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यमुना के गंदे पानी के खिलाफ पंचायत 19 को
Posted on 17 Jan, 2014 01:15 PM फरीदाबाद। मथुरा और बरसाने के यमुना रक्षक दल के बाद अब फरीदाबाद और पलवल जिले के लोगों ने यमुना मैया को गंदगी से मुक्त करने के लिए कमर कस ली है। यमुना शुद्धीकरण के लिए इलाके के लोगों की एक जल पंचायत 19 जनवरी को प्याला गांव में ग्राम सेवा समिति द्वारा आयोजित की जाएगी।

जल पंचायत के आयोजक सुरेंद्र चौहान, कर्नल वीके गौड़, कर्नल महेंद्र बीसला ने यहां प्रेस वार्ता में बताया कि केंद्र सरकार यमुना की सफाई पर 2400 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। फिर भी यमुना साफ नहीं हो सकी। सोनीपत तक यमुना के पानी का मानक तीन से पांच बीओडी पहुँचता है, लेकिन दिल्ली के बाद जब यमुना फरीदाबाद में पहुँचती है, तो उसका बीओडी लेवल बढ़कर 30 से 55 तक हो जाता है। इसका कारण है कि दिल्ली के 15 बड़े नालों की गंदगी बिना ट्रिटमेंट किए यमुना में मिल जाती है। कभी इस जिले के लोग यमुना का पानी पीते थे।
ग्राम पंचायतों की पेयजल सुरक्षा योजना संबंधी पुस्तिका
Posted on 11 May, 2013 12:39 PM ग्राम जलापूर्ति समिति (V.W.S.C.) का मुख्य दायित्व जल गुणवत्ता मानीटरिंग तथा निगरानी है। रोगाणु संक्रमण अस्वच्छता जनित अनेक रोगों जैसे डायरिया (दस्त), पेचिश, हैजा, टायफाईड आदि का कारण है। भूजल स्रोतों में फ्लोराइड एवं आर्सेनिक की अधिकता से फ्लोरोसिस एवं आर्सेनिक डर्मेटायटिस रोग भी उत्पन्न होने लगे हैं। ग्राम जलापूर्ति समिति को सुनिश्चित करना चाहिए कि नियमित रूप से जल के नमूने लिए जाएं एवं क्षेत्र प
ग्रामीण जल व स्वच्छता कमेटी की कार्य कुशलता बढ़ाने के लिए पुस्तिका
Posted on 11 May, 2013 10:37 AM जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन (वाटर एंड सेनिटेशन सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन) वासो, हरियाणा ने ग्रामीण जल एवं स्वच्छता कमेटी की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए एक पुस्तिका तैयार की है। जिसमें पानी के संरक्षण और परीक्षण तथा स्वच्छता के लिए कारगर साबित हो सके। पानी को टेस्ट करने की विधि के तहत पीने के पानी को जीवाणु रहित करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर या क्लोरीन का इस्तेमाल किया जाता है। कीटाणुओं को प्रभावी रूप से नष्ट
अब ग्रामीण खुद ही करेंगे थपाना नदी की पहरेदारी
Posted on 05 Oct, 2012 11:21 AM

अंतरराष्ट्रीय नदी दिवस पर लिया था गोद, कहा-न खुद पानी को प्रदूषित करेंगे, न होने देंगे


थपाना प्राकृतिक धारा को गोद लेने के दौरान नदी मित्र मंडली व यमुना सेवा समिति कनालसी के सदस्य।थपाना प्राकृतिक धारा को गोद लेने के दौरान नदी मित्र मंडली व यमुना सेवा समिति कनालसी के सदस्य।नदी, अक्षर सिर्फ ढाई हैं लेकिन इसके मायने बहुत बड़े हैं। नदी सिर्फ पानी का रास्ता भर नहीं है। यह संस्कृति है...जीवन है...सभ्यता है। नदी से सब जुड़ा है। जाहिर है, नदी नहीं तो सब गड़बड़। फिर इससे हम कैसे अछूते रह सकते हैं। यह तथ्य ग्रामीण जानते हैं तभी तो वह अपनी नदी को बचाने के लिए एकजुट हुए हैं।

नदियों व नहरों का अस्तित्व बचाने व उन्हें साफ सुथरा रखने के लिए सरकारों के प्रयास गति नहीं पकड़ रहे हैं और करोड़ों खर्च करने के बाद भी परिणाम शून्य ही मिल रहा है। यमुना सेवा समिति द्वारा नदियों को बचाने के लिए कई बार कार्य किया गया है और इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन से भी सहयोग की अपील की है।
रजवाहों में पानी नहीं, खेतों में दरारें
Posted on 01 Aug, 2012 03:49 PM

मानसून की देरी से रजवाहे जहां सूखे पड़े हैं, वहीं किसानों के खेतों में भी दरारें पड़ने लगी है। चौ.

