Posted on 15 Dec, 2015 09:50 AM जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के उपायों पर विचार करने के लिये पेरिस में हुआ दुनिया के 190 से अधिक देशों का जमावड़ा अब खत्म हो चुका है। इस सम्मेलन को जलवायु परिवर्तन रोकने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया जा रहा है।
Posted on 08 Dec, 2015 04:12 PMप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ मिलकर पेरिस में अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन का शुभारम्भ किया और विकसित व विकासशील देशों को साथ लाने वाली इस पहल के लिये भारत की ओर से तीन करोड़ डालर की सहायता का वादा किया।
Posted on 04 Dec, 2015 12:30 PM पर्यावरण संरक्षण के विषय पर पेरिस में वैश्विक स्तर का सम्मेलन कॉप-21 शुरू हो चुका है। सर्वप्रथम सन् 1992 में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन संधि पर हस्ताक्षर हुए थे तथा उस संधि में सम्मिलित सदस्य देशों के समूह को ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टिज़ (कॉप)’ का नाम देकर सन् 1995 में प्रथम सम्मेलन आयोजित हुआ।
Posted on 27 Nov, 2015 10:10 AM आगामी पेरिस जलवायु सम्मेलन से पूर्व अभी देश, विकासशील और विकसित के बीच बँटे नजर आ रहे हैं। बँटवारे का आधार आर्थिक है और माँग का आधार भी। किन्तु क्या प्रकृति से साथ व्यवहार का आधार आर्थिक हो सकता है?
उपभोग और प्रकृति को नुकसान की दृष्टि से देखें तो यह दायित्व निश्चय ही विकसित कहे जाने वाले देशों का ज्यादा है, किन्तु इस लेख के माध्यम से मैं यह रेखांकित करना चाहता हूँ कि मानव उत्पत्ति के मूल स्थान के लिहाज से यह दायित्व सबसे ज्यादा हम हिमालयी देशों का है; कारण कि सृष्टि में मानव की उत्पत्ति सबसे पहले हिमालय की गोद में बसे वर्तमान तिब्बत में ही हुई। आज मानव उत्पत्ति का यह क्षेत्र ही संकट में है।
Posted on 26 Nov, 2015 10:47 AMअगले हफ्ते फ्रांस की राजधानी पेरिस में 30 नवम्बर से आगामी 11 दिसम्बर तक होने वाले जलवायु शिखर सम्मेलन से पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण को कम करने और कार्बन उर्त्सजन को कम करने की दिशा में दुनिया को खासी उम्मीदें हैं। वह बात दीगर है कि पिछले दिनों पेरिस में हुए आतंकी हमले ने समूची दुनिया को हिला दिया है।
Posted on 21 Nov, 2015 10:20 AM पृथ्वी, एक अनोखा, किन्तु छोटा सा ग्रह है। अभी इसके बारे में ही हमारा विज्ञान अधूरा है। ऐसे में एक अन्तरिक्ष के बारे में सम्पूर्ण जानकारी का दावा करना या फिर जाने और कितने अन्तरिक्ष हैं; यह कहना, इंसान के लिये दूर की कौड़ी है।
सम्पूर्ण प्रकृति को समझने का दावा तो हम कर ही नहीं सकते; फिर भी हम कैसे मूर्ख हैं कि प्रकृति को समझे बगैर, उसे अपने अनुकूल ढालने की कोशिश में लगे हैं। कोई आसमान से बारिश कराने की कोशिश करने में लगा है, तो कोई प्रकृति द्वारा प्रदत्त हवा, पानी को बदलने की कोशिश में! क्या ताज्जुब की बात है कि इंसान ने मान लिया है कि वह प्रकृति के साथ जैसे चाहे व्यवहार करने के लिये स्वतंत्र है।
Posted on 20 Nov, 2015 03:06 PMपवित्र जुम्मे का दिन शुक्रवार कलंकित हुआ है। तेरह नवम्बर 2015 अब इतिहास का हिस्सा है। दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में शुमार पेरिस इस्लामी जिहाद का युद्ध मैदान बन चुका है। आतंकी कत्लेआम की भयावहता से हम सब आहत महसूस कर रहे हैं, साथ ही आईएसआईएस की बर्बरता गुस्सा भी दिला रहा है।
पूरी दुनिया एकजुट है आतंकवाद के बर्बर और हिंसक हमले के खिलाफ। इसी वातावरण के बीच 'पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन' होना है। लगता ऐसा है कि तीस नवम्बर से ग्यारह दिसम्बर तक चलने वाला 'पेरिस जलवायु-सम्मेलन' निराशा, बेबसी और क्रोध में फँस सकता है। पर जरूरी यह है कि शान्ति और विवेक से आतंकी-बर्बरता का जवाब भी दिया जाये और जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों का सही जवाब भी खोजा जाये।