। ये स्रोत ब्रह्मपुत्र, सिंधु और गंगा जैसी नदी प्रणालियों में पानी के सतत प्रवाह को बनाए रखने में मदद करते हैं। एक अरब से अधिक लोगों का जीवन इन नदियों पर निर्भर है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, हिमालय के ग्लेशियर

बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय,pc-सर्वोदय जगत
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