लखनऊ जिला

Term Path Alias

/regions/lucknow-district

खोजे गंगा का प्रदूषण रोकने वाले पौधे
Posted on 20 Jun, 2011 12:57 PM

टाइफा, फैरामाइटिस मीफिया और सिपर्स पौधे करेंगे गंगा को शुद्ध

लखनऊ : एक पानी-लविंग सिटी
Posted on 31 May, 2011 11:44 AM

नमूनों की जांच में ज्यादातर जगह पानी से क्लोरीन गायब है। जनता नाराज है पर उससे क्या?

गोमती जो एक नदी थी
Posted on 23 May, 2011 03:36 PM

गोमती नदी की कलकल धारा लोगों की आस्था और विश्वास का संगम थी। उसका साफ और नीला अंजुलियों में भर कर लोग सर-माथे से लगाते थे। लेकिन प्रदूषण ने गोमती के जल को काला कर डाला है। नदी के अतीत और वर्तमान पर निगाह डाल रहे हैं हरिकृष्ण यादव।

दियरा में गोमती के दोनों किनारों को पुल ने मिला डाला था, यह देख कर खुशी हुई। साल में एक बार गोमती के पार जाना ही पड़ता है। पुल नहीं था तो नाव से गोमती पार करने के सिवा कोई चारा न था, लेकिन पुल के निर्माण से हुई खुशी नदी के तट पर पहुंचते ही काफूर भी हो गई। पहले जब भी जाना हुआ नाव पर चढ़ने से पहले साफ नीले जल से हाथ-पैर धोकर एक-दो घूंट पानी जरूर पीता था। पर इस बार पानी इतना गंदा था कि घूंट भरना तो दूर पांव तक धोने की इच्छा न हुई। वैसे तो हर साल जेठ के महीने में दशहरे के दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र गोमती में स्नान करते हैं। इस बार दशहरे पर नाले में बदल गई गोमती में श्रद्धालु डुबकी लगाने की आस्था कैसे निभाएंगे।
लोक-भारती संगठन की गोमती यात्रा (27 मार्च से 3 अप्रैल 2011 तक)
Posted on 11 Mar, 2011 10:48 AM

गोमती का संकट-


गोमती का जन्म नागाधिराज हिमालय की तलहटी में पीलीभीत से 30 किमी. पूर्व तथा पूरनपुर (पुराणपुर) से 12 किमी. उत्तर माधौटाण्डा के निकट फुलहर झील (गोमतताल) से हुआ है। गोमती अपने उद्गम स्थल से पावन गंगा मिलन तक 960 किमी. की यात्रा में 22735 वर्ग किमी. जलग्रहण क्षेत्र का वर्षा-जल संजोकर वाराणसी-गाजीपुर के मध्य मार्कण्डेश्वर महादेव के पास गंगा मैया की गोद में समा जाती है। गोमती तो अपनी पूर्ण वत्सलता के साथ हमारी प्यास बुझाती, खेतों को पानी व धरती को हरियाली देती तथा मानवता की फुलवारी को भरपूर सींचती है।

लेकिन हमने क्या किया?


हमने अपने मल-मूत्र (सीवर), गन्ना व अन्य फैक्ट्रियों, अस्पतालों का जहरीला, बदबूदार पानी उसमें प्रवाहित किया, प्लास्टिक, पॉलीथीन, पूजन सामग्री अवशेष डालकर गोमती
गंगा एक्सप्रेसवे को मंजूरी नहीं
Posted on 16 Feb, 2011 09:26 AM

लखनऊ गंगा एक्सप्रेस योजना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। मौजूदा पर्यावरणीय शर्तों के चलते राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने राज्य की मायावती सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को मंजूरी देने में अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। एक्सप्रेस वे का भविष्य अब केंद्र के पर्यावरण मंत्रालय के पाले में है, लेकिन महाराष्ट्र के लवासा प्रोजेक्ट व मुंबई की आदर्श सोसाइटी मामलों में पर्यावरण मंत्रालय के सख्त तेवरों को

