ब्राजील: सौर ऊर्जा बनेगी तारणहार

परिस्थितियाँ किसी परिकल्पना को वास्तविकता में परिवर्तित कर देने को मजबूर कर देती हैं। ब्राजील में पड़े अकाल की वजह से जलविद्युत परियोजनाएँ बन्द पड़ गई हैं। अब इनके जलाशयों को तैरते सोलर पैनलों को स्थान देने के लिए चुना गया है। यह दोहरे लाभ की स्थिति है। क्या भारत अपनी जलविद्युत एवं परमाणु ऊर्जा की जिद को छोड़कर ब्राजील द्वारा किए जा रहे प्रयोग के समानान्तर ऐसा ही प्रयोग अपने यहाँ करने का साहस जुटा पाएगा?

ब्राजील के विनाशकारी अकाल का एक अनपेक्षित परिणाम यह सामने आया है कि आज यह देश सौर ऊर्जा को गम्भीरता लेते हुए एक तरह से विश्व का सबसे चमकदार देश बनकर उभर सकता है। सामने आने पड़ ऊर्जा संकट, जलाशयों में जलस्तर का इतना नीचे गिर जाना, कि विद्युत उत्पादन ही सम्भव न हो और खुले दिमाग वाले ऊर्जा मन्त्री की नियुक्ति के मिश्रण ने स्थितियों में तीव्र परिवर्तन का मार्ग खोल दिया। अकाल से, ब्राजील के दक्षिण पूर्व एवं मध्य पश्चिम इलाके जहाँ पर बड़े औद्योगिक घराने और बड़ी संख्या में आबादी निवास करती है, वहाँ के जलाशयों का स्तर इतना गिर गया कि दर्जनों जलविद्युत बाँधों की पानी आपूर्ति बाधित हो गई। वैसे भी ब्राजील में अब सात महीने सूखे बने रहने की अवधि प्रारम्भ हो गई है क्योंकि पारम्परिक तौर पर इस दरम्यान यहाँ छिटपुट वर्षा ही होती है। इससे इस बात का अंदेशा बढ़ गया है कि अकाल प्रभावित क्षेत्रों के जलाशयों में दस प्रतिशत की और कमी आ सकती है। नए खनन एवं ऊर्जा मन्त्री ईडुआर्डो ब्रागा ने स्वीकार भी किया यह ऊर्जा सुरक्षा के लिए अनर्थकारी है।

इसका सीधा सा अर्थ है कि ऊर्जा संकुल में सौर ऊर्जा के प्रवेश के बारे में ब्राजील ने न केवल सोचा बल्कि इसे जलविद्युत बाँधों के विकल्प के तौर पर स्वीकार भी कर लिया है जिस पर कि उनकी 80 प्रतिशत ऊर्जा की निर्भरता है। इसी के साथ उत्तर पूर्व एवं दक्षिण के तटों पर स्थिति पवन ऊर्जा का योगदान भी बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रपति डिल्मा रौसेफ द्वारा कुछ ही वर्षों पहले ‘सौर ऊर्जा’ को एक परिकल्पना भर माना था। परन्तु अब उनके उस कथन की अनदेखी हो गई है। अत्याधिक लागत की वजह से ब्राजील में अब तक केवल 400 घरों में ही फोटोवाल्टिक (पांवी) पेनल्स लगाए जा सके थे। जब कि ब्रागा ने दक्षिण पूर्व एवं मध्य पश्चिम के दर्जनों जल विद्युत बाँधों जिनके कि पानी के कम हो जाने से अब इनके सफेद हाथी में परिवर्तित हो जाने की पूरी सम्भावना है ‘सौर ऊर्जा’ फार्म में परिवर्तित करने की योजना की घोषणा की है। जलाशयों की सतह पर तैरते हुए प्लेटफार्मों पर हजारों सोलर पैनल लगा दिए जाएँगे जो कि ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध करा पाएँगे। मन्त्रालय के अधिकारियों के हिसाब लगाया कि इससे 15,000 मेगावाट तक बिजली बनाई जा सकती है। जो कि ब्राजील के दो नवीन तक अमेजान विशालकाय बाँधों, जिराऊ जो कि माडोरिया नदी एवं विवादास्पद ब्लोमोंटे जो कि शिंगु नदी पर बने हुए हैं की अधिकतम क्षमता से ज्यादा है।

