हरियाणा

Term Path Alias

/regions/haryana-0

बड़खल झील को भरने की अनोखी कवायद शुरू
Posted on 29 Aug, 2011 05:46 PM

दिल्ली और एनसीआर के पसंदीदा टूरिज्म स्पॉट बड़खल झील के दिन जल्द फिर सकते हैं। अब तक यहां पर दूरदराज से किसी प्रकार पानी लाकर भरे जाने की कवायदें की जा रही थीं, जो सिरे नहीं चढ़ीं। बुधवार को डीसी प्रवीण कुमार ने सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड के दो वैज्ञानिकों के साथ बड़खल झील तक पानी लाने वाले प्राकृतिक नालों का अरावली पर्वत शृंखला में दौरा किया। वैज्ञानिकों ने उनको बताया कि बड़खल झील तक जिन प्राकृ

बड़खल झील
एक नदी, जिसमें आज भी बहकर आता है सोना
Posted on 14 Aug, 2011 10:20 AM

कुरुक्षेत्र। भारतीय बाजार में सोना तीस हजारी बनने की ओर अग्रसर है लेकिन यहां जिला यमुनानगर में बह रही सोन नदी जिसे अब लोग सोम नदी के नाम से पुकारते हैं आज भी यह साबित कर रही है कि भारत सोने की चिड़िया ही नहीं, यहां की नदियों में भी सोना बहता है। इस नदी में आजकल पर्वत मालाओं से बहकर आने वाले पानी व रेत में सोना आ रहा, जिसे लोग निकाल रहे हैं। सोना निकालने के लिए जिला प्रशासन द्वारा बाकायदा ठेका द

सोम नदी में सोना
ऊपरी यमुना के राज्यों को यमुना जल का बंटवारा
Posted on 30 Jun, 2011 11:13 AM मई 1994 में यमुना जल बंटवारे के लिए ऊपरी तटवर्ती राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली ने मिलकर आपसी समझ के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। यमुना के वार्षिक 13 मिलियन घनमीटर (बीसीएम) शुद्ध उपलब्ध जल का निम्नानुसार बंटवारा हुआः
पूरा जहर नहीं साफ हो पाता यमुना का
Posted on 26 Apr, 2011 09:32 AM नई दिल्ली। हरियाणा यमुना में अमोनिया के साथ एल्यूमिनियम भी भेज रहा है। यह एल्यूमिनियम पानीपत के उर्वरक व चम़ड़े की फैक्ट्री से छोड़ा जाता है। अमोनिया की मात्रा को दिल्ली जलबोर्ड साफ तो कर देता है लेकिन एल्यूमिनियम की मौजूदगी कुछ हद तक बनी रहती है और लोगों के घरों में यही पानी पहुंचता है।
भू-संरक्षण के उपाय
Posted on 04 Apr, 2011 03:57 PM

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है अतः वे सभी उपाय जो मृदा की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए किए

गांवों में जल प्रदूषण
Posted on 02 Apr, 2011 03:34 PM

प्राकृतिक स्रोत हमारे अपने हैं। इसलिए इनकी सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व भी हमारा ही है। अपने दायित्वों की पूर्ति करके ही हम जल-प्रदूषण के खतरे से बचे रह सकते हैं।

दिनोंदिन द्रुतगति से बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए हमारी कृषि भूमि पर दबाव काफी बढ़ गया है जिस कारण अधिकाधिक उपज लेने के लिए रासायनिक उर्वरकों खरपतवार-नाशकों तथा कीटनाशकों आदि का उपयोग भी तेजी से बढ़ गया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में खतरनाक जल-प्रदूषण को जन्म देता है। इसके अलावा नगरीय कूड़े-कचरे, मल-मूत्र, प्लास्टिक और पॉलीथीन तथा विभिन्न उद्योगों के अवशिष्ट पदार्थों को नदियों तथा अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों में बहा देने से भारी मात्रा में जल प्रदूषण पैदा होता है। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव न केवल उन जीवों पर पड़ता है जो जल के भीतर ही जीवनायापन करते हैं, अपितु इसका कुप्रभाव ग्रामीण जनस्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

खेतों की सिंचाई के लिए घड़ा विधि
Posted on 18 Jan, 2011 02:18 PM पानी की कमी के कारण शुष्क क्षेत्रों में सब्जियों के उत्पादन में दिनोंदिन समस्याएं पैदा हो रही है। सीमित मात्रा में भी जल उपलब्ध न होने से कुछ क्षेत्रों में सब्जियों के उत्पादन में कमी देखी जा रही है। किसानों की इसी समस्या को देखते हुए करनाल के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान ने घड़ा सिंचाई तकनीक विकसित की है। इस तकनीक से गर्मियों के मौसम में जब पानी की भारी कमी होती है, गांवों में इस्तेमाल हो
पानी नहीं होगा तो क्या होगा
Posted on 06 Jan, 2011 09:35 AM

क्या आपने कभी सोचा है कि धरती पर से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो चेतें।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं, क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं।

कहीं झीलों का शहर कहीं लहरों पर घर
Posted on 17 Oct, 2010 08:51 AM सोचो कि झीलों का शहर हो, लहरों पे अपना एक घर हो..। कोई बात नहीं जो झीलों के शहर में लहरों पर अपना घर नहीं हो पाए, कुछ समय तो ऐसा अनुभव प्राप्त कर ही सकते हैं जो आपको जिंदगी भर याद रहे। कहीं झीलों में तैरते घर तो कहीं, उसमें बोटिंग का रोमांचक आनन्द। कहीं झील किनारे बैठकर या वोटिंग करते हुए डॉलफिन मछली की करतबों का आनन्द तो कहीं धार्मिक आस्थाओं में सराबोर किस्से। ऐसी अनेक झीलें हैं हमारे देश में जिनमें से 10 महत्वपूर्ण झीलों पर एक रिपोर्ट।

डल लेक

जहां लहरों पर दिखते हैं घर


डल लेक का तो नाम ही काफी है। देश की सबसे अधिक लोकप्रिय इस लेक को प्राकृतिक खूबसूरती के लिए तो दुनियाभर में जाना ही जाता है, यह लोगों की आस्था से भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में इस लेक के किनारे देवी दुर्गा की निवास स्थली थी और इस स्थली का नाम था सुरेश्वरी। लेकिन यह झील ज्यादा लोकप्रिय हुई अपने प्राकृतिक और भौगोलिक
पुष्कर लेक
×