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हरियाणा
सूखते जलाशय
Posted on 17 Jun, 2010 09:04 AMपरंपरागत जल स्रोतों, वन क्षेत्रों और वन्य जीवों की सुरक्षा के दावे तो सरकारें बहुत करती हैं, पर हकीकत यह है कि इनसे संबंधित प्रयास घोषणाओं तक महदूद रह जाते हैं। पर्याप्त ध्यान न दिए जाने की वजह से अनेक झीलें, तालाब और दूसरे जल-स्रोत सूखते जा रहे हैं। जयपुर, उदयपुर आदि शहरों में पुरानी झीलों, तालाबों की उपेक्षा के कारण उनके सूखते जाने और फिर सरकार की मंजूरी से उन पर रिहाइशी और व्यावसायिक भवनो
सूखी यमुना एक त्रासदी
Posted on 11 May, 2010 12:29 PMयुग-युगान्तर से अविरल बहने वाली पवित्र यमुना नदी आज एकदम सूखी पड़ी है। पानीपत और दिल्ली के बीच पड़ने वाले सोनीपत और बागपत यमुना खादर में बिल्कुल एक बूंद का भी प्रवाह नहीं है। वास्तविकता यह है कि सरकारें पूरी तरह से यमुना के पर्यावरणीय प्रवाह की अनदेखी कर रही हैं। यमुना में पानी बिल्कुल रोक दिया गया है। बागपत और सोनीपत के पूरे यमुना खादर में पूरी गर्मियों में एक इंच का भी प्रवाह नहीं है। यमुना मेसमाज को पानी से जोड़ना ही होगा - ललित मोहन शर्मा
Posted on 24 Mar, 2010 12:18 PMविश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है। 20 मार्च को प्रसारित कार्यक्रम के हमारे मेहमान ललित मोहन शर्मा रहे। ललित जी सहगल फाउंडेशन के ‘Institute of rural research and development ’ से जुड़े वॉटर मैनेजमेंट एक्सपर्ट हैं। आप की शिक्षा आईआईटी दिल्ली से हुई है। आप वायर जैसे प्रतिष्ठित कंपनी में भी काम कर चुके हैं।
यह कार्यक्रम एआईआर एफएम रेनबो इंडिया (102.6 मेगाहर्टज) पर रोजाना 18-23 मार्च, 2010 तक समय 3:45- 4:00 शाम को आप सुन सकते हैं।
ऐतिहासिक कुएं की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया
Posted on 23 Dec, 2009 09:57 AMसिवानी मंडी. इलाके में ऐतिहासिक कुएं को पुर्नजीवित करने के उद्देश्य से समाजसेवियों ने कदम आगे बढ़ाए हैं। स्वामी दयानंद मार्ग स्थित यह कुआं आजादी से पहले का है और अब पिछले करीब 14 वर्षों से बंद पड़ा है। यह कुआं एक समय में सिवानी समेत दूर-दराज के इलाके के लोगों की प्यास बुझाता था।
हरियाणा में एक नई शुरुआत
Posted on 21 Dec, 2009 02:36 PMहरियाणा स्थित फरीदाबाद में एक जिमखाना क्लब है, जिसने अपने परिसर में वर्षा जल संग्रहण व्यवस्था करके तुरन्त ही फरीदाबाद में वर्षा जल संग्रहण अभियान छेड़ दिया है। दिल्ली के निकट होने के कारण यहां भी बड़ी तेजी से शहरीकरण हो रहा है। फरीदाबाद के सेक्टर 15ए स्थित इस क्लब ने एक खास तरह के फिल्टर का उपयोग किया है, जिससे बोर में सतह के पानी का पुनर्भरण होने से पहले गाद, मिट्टी साफ हो जाए। इस नई फिल्टर व्यवस्थफरीदाबाद: यहां यमुना का पानी है जहरीला
Posted on 21 Dec, 2009 09:07 AMभास्कर न्यूजफरीदाबाद. दिल्ली-फरीदाबाद से गुजरने वाली यमुना नदी का पानी करीब सात मीटर अंदर तक जहरीला हो गया है। इसके पानी से न नहाया जा सकता और न इसे पिया जा सकता। ओखला बैराज से यमुना का पानी आगरा गुड़गांव कैनाल से फरीदाबाद जिले से बहता हुआ आगे की ओर जाता है। लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते इसका पानी जहरीला हो जाता है।
हो सकती है सरस्वती पुनर्प्रवाहित
Posted on 09 Dec, 2009 09:26 AMभारतीय संस्कृति शोध पर आधारित है। भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज तथा परंपराएं वैज्ञानिक कसौटी पर खरी उतरती हैं, ये शब्द भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक डा. के. एन. श्रीवास्तव ने सरस्वती नदी शोध संस्थान द्वारा कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा।
गुड़गांव का पानी
Posted on 08 Dec, 2009 12:38 PMगुड़गांव के पानी की चिंता किसी के एजेंडे में नहीं है। केंद्रीय भूजल संरक्षण बोर्ड के नोटिफिकेशन की अनदेखी कर साइबर सिटी में गांवों, सेक्टरों, पाश कालोनियों, औद्योगिक क्षेत्र में भूजल दोहन बड़े पैमाने पर हो रहा है। भूजल दोहन यूं ही होता रहा तो एक दिन यहां भूजल स्रोत खत्म हो जाएंगे। तीस वर्ष पहले चकरपुर जोन में बने दो चैक डैम में पानी रहता था, वहां भूजल स्रोत सबसे अधिक नीचे है। चैक डैम में रेन वा
जल व पर्यावरण संरक्षण की योजना सिरे नहीं पकड़ सकी
Posted on 09 Nov, 2009 08:36 AMस्कूली स्तर पर जल और पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य लेकर बनाई गई लाखों रुपयों की योजनाएं धूल चाट गई है। विडम्बना की बात है कि करीब दो वर्ष पहले सरकारी स्कूलों में लाखों रुपये खर्च कर बरसाती पानी का संग्रह करने के लिए खुदवाए गए जल कुण्डों का अब नामोनिशान भी नहीं बचा है। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग ने जिस लक्ष्य के लिए सरकारी स्कूलों में इन कुण्डों की खुदाई करवाई थी, वह भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है।हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AMगंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।
तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।
गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।