वाष्पीकरण में कमी


सोलर पेनलों का एक अतिरिक्त लाभ यह होगा कि वह पानी का वाष्पीकरण कम करेगा और साथ ही साथ वह स्वयं भी पानी से ठण्डा होता रहेगा। जिसकी वजह से उसकी रुपांतरण (कन्वरशन) कार्य क्षमता में भी वृद्धि होगी। इससे सम्बन्धित पायलेट परियोजनाएँ उन दो बाँधों पर, जो कि सरकारी कम्पनियों के स्वामित्व के हैं, अमेजाॅन में ऊटुमा नदी पर स्थित बल्बीना व बाहिषा में साओ फ्राॅसिस्को नदी पर स्थित सोब्राडीन्हो हैं, में प्रारम्भ की जाएँगी। यदि सफलता मिल जाती है तो इन्हें दक्षिण पूर्व एवं मध्य पश्चिम के बाँधों पर भी दोहराया जाएगा। ब्राजील पहला देश नहीं है जिसने तैरते सोलर पैनल का परीक्षण किया है। दक्षिण आस्ट्रेलिया के जेम्सटाउन में गन्दे पानी के उपचार सुविधा पर पी वी पेनल को लेकर कोशिश कर रही है।

ब्राजील के ऊर्जा मन्त्री के पी वी पेनलों के निर्माण के लिए करों में छूट का वायदा किया है। उनकी यह भी योजना है कि जिन भवनों पर बड़ी-बड़ी छते हों वहाँ पर सौर पैनल के इस्तेमाल हेतु नए नियम बनाए जाएँगे। सोलर ऊर्जा हेतु इस वर्ष दो और नीलामी की जाएगी। इस तरह की पहली नीलामी पिछले वर्ष की गई थी और इसमें सन 2017 तक 1,048 मेगावाट की कुल क्षमता उपलब्ध करवाने हेतु 31 सौर ऊर्जा संयन्त्रों का चयन किया गया था। इस हेतु प्रति मेगावाट मूल्य 90 अमेरिकी डाॅलर के अन्दर ही था जो कि विश्व में न्यूनतम है। इसकी कम लागत आने की वजह यह है कि ब्राजील में बड़ी मात्रा में सौर ऊर्जा उपलब्ध है और यह भी वास्तविकता है कि जिन इलाकों में पवन ऊर्जा फार्म स्थित है उन्हीं इलाकाें में सोलर फार्म भी स्थापित किए जाएँगे, अतएव न तो नए सिरे से भूमि अधिग्रहण की और न ही वितरण (ट्रांसमिशन) के लिए नई लाइने डालने की आवश्यकता पड़ेगी।

ऊर्जा आपूर्ति के 20 साल के ठेके में करीब 1.67 अरब अमेरिकी डाॅलर का निवेश होगा और ब्राजील के सूर्य में स्थान पाने के लिए अनेक विदेशी कम्पनियाँ अभी से कतारबद्ध खड़ी हैं। गौरतलब है आने वाले वर्षों में इसका बाजार और भी अधिक विशाल हो जाएगा। स्पेनिश, कनाडा, अमेरिकी, इटालवी और चीनी कम्पनियों ने तो दरवाजे पर दस्तक देना शुरू भी कर दिया है। जितनी जल्दी सरकार और इसका विकास बैंक (बीएनडीईएस) करों में छूट के वायदों एवं प्रोत्साहान की घोषणा करते हैं उतनी ही जल्दी सौर ऊर्जा उद्योग गति पकड़ लेगा।

व्यापक सम्भावना


अभी तो ब्राजील में कुल जमा 15 मेगावाट सोलर ऊर्जा का उत्पादन होता है। यह वर्ष 2014 में फुटबाल विश्वकप हेतु एक नए फुटबाल स्टेडियम में स्थित एक संयन्त्र से प्राप्त होती है। अनेक सूत्राें का कहना है कि ब्राजील में वर्तमान में स्थापित ऊर्जा संयन्त्रों से 20 गुना ज्यादा बिजली सौर ऊर्जा से तैयार करने की क्षमता है। हमें इस बात का इन्तजार करना होगा कि बाँधो पर सौर ऊर्जा परीक्षण कारगर होता है या नहीं। दूसरी ओर सरकार उम्मीद कर रही है कि वह प्रचार अभियानों एवं मूल्य बढ़ाकर ऊर्जा का उपभोग कम कर सकती है। इस वर्ष अर्थव्यवस्था में गिरावट या बहुत कम या न्यूनतम वृद्धि भी मद्दगार सिद्ध होगा। इसकी वजह से ताप विद्युत गृहों जो कि प्राकृतिक गैस कोयला या डीजल से परिचालित होते हैं ने राष्ट्रीय ग्रिड में 20 के बजाए 30 प्रतिशत का योगदान दिया है। जीवाष्म ईंधन से संचालित संयन्त्रों का परिचालक भी काफी महँगा होता है। लेकिन इस बात की पूरी सम्भावना है कि शीघ्र ही यह ब्राजील के इतिहास का हिस्सा बन कर रह जाएँगे क्योंकि सौर ऊर्जा भविष्य की आपूर्ति का महत्त्वपूर्ण स्रोत बनकर उभरेगी।

जान रोचा ब्राजील में निवासरत स्वतन्त्र पत्रकार हैं और वह वहाँ पूर्व में बीबीसी विश्व सेवा एवं गार्डियन के संवाददाता भी रह चुके हैं।

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