भारतीय पक्ष

भारतीय पक्ष
कैसा जमाना आया, पानी बिक रहा है
Posted on 23 Dec, 2009 09:45 AM

-दिलीप बीदावत

पानी कितना अमूल्य धरोहर है, यह बात तो मरू वासियों के जहन में सदियों से बैठी हुई है। लेकिन अपनी प्यास बुझाने के लिये पानी का भारी मूल्य चुकाना पड़ेगा, यह कभी यहां के लोगों ने सोचा नहीं था। पानी की एक-एक बूंद के लिये मोहताज थार के रेगिस्तान में पानी के करोड़ों के कारोबार का कथन अविश्वसनीय लग सकता है, किंतु यह बात सत्य है।

Water Tanker
उत्तराखण्ड में पानी
Posted on 10 Nov, 2009 03:25 PM

उत्तराखण्ड में पानी का भयानक संकट विगत एक दशक से बना हुआ है। बारिश कम हो रही है। नदियों का जल स्तर लगातार घट रहा है। प्राचीन जल स्रोतो की स्थिति बद से बद्तर हो चुकी है। पहाड़ के नौले, धारे लगभग सूख चुके हैं।

एक आकंड़े के अनुसार उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक नगर अल्मोड़ा में सौ से अधिक नौले हैं। आज अल्मोड़ा पानी के लिए कोसी नदी पर पूरी तरह आश्रित है और कोसी नदी का जल स्तर सूख रहा है। उत्तराखण्ड में नदियों की हालत पल-पल

उत्तराखण्ड में पानी
वर्षा जल का कमाल
Posted on 18 Apr, 2009 06:59 AM

बैंको से मोटे-मोटे कर्ज लेकर किसानों ने पास के गांवों में सैंकड़ों बोरवैल लगाए। लेकिन इससे समस्या खत्म होने के बजाए और ज्यादा बढ़ गई। बोरवैल की संख्या तो बढ़ रही थी लेकिन पानी.... और घट रहा था। जिन किसानों के कुएं में पानी था वे दूसरे किसानों को सिंचाई के लिए 40-50 रु. प्रति घंटा पर पानी बेचकर पैसा बनाने लगे थे। परिणाम हुआ कि अब किसी के पास पानी नहीं था ...।
लापोड़िया : बदहाल गांव से हुआ खुशहाल गांव
Posted on 02 Mar, 2009 07:03 AM

-देवकरण सैनी
जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर दूदू से 25 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके का एक गांव है - लापोड़िया। यह गांव ग्रामवासियों के सामुहिक प्रयास की बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू-भाग को तीन तालाबों (देव सागर, फूल सागर और अन्न सागर) के निर्माण से जल-संरक्षण, भूमि-संरक्षण और गौ-संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है।

लापोड़िया
वर्षा जल संरक्षण का एक अभिनव प्रयोग
Posted on 28 Feb, 2009 01:57 PM
-दिल्ली ब्यूरो भारतीय पक्ष
जल संरक्षण हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है - संजय देशपांडे
Posted on 28 Feb, 2009 01:20 PM

डी.एस. कुलकर्णी समूह के सह प्रबंध निदेशक श्री संजय देशपाण्डे से भारतीय पक्ष ने वर्षा जल संरक्षण को लेकर उनकी भावी योजनाओं और दृष्टि के बारे में बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश-

प्रश्न : आपको अपार्टमेंट में जल संरक्षण तंत्र लगाने की प्रेरणा कहां से मिली? यह केवल एक व्यावसायिक नीति का परिणाम है या इसमें कुछ सामाजिक सोच भी है?

उत्तर : जल संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। यह केवल व्यावसायिक नीति नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक जिम्मेदारी भी है। देश के अनेक भागों में पानी की बढ़ती मांग और घटती उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन चुकी है। मैं स्वयं महाराष्ट्र
पानी कैसे खो गया?
Posted on 24 Feb, 2009 11:22 AM

जयेन्द्र शाह
घर की छत जगह-जगह से टपक रही थी। बारिश का पानी छत के कई बिंदुओं से बूंद-बूंद गिर रहा था। इसे रोकने का एक ही उपाय था, सिमेन्ट से छत की पूरी सतह को सख्त करना और छत में भरे हुए पानी को निकालने के लिए छत के किनारे की ओर दो-चार बड़े-बड़े छिद्र करना, जिससे पानी जल्द से नीचे उतर जाए।

घर की छत के लिए जो करना चाहिए वह हमने पूरे देश की पूरी भूमि के साथ कर दिया है, जो वास्तव में नहीं करना चाहिए था। भूमि की उपरी दस-बीस ईंच की परत की पूरी सतह को हमने कई तरीकों से
बावड़ियों ने सुलझाई पानी की समस्या
Posted on 23 Feb, 2009 09:42 AM

-विपिन दिसावर
‘बिन पानी सब सून’ यह कहावत शहरों के साथ-साथ गांवों और कस्बों और यहां तक कि जंगलों में भी लागू होती है। खासतौर पर संरक्षित वन क्षेत्रों में तो बिना पानी के वहां के आकर्षण को जीवंत रखना संभव ही नहीं है। ऐसे में बेहतर जल प्रबंधन का प्रयास ही कामयाब हो सकता है।

प्रत्येक स्तर पर हो जल संरक्षण
Posted on 21 Feb, 2009 07:03 AM

-रवि शंकर, भारतीय पक्ष

श्रीमती सविता गोखले (सचिव, अर्थकेयर फाउंडेशन) पर्यावरण प्रेमियों में एक जाना-माना नाम है। एक सफल व्यवसायी होने के बाद भी श्रीमती गोखले ने पानी की समस्या हेतु काम करना प्रारंभ किया। वे अर्थ केयर फाउंडेशन की कर्ताधर्ता हैं।
गंगा के लिए आमरण
Posted on 06 Feb, 2009 09:22 AM

प्रो. गुरुदास अग्रवाल
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