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हरियाणा
नदियों पर अत्याचार का बदला है बाढ़
Posted on 15 Sep, 2010 10:31 AMकोसी नदी की प्रलयंकारी बाढ़ के बाद भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा था, बाढ़ सुरक्षा के लिए नदी प्रबंधन के काम को प्राथमिकता देने के सिवा हमारे पास कोई चारा नहीं है। दो साल पहले कोसी ने तटबंध तोड़कर अपनी धारा बदल ली थी और बिहार के करीब डेढ़ करोड़ लोगों के घर-बार और खेत-खलिहान छीन लिये थे। हाल ही में चीन और पाकिस्तान की भयंकर बाढ़ ने भी विशाल भूभागों को जलमग्न और ल
आखिर क्यों उफन जाती हैं नदियां
Posted on 28 Aug, 2010 07:27 AM
मई-जून के महीनों में जब तीन-चौथाई देश पानी के लिए त्राहि -त्राहि कर रहा था, पूर्वोत्तर राज्यों में भी बाढ़ से तबाही का दौर शुरू हो चुका था। अभी बारिश के असली महीने सावन की शुरुआत है और लगभग आधा हरियाणा, पंजाब का बड़ा हिस्सा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार का बड़ा हिस्सा नदियों के रौद्र रूप से पानी-पानी हो गया है।
चुनौती देती प्रलयंकारी बाढ़
Posted on 13 Jul, 2010 12:18 PMहरियाणा व पंजाब में गत् दिनों मॉनसून की शुरुआत में ही आई भारी बारिश तथा इसके बाद उत्पन्न हुई बाढ़ जैसी स्थिति के लिए एक बार फिर यही बताया गया कि घग्गर व टांगरी जैसी पहाड़ी नदियों तथा एस वाई एल नहर पर बने बांध में पड़ी दरार ने बारिश के पानी के साथ मिलकर बाढ़ जैसी स्थिति बना दी। जिसके कारण अंबाला, कुरुक्षेत्र तथा पटियाला जिलों का काफी बड़ा भाग जल प्रलय जैसे माहौल का सामना करने के लिए मजबूर हो
करोड़ों के तालाब खुदे, पानी का अता पता नहीं
Posted on 12 Jul, 2010 10:58 AMअमर उजाला टीम के व्यापक सर्वे में यह पाया गया है कि तालाब तो काफी खुदे पर उनमें पानी नहीं है। तालाब का काम एक सामान्य समझ की जरूरत मांगता है कि तालाब तो खुदे पर उसमें पानी कहां से आएगा उसका रास्ता भी देखना होगा। सामान्यतः जो तालाब मनरेगा में खुदे हैं, उनमें कैचमेंन्ट का ध्यान रखा नहीं गया है। उससे हो यह रहा है कि तालाब रीते पड़े हैं।केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ‘मनरेगा’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना को दूसरे चरण में शहरों में भी लागू करने के लिए बेताब दिख रही है, लेकिन इसके पहले चरण में जिस तरीके से काम हो रहा है उससे गांवों की दशा में बड़े बदलाव की उम्मीद बेमानी ही लगती है। करोड़ों रुपये के खर्च से सैकड़ों पोखरे एवं तालाब खुदे लेकिन उसमें पानी भरने के लिए महीनों से बरसात का इंतजार हो रहा था। कारण कि पानी भरने का बजट मनरेगा में है ही नहीं। सड़कें बनीं, पर गरीबों के रास्ते अब भी कच्चे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के कई जिलों में मनरेगा के कामों की पड़ताल में यही हकीकत सामने आई है। मजदूरों की अहमियत जरूर बढ़ी है, अब दूसरी जगह भी उन्हें डेढ़ सौ रुपये तक मजदूरी मिल जाती है।
कर्ज और जहर के बगैर खेती
Posted on 14 Apr, 2010 09:39 AMआज खेती के लिये किसान को हर चीज खरीदनी पड़ती है। इसलिये वह कर्ज में दबा रहता है। इसके साथ-साथ उसे हर बार पहले से ज्यादा (रासायनिक) खाद और दवाइयों का प्रयोग करना पड़ता है। परन्तु उपज की मात्रा और कीमत का कोई भरोसा नहीं रहता। दूसरी ओर उपज की गुणवत्ता भी घट रही है। बीमारियाँ बढ़ रही हैं। पानी, मिट्टी और यहाँ तक कि माँ के दूध में भी जहर के अंश पाये गये हैं। आम तौर पर औरतें तो शराब और सिगरेट नहीं पीतीं पर उनमें भी कैंसर बढ़ रहा है। इसका एक कारण (लेकिन एकमात्र नहीं) खेती में प्रयोग होने वाले जहर है। क्या इस का कोई विकल्प हो सकता है? क्या कर्ज और जहर के बगैर खेती हो सकती है?
भोजन हम सब की जरूरत है। इस के साथ-साथ अगर खेती स्वावलंबी हो जाती है, किसान को बाहर से कुछ खरीदने की जरूरत नहीं रहती, छोटी जोत वाला किसान भी आजीविका कमा-खा सकता है, पूरे साल खेत में काम रहता है, तो हमारे खाने के लिए स्वस्थ भोजन उपलब्ध होने के साथ-साथ, गाँवों और पूरे समाज की दशा और दिशा ही बदल जायेगी। पर्यावरण संकट में भी कुछ कमी होगी।
बदहाल हुई पानीपत की झील
Posted on 04 Oct, 2009 12:21 PMपानीपत शहर का हृदय कहे जाने वाले हाली पार्क की झील बदहाल हो चुकी है। इसमें शहर के सीवरेज का गंदा पानी और कबाड़ जमा हो चुका है। कभी इस झील में लोग बोटिंग का लुत्फ उठाते थे, लेकिन उदासीन रवैये के कारण अब झील आवारा पशुओं के लिए आरामगाह बने हुए हैं। यहां से हर रोज प्रशासनिक अधिकारी गुजरते हैं, लेकिन किसी की भी नजर झील पर नहीं पड़ती या फिर वे इसको देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। नगर परिषद ने भी बजट का रोनापानीपत का पानी (भाग 2)
Posted on 21 Sep, 2009 08:28 AMपानीपत. शहर के डाई हाउस संचालक चोरी-छिपे जहरीले पानी को भू-गर्भ में पहुंचाकर पानी को विषैला बना रहे हैं। प्रतिदिन लगभग 32 लाख लीटर जहरीला पानी जमीन के अंदर पहुंचा रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जन स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई कुछ ही डाई हाउसों तक चलकर दम तोड़ जाती है। अधिकारियों की अनदेखी से शहर का पेयजल दिनोंदिन विषैला होता जा रहा है।
पांच बार होता है प्रोसेस
दिल्ली की प्यास
Posted on 12 Sep, 2009 05:58 PMदिल्ली की प्यास बुझी नहीं है। पहले यमुना, फिर गंगा, फिर भगीरथी का पानी पी लेने के बाद भी दिल्ली प्यासी है। अब दिल्ली को हिमाचल से भी पानी मिलने वाला है।