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ओजोन की समस्या (Complication of ozone)
Posted on 17 Sep, 2015 03:28 PM ओजोन परत का नाश एक सच्चाई है और पृथ्वी पर होने वाले इसके दुष्प्रभा
एक चादर खून से सनी
Posted on 11 Sep, 2015 12:33 PM बांग्लादेश की संसद के कुल सदस्यों में हर दसवाँ सांसद ऐसे ही किसी कप
अपने आँगन से विस्थापित
Posted on 10 Sep, 2015 11:39 AM कोई छह करोड़ लोग अपने घरों से, अपने शहरों से, अपने देशों से और कुछ
Refugee
भूकम्प के बाद नेपाल के पुनर्निर्माण की रणनीति
Posted on 08 Sep, 2015 01:28 PM

हिमालय दिवस 9 सितम्बर 2015 पर विशेष


नेपाल में भूकम्प के बाद राहत, बचाव और क्षति के आकलन का दौर पूरा हो गया है। यह पुनरुद्धार और पुनर्निर्माण का दौर है। इसी दौर में ऐसे तौर-तरीके अपनाए जा सकते हैं जिससे भविष्य में सम्भावित आपदाओं का मुकाबला आसानी से किया जा सके।

हालांकि नेपाल की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में किसी बड़ी पहल की उम्मीद नहीं की जा सकती, बल्कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार अवश्यम्भावी है। फिर भी पुनर्निर्माण हो रहे हैं और नेपाल सरकार के राष्ट्रीय योजना आयोग के साथ मिलकर आईसीआईएमओडी (इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट) ने ‘भूकम्प पीड़ित क्षेत्रों में टिकाऊ आजीविका की रणनीतिक रूपरेखा’ तैयार की है। हिमालय क्षेत्र में जारी भूगर्भीय हलचलों के मद्देनज़र यह महत्त्वपूर्ण पहल है।
earthquake
बांग्लादेशः आर्सेनिक का प्रकोप
Posted on 06 Sep, 2015 11:34 AM
1. बांग्लादेश में आर्सेनिक की समस्या की उत्पत्ति कैसे हुई ?
जलवायु सम्मेलन की राह में रोड़े
Posted on 14 Aug, 2015 09:21 AM बेहतर जलवायु समझौते हेतु दो अपेक्षाएँ हैं। पहला यह कि इसे पर्यावरण
ਸਮੁਦਾਇਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸੰਰੱਖਿਅਣ - ਸਮੁਦਾਇ ਆਧਾਰਿਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ
Posted on 22 Jun, 2015 03:23 PM

ਇਸਨੂੰ ਪ੍ਰਕ੍ਰਿਆ ਆਧਾਰਿਤ ਕਾਰਜਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਵੀ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਕਿਸਾਨ ਸਮੁਦਾਇਆਂ ਦੀਆਂ ਸਮਰੱਥ

ਆਤਮਗਿਆਨ ਵੱਲ ਲੈ ਜਾਂਦਾ ਵਿਗਿਆਨ
Posted on 12 Jun, 2015 11:48 AM ਕੋਈ ਪੁੱਛ ਬੈਠੇ ਕਿ ਅੱਜ ਦੇ ਯੁੱਗ ਨੂੰ ਕਿਸ ਗੱਲ ਕਰਕੇ ਜਾਣਾਗੇਂ ਅਸੀਂ?
ब्राजील: सौर ऊर्जा बनेगी तारणहार
Posted on 24 May, 2015 10:15 AM

परिस्थितियाँ किसी परिकल्पना को वास्तविकता में परिवर्तित कर देने को मजबूर कर देती हैं। ब्राजील म

जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा धरती पर संकट
Posted on 10 May, 2015 09:30 AM आज जीवनदायिनी प्रकृति और उसके द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा उपयोग और भौतिक सुख-संसाधनों की चाहत की अंधी दौड़ के चलते न केवल प्रदूषण बढ़ा है बल्कि अन्धाधुन्ध प्रदूषण के कारण जलवायु में बदलाव आने से धरती तप रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है मानवीय स्वार्थ जो प्रदूषण का जनक है।
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