गुरु दक्षिणा में लेते हैं पानी बचाने का संकल्प
Posted on 18 Jan, 2011 05:14 PM उम्र के जिस पड़ाव पर आदमी दुनियादारी और अपनी तथा अपने परिवार की भौतिक प्रगति के अलावा कुछ सोच नहीं पाता, उसमें भी उन्हें जल संरक्षण की चिंता है। न किसी की मदद न संरक्षण। उनकी पहचान है उनका दृढ़ निश्चय और उनके मददगार हैं बेटा शिवांग, बेटी दीक्षा और धर्मपत्नी मिथिलेश। इस शख्स का नाम है नंद किशोर वर्मा। राजधानी में पेशे से शिक्षक हैं। उम्र करीब 42 वर्ष। खास है कि वर्माजी की पाठशाला में बच्चों को किताब
गोमती: एक नदी की उदास कहानी
Posted on 03 Feb, 2010 08:42 AM लखनऊ। दरअसल गोमती अवध को परमेश्वर से वरदान के रूप में मिली नदी है। शिवपुराण में नदी को आदेश दिया गया है कि वह मां बन कर जनता का लालन-पालन करे। गोमती, प्रतिकूल परिस्थितियों में भी माता की भूमिका निभा रही है, यह बात दीगर है कि अवध खासकर लखनऊ के लोग अपनी भूमिका भूल चुके हैं। ऋग्वेद के अष्टम और दशम मण्डल में गोमती को सदानीरा बताया गया है। शिव महापुराण में भगवान आशुतोष ने नर्मदा और गोमती नदियों को अपनी
जलस्रोतों का संरक्षण करें
Posted on 18 Apr, 2009 07:30 PM

उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच का निर्देश

इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार को निर्देश दिया है कि आने वाले समय में जल की होने वाली कमी से निपटने के लिये समूचे उत्तरप्रदेश में झीलों, तालाबों और अन्य जलस्रोतों का संरक्षण और उचित संधारण किया जाये। जस्टिस देवीप्रसाद सिंह ने एक सुनवाई के दौरान यह निर्देश भी दिया कि यदि कोई क्षेत्र या भूमि का टुकड़ा किसी जलस्रोत या तालाब/झील के लिये आरक्षित
सफाई की मुहिम
Posted on 28 Jan, 2009 09:22 AM प्रयाग शुक्ल
मुंबई जैसे महानगर की लकदक छवियां, और जगह-जगह बिखरी गंदगी, एक -दूसरी को मुंह चिढ़ाती हैं। आगरा, जहां ताजमहल है, वहां का हाल तो बेहद चौंकाने वाला है।
पिछले कुछ वर्षों में हमारे नगरों-महानगरों में नई चाल की बहुतेरी चीजें आ गई हैं : लकदक मॉल, शॉपिंग सेंटर और शोरूम खुले हैं। कुछ महानगरों में मेट्रो (रेल) पर काम चल रहा है। खान-पान के रेस्तरां-होटल भी बड़ी तादाद में चारों ओर देखे जा सकते हैं। पेट्रोल पंपों को नया रूप मिला है। पर, इन्हीं के बीच गंदगी या कूड़े के ढेर भी बढ़े हैं।
नहरों के भरोसे नदियों को जीवनदान
Posted on 22 Sep, 2008 07:46 PM

अंबरीश कुमार/ लखनऊ के बगल में सई नदी सूखी तो उसे बचाने के लिए पानी भरा गया। लेकिन नदियों को बहाने के ऐसे औपचारिक प्रयास रारी नदी पर सफल नहीं हुए। नहर से छोड़ा गया पानी कुछ ही घंटों में सूख गया। सिचाईं विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि नदियों से नहरों को पानी मिलता है लेकिन अब सरकारी आदेश है इसलिए काश्तकारों के हिस्से का पानी नदियों में छोड़ा जा रहा है।

नदियों को बचाने के लिए नहरों से पानी छोड़ा जा रहा है
×