ऐतिहासिक कुएं की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया

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सिवानी मंडी. इलाके में ऐतिहासिक कुएं को पुर्नजीवित करने के उद्देश्य से समाजसेवियों ने कदम आगे बढ़ाए हैं। स्वामी दयानंद मार्ग स्थित यह कुआं आजादी से पहले का है और अब पिछले करीब 14 वर्षों से बंद पड़ा है। यह कुआं एक समय में सिवानी समेत दूर-दराज के इलाके के लोगों की प्यास बुझाता था।

कुएं की जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। कुछ समाजसेवी युवाओं ने कुआं बचाओ कमेटी का गठन करके न केवल कुएं की जमीन को बिना किसी प्रशासनिक सहायता के कब्जामुक्त करवाया बल्कि इसका जीर्णाद्वार करने का बीड़ा भी उठाया है।

कमेटी ने कब्जामुक्त करवाई गई जमीन के चारों तरफ चारदीवारी का निर्माण कर उसमें एक पार्क व पशुओं के लिए जोहड़ के अलावा कुएं को नए सिरे से शुरू करने का निर्णय लिया है। कमेटी का कहना है कि लोगों का सहयोग मिला तो वे खाली पड़ी कुएं की जमीन पर एक धर्मशाला का निर्माण भी करवाएंगे।

कुएं से जुड़ा है रोचक किस्सा
इस कुएं के साथ रोचक इतिहास जुड़ा है। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 1912 में मुस्लिम समुदाय के आलादिया, रहीम अली, गुलाम अली, नूर अहमद आदि ने सिवानी के तनसुख महाजन वल्द जोधा महाजन को 5 बीघा (करीब सवा एकड़) दान में दी थी। इसके पीछे उनकी शर्त थी कि दान की जमीन पर 2 साल के अंदर आमजन के लिए एक कुआं व धर्मशाला का निर्माण कराना होगा।

कुएं के पानी का कोई शुल्क नहीं होगा और पूरे क्षेत्र के लोगों को समर्पित करना होगा। धर्मशाला में हर राहगीर के लिए ठहरने की नि:शुल्क व्यवस्था करनी होगी। इस शर्त के अनुसार तनसुख महाजन ने अपने खर्चे से कुएं व धर्मशाला का निर्माण करा जनता को समर्पित कर दिया।

देखरेख के अभाव में जर्जर
1990 तक तो सब ठीक-ठाक चला लेकिन उचित जन सहयोग व देखरेख के अभाव में कुएं के पास बनाई गई धर्मशाला धराशायी हो गई। कुआं भी बुरी तरह से जर्जर हो गया। हालांकि शहर के सेठ पोलूराम पिछले 25 वर्षों से कुएं का बिजली का बिल भरते आ रहे हैं लेकिन 14 वर्ष पहले कुएं की जमीन के आसपास कुछ लोगों ने ईंटे डालकर अपना कब्जा जमा लिया था।

इसके खिलाफ कई संस्थाओं ने प्रशासन के समक्ष आवाज भी उठाई, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहे। कमेटी के प्रधान सुरेश कुमार खटक ने बताया कि कब्जामुक्त करवाई गई जमीन के चारों तरफ दीवार का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। कुएं की नए सिरे से सफाई व मरम्मत करवाई जाएगी।

कमेटी गठित

तीन पूर्व ही ऐतिहासिक धरोहर के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए कुआं बचाओ कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में डॉ. केके वर्मा को सरंक्षक व भागीरथ जांगड़ा को सहसरंक्षक बनाया गया है। इसके अलावा सुरेश खटक को प्रधान, सुनील वर्मा को उपप्रधान, रणबीर कोठारी को महासचिव, सतीश पंवार को सचिव, ओमप्रकाश ओला को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। सदस्यों में सांवरमल बंसल, अजीत बंसल, सतबीर बब्बल, खुशीराम जांगड़ा, सतबीर ग्रोवर व सुनील श्योराण को शामिल किया गया है।
 

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