यमुना भी एक नदी थी
Posted on 05 Jul, 2012 04:49 PM

हरियाणा जहां अपने कारखानों के जहरीले कचरे को दिल्ली भेज रहा है वहीं दिल्ली भी उत्तर प्रदेश को अपने गंदे नालों और सीवर का बदबूदार मैला पानी ही सप्लाई कर रही है। दिल्ली में यमुना की सफाई के नाम पर अब तक साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। ढाई हजार करोड़ रुपए अभी और खर्च होने हैं। दिल्ली में यमुना में अठारह बड़े नाले गिरते हैं, जिनमें नजफगढ़ का नाला सबसे बड़ा और सबसे अधिक प्रदूषित है। इस नाले में शहरी इलाकों के अड़तीस और ग्रामीण इलाकों के तीन नाले गिरते हैं।

यमुना से कृष्ण का अटूट नाता रहा है और इसकी पवित्रता को बरकरार रखने के लिए उन्होंने कालिया नाग को खत्म किया था। लेकिन द्वापर में प्रदूषित होने से बची यमुना कलयुग में जहर उगलते कारखानों और गंदे नालों की वजह से मैली हो गई है। यमुना की निर्मलता और स्वच्छता को बनाए रखने के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन इस पर कायदे से अब तक अमल नहीं हो पाया है। अपने उद्गम से लेकर प्रयाग तक बहने वाली इस नदी की थोड़ी-बहुत सफाई बरसात के दिनों में इंद्र देव की कृपा से जरूर हो जाती है। लेकिन यमुनोत्री से निकली इस यमुना की व्यथा बेहद त्रासद है। अतीत में यमुना को भी पवित्रता और प्राचीन महत्ता के मामले में गंगा के बराबर ही अहमियत मिलती थी। पश्चिम हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं की विभाजन रेखा बनी यह नदी पंचानवे मील का सफर तय कर उत्तरी सहारनपुर के मैदानी इलाके में पहुंचती हैं।
ई-कोलाई बैक्टीरिया की होगी जांच
Posted on 27 Apr, 2012 12:18 PM दिल्ली जैसे शहरों में पीने के पानी में सीवर के गंदे पानी के मिलने से ये खतरनाक बैक्टीरिया उत्पन्न हो रही हैं जिससे लोगों के पेट के भीतर ई-कोलाई बैक्टीरिया जहर रहा है, जो पेट की खराबी, हड्डियों को गलाने का बड़ा कारक माना जाता है। दिल्ली के 20 जगहों के नमूनों के साथ अब हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर में इस खतरनाक बैक्टीरिया का असर अब साफ दिख रहा है।
यमुनानगर निर्मल गांव में अव्वल
Posted on 27 Apr, 2012 11:15 AM हरियाणा में 330 गांव को निर्मल गांव घोषित किया गया हैं। सबसे ज्यादा संख्या यमुनानगर के 69 गांव की हैं। कुरुक्षेत्र के 50, अम्बाला के 49 और पानीपत के भी 30 गांव निर्मल की श्रेणी में हैं। नारनौल, गुड़गांव, फतेहाबाद, सिरसा व बहादुरगढ़ का एक भी गांव इस सूची से बाहर है। रेवाड़ी में महज एक और सीएम के गृह जिले रोहतक के सात ही गांव निर्मल में चुने गए हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में कार्यक्रम के दौरान गांवो
हरियाणा राज्य में जल संसाधनों के प्रबन्धन की समस्याएं एवं जीओइनफोरमेटिक्स तकनीक द्वारा इनका निदान
Posted on 24 Dec, 2011 03:46 PM जल संसाधनों के सतत विकास व प्रबन्धन के लिए इन संसाधनों की सही मात्रा का पता चलना तथा प्रयोग के स्तर के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण व शहरीकरण के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता पर लगातार विपरीत प्रभाव पड़ता जा रहा है। एक तरफ पानी की मांग बढ़ी है और दूसरी तरफ पानी की गुणवत्ता पर लगातार प्रदूषण का प्रकोप जारी है। नयी तकनीकों के प्रयोग से इन संसाधनों की मात्रा तथा प्रयो
उपजाऊ जमीन के बंजर होने का खतरा
Posted on 12 Nov, 2011 12:30 PM

पलवल जिले में कुछ इलाकों में पोटास, व नाइट्रोजन की कमी है तो कुछ इलाकों में जिंक की कमी है। जबक

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