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वन्यजीवन और सामाजिक संघर्षों का अंतर्संबंध
Posted on 27 Sep, 2014 09:43 AM वनों व जलस्रोतों में घटती जैवविविधता अब सामाजिक संघर्ष का कारण बनती जा रही है। मानव आबादी का बड़ा हिस्सा समुद्रों, नदियों अन्य जलस्रोतों व वनों पर न केवल अपनी आजीविका के लिए बल्कि पोषण के लिए भी निर्भर है। भारत की स्थिति भी इससे पृथक नहीं है। प्रस्तुत आलेख यूं तो दक्षिण-पूर्व एशिया एवं अफ्रीका पर केन्द्रित है लेकिन हमारे यहां की परिस्थितियां भी इतनी ही बदतर हैं। आधुनिक विकास के पैरोकार प्रत्येक
ओजोन तथा इसका क्षरण
Posted on 16 Sep, 2014 12:58 PM ओजोन एक प्राकृतिक गैस है, जो वायुमंडल में बहुत कम मात्रा में पाई जाती है। पृथ्वी पर ओजोन दो क्षेत्रों में पाई जाती है। ओजोन अणु वायुंडल की ऊपरी सतह (स्ट्रेटोस्फियर) में एक बहुत विरल परत बनाती है। यह पृथ्वी की सतह से 17-18 कि.मी. ऊपर होती है, इसे ओजोन परत कहते हैं। वायुमंडल की कुल ओजोन का 90 प्रतिशत स्ट्रेटोस्फियर में होता है। कुछ ओजोन वायुमंडल की भीतरी परत में भी पाई जाती है।

स्ट्रेटोस्फियर में ओजोन परत एख सुरक्षा-कवच के रूप में कार्य करती है और पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है। स्ट्रेटोस्फियर में ओजोन एक हानिकारक प्रदूषक की तरह काम करती है। ट्रोपोस्फियर (भीतरी सतह) में इसकी मात्रा जरा भी अधिक होने पर यह मनुष्य के फेफड़ों एवं ऊतकों को हानि पहुंचाती है एवं पौधों पर भी दुष्प्रभाव डालती है।
Ozone
अब सुहाना लगने लगा है गिद्धों का झुंड
Posted on 14 Sep, 2014 01:21 PM
नेपाल में चलाए जा रहे गिद्धों के संरक्षण कार्यक्रमों का असर अब भारत के सीमाई इलाकों में भी दृष्टिगोचर होने लगा है। उत्तर प्रदेश के बॉर्डर एरिया व चंपारण से लेकर मधुबनी तक गिद्धों के विभिन्न प्रजातियों की अप्रत्याशित संख्या को देख पर्यावरणविद फुले नहीं समा रहे हैं। नेशनल कल्चर कन्जर्वेशन डिपार्टमेंट की लखनऊ में हुई बैठक में पर्यावरण विज्ञानियों ने उत्त
गिद्ध
तिब्बत : विकास के नाम पर हिमालय की तबाही
Posted on 16 Aug, 2014 09:43 AM खनन, बांधों और तेजी से पिघल रहे ग्लेशियरों से अन्य एशियाई देशों की जलवायु और इस पर निर्भर लाखों लोग होंगे प्रभावित।
हिमालय के माथे की लकीर बनेगा-प्रस्तावित पंचेश्वर बांध
Posted on 07 Aug, 2014 10:58 AM पिछले तीन दशकों में बड़े बांधों को लेकर दुनिया में जो बहस हुई उसने छोटे-छोटे बांधों की दिशा में सरकारों को सोचने के लिए बाध्य कर दिया है और कई देशों ने अपने बड़े बांधों को तोड़ा है। अब पंचेश्वर जैसा दुनिया का बड़ा बांध एक बार फिर विश्व के पटल पर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आमजन और सरकार के बीच निश्चित ही चर्चा का विषय बनेगा।

अब केवल यही अध्ययन होगा कि किन बांधों को पहले बनाया जाए और प्रतियोगिता होगी कि उस सरकार ने तो टिहरी बांध और हम इससे भी बड़ा बनाएंगे। यह कठिन दौर हिमालय के निवासियों को आने वाले दिनों में देखना पड़ेगा। जबकि सुझाव है कि यहां पर छोटी-छोटी परियोजनाएं बने। एक आंकलन के आधार पर मौेजूदा सिंचाई नहरों से 30 हजार मेगावाट बिजली बन सकती है, इससे स्थानीय युवकों को रोजगार मिल सकता है। आगे पानी और पलायन की समस्या का समाधान भी हो सकता है लेकिन इसका काम कौन भगीरथ करेगा?

नर्मदा और टिहरी में बड़े बांधों के निर्माण के बाद अब फिर से हिमालय में पंचेश्वर जैसा दुनिया का सबसे बड़ा बांध भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली महाकाली नदी पर बनाने की पुनः तैयारी चल रही है। अभी हाल ही में नेपाल की यात्रा पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला के साथ मिलकर इस बांध निर्माण के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

इसके आधार पर पंचेश्वर विकास प्राधिकरण को महत्व देकर समझौता हुआ है कि इसका कार्यालय नेेेपाल के कंचनपुर में होगा, जिसमें भारत औेर नेपाल से 6-6 अधिकारी होंगे। बिजली उत्पादन पर दोनों देशों का बराबर हक होगा, लेकिन इस परियोजना पर होने वाले कुल खर्च में से भारत 62.5 प्रतिशत और नेपाल शेेष 37.5 प्रतिशत राशि खर्च करेगा।
साझा भविष्य के लिए हिरोशिमा को याद रखें
Posted on 04 Aug, 2014 03:54 PM मन को छू लेने वाली कहानी शोशो कावामोटो की है। वह बमबारी के तीन दिन
कृषि ही दक्षिण कोरिया का भविष्य
Posted on 30 Jul, 2014 11:08 AM दक्षिण कोरिया के निर्यात का 82 प्रतिशत केवल 30 बड़े उद्योगपतियों, जिन्हें कोरिया में चाईबोल कहा जाता है, के हाथ में है। कृषि के प्रति सरकार की अनिच्छा से यह देश अब खाद्यान्नों हेतु कमोबेश विदेशों पर आश्रित है। दो दशक पहले यहां के 50 प्रतिशत नागरिक किसान थे जो अब मात्र 6.2 प्रतिशत रह गए हैं। लेकिन इस अंधकार के बीच आशा की किरण भी दिखाई दे रही है।
क्या और कैसी होती है जलवायु
Posted on 22 Jul, 2014 09:36 AM जलवायुकिसी जगह की जलवायु कुछ बातों पर निर्भर करती है- जैसे वह जगह समुद्र से कितनी दूर है और उसके आसपास पहाड़ हैं या जंगल या रेगिस्तान।
समुद्र में संगीत की स्वरलहरियां
Posted on 10 Jul, 2014 04:35 PM

हंपबैक व्हेलक्या आपको पता है व्हेल संगीतप्रिय ही नहीं होती स्वयं गाती भी हैं और वह भी ऊंटपटांग सा नहीं बाकायदा उनकी अपनी सरगम के साथ। यदि आप बीच समुद्र में जाएं, तो आपको व

Humpback whale
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