दुनिया

Term Path Alias

/regions/world

मछुआरों ने बचाई ‘हडसन’
Posted on 26 Dec, 2015 04:06 PM

हडसन नदी

डच जहाजी ‘डेविड हडसन’ लाल-भारतीयों के देश अमेरिका में जिस नदी के रास्ते घुसे थे, उसी नदी-धारा का नाम ‘हडसन’ है। हडसन नदी भारत की गंगा और नर्मदा जैसी बड़ी नदी नहीं है। इसकी लंबाई सिर्फ 507 किलोमीटर है और यह एडिरौंडेक पर्वत शृंखला से निकलती है और न्यूयार्क सिटी, न्यू जर्सी जैसे कई बड़े शहरों के किनारे होती हुई अटलांटिक सागर में गिरती है। गहराई और प्रवाह इतना कि जहाजें चलती हैं। पानी इतना साफ कि बिना फिल्टर किए सीधे न्यूयार्कवासियों के घरों में सप्लाई होता है। 40 लाख से ज्यादा लोगों के घरों में हडसन का पानी बिना किसी फिल्टर के पहुंचता है, इसे यूं भी कह सकते हैं कि पानी इतना साफ कि उसे फिल्टर करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

ऐसा नहीं है कि हमेशा से यह नदी शुद्ध रही है। नदी ने काफी बुरे दिन देखे हैं। 1947-77 तक के दौर को नदी के सबसे प्रदूषित कालखण्ड के रूप में याद किया जाता है।

Hudson river
अमीरों के हितों में पिसते गरीब
Posted on 25 Dec, 2015 09:53 AM पेरिस के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में दो सप्ताह गहन मंथन हुआ। हाथ क्या लगा शायद ही किसी को समझ आया हो। ऐसे सम्मेलनों का आयोजन गरीब व विकासशील देशों के लिये अमीर व विकसित देशों द्वारा लॉलीपोप देने के लिये किया जाता है। पेरिस सम्मेलन में भी यही हुआ।

अमीरों ने सीनाजोरी करते हुए तय कर दिया है कि हम चोरी भी करेंगे और सीना जोरी भी। जलवायु परिवर्तन के इस सम्मेलन को पिछली कुछ बैठकों के आइने में देखना बहुत जरूरी है। इससे यह समझने में कतई परेशानी नहीं होगी कि अमीर देश आखिर चाहते क्या हैं?

जब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पद पर बान की मून आसीन हुए तो उन्होंने अपने पहले ही सम्बोधन में दुनिया को आगाह कर दिया था कि जलवायु परिवर्तन भविष्य में युद्ध और संघर्ष की बड़ी वजह बन सकता है। बाद में जब संयुक्त राष्ट्र द्वारा ग्लोबल वार्मिंग के सम्बन्ध में अपनी रिपोर्ट पेश की गई तो उससे इसकी पुष्टि भी हो गई थी।
बयानों के आइने में कोप 21
Posted on 22 Dec, 2015 04:17 PM

‘कोप 21’ यानी कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज। एक समझौते के साथ जलवायु के मसले पर सबसे अधिक संख्या में राष्ट्र प्रमुखों के जुटाव का यह आयोजन हाल ही में पेरिस में सम्पन्न हुआ। समझौता कितना मजबूत है, कितना कमजोर? कितना राजनयिक था, कितना प्रकृति हितैषी? पेश है बयानों के आइने में एक जाँच:

पेरिस जलवायु समझौते के किन्तु-परन्तु
Posted on 21 Dec, 2015 12:34 PM तैयारी के तीन माह, सम्मेलन के 12 दिन-12 रातें, 50 हजार प्रतिभागी और समझौता मसौदा के 31 पन्ने: जलवायु दुरुस्त करने के मसले पर वैश्विक सहमति के लिये जैसे यह सब कुछ नाकाफी था; जैसे सबने तय कर लिया था कि इस बार नाकामयाब नहीं लौटेंगे। पेरिस जलवायु सम्मेलन की तारीखों में एक रात व एक दिन और जोड़े गए; वार- शनिवार, तारीख - 12 दिसम्बर, 2015।

सुबह 27 पेजी नया मसौदा आया और शाम को नया क्षण। समय- रात के सात बजकर, 16 मिनट; सजी हुई नाम पट्टिकाएँ, उनके पीछे बैठे 196 देशों के प्रतिनिधि, फ्रांसीसी विदेश मंत्री लारेंट फेबियस की मंच पर वापसी, साथ में संयुक्त राष्ट्र उच्चाधिकारी और माइक पर एक उद्घोषणा - “पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।’’
खाद्य सुरक्षा पर ग्लोबल वार्मिंग की आँच
Posted on 19 Dec, 2015 05:21 PM वैज्ञानिक रिपोर्टों में बताया गया है कि तापमान बढ़ने से गेहूँ और च
रियो से पेरिस तक लम्बा फासला तय हुआ
Posted on 19 Dec, 2015 04:50 PM

अगर पेरिस समझौते पर गौर करें तो पाएँगे कि 1992 में हुई मौलिक सहमति से हम कितना आगे निकल चुके है

जलवायु-असहिष्णुता को जीतना होगा
Posted on 19 Dec, 2015 12:20 PM

पेरिस जलवायु सम्मेलन, 30 नवम्बर-12 दिसम्बर 2015 पर विशेष

जलवायु परिवर्तन : क्यों? कैसे? क्या? (Climate Change: Why? How? What?)
Posted on 19 Dec, 2015 11:23 AM

पेरिस जलवायु सम्मेलन, 30 नवम्बर-12 दिसम्बर 2015 पर विशेष

ऐतिहासिक पेरिस समझौता
Posted on 19 Dec, 2015 10:10 AM

पेरिस जलवायु सम्मेलन, 30 नवम्बर-12 दिसम्बर 2015 पर विशेष

अब हवा खरीदिए!
Posted on 17 Dec, 2015 09:13 AM

प्रदूषण के मारे चीन की हवा इतनी खराब है कि अब वहाँ बोतल बंद शुद्ध हवा भी बेची जाने लगी है

×