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कब रुकेगा रेत का अवैध खनन
Posted on 04 Aug, 2014 03:18 PM सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दोहराते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने देश की किसी नदी में लाइसेंस या पर्यावरण मंजूरी के बिना रेत के खनन पर रोक लगा दी है। सवाल है कि नदियों को बचाने के लिए जनहित याचिकाओं और उस पर दिए गए अदालती फैसले से शुरू हुआ अभियान क्या खनन माफिया के फावड़े रोक पायेगा?
Sand mining
अनुमान से बड़ी त्रासदी
Posted on 03 Aug, 2014 02:15 PM जो लोग उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश या ऐसी पहाड़ी जगहों पर कभी गए नहीं हैं वे कल्पना भी नहीं कर सकते कि पहाड़ी रास्ते और बस्तियों का तानाबाना कितने खतरे से भरा होता है। रास्तों के लिए पहाड़ों को काटकर जगह बनाई जाती है, पत्थरों से खाली जगहों को भरा जाता है। बहुत मेहनत और धैर्य से पहाड़ों की सड़कें तैयार होती हैं। रहने के लिए जहां भी समतल जगह मिलती है घर बनाए जाते हैं और जहां जगह नहीं मिलती वहां भी सी
जरूरी है योजना आयोग में बदलाव
Posted on 03 Aug, 2014 11:54 AM प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोचते हैं कि योजना आयोग को खत्म किया जाना चाहिए। इस सोच के दो आधार हो सकते हैं। एक यह कि वे खुद राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और उन्हें भली-भांति यह अंदाजा है कि योजना आयोग एक जवाबदेय और निष्पक्ष निकाय नहीं है। वह राज्यों और देश के व्यापक हितों को महत्त्व देने के बजाए पर्यावरण-जन-जैव विविधता विरोधी और असमानता पैदा करने वाली नीतियों को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। दूसरा आधा
प्रकृति गंध और ज्ञान गंध
Posted on 03 Aug, 2014 11:53 AM क्या मेघ भी गंध बिखेरते होंगे?
महिला सुरक्षा और निर्मल भारत
Posted on 03 Aug, 2014 09:56 AM महिलाओं के लिए खुले में शौच तो और भी अधिक भयावह है। शौचालय न होने की वजह से उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं सीधे तौर पर उनकी सुरक्षा से जुड़ी हुई हैं। आंकड़ों की पोटली टटोलने पर यह ज्ञात होता है कि खुले में शौच के दौरान 30 प्रतिशत महिलाओं को विभिन्न उत्पीड़नों का शिकार होना पड़ता है। यह भारत के लिए सिर्फ शर्म की बात नहीं है बल्कि एक तरह से बहुत बड़ा कलंक भी है
पर्यावरण विज्ञान में कॅरिअर
Posted on 01 Aug, 2014 10:21 AM पर्यावरण विज्ञानपर्यावरण को हो रही क्षति चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। यह क्षति इस सीमा तक पहुंच गई है कि हम प्रतिदिन कम से कम एक बार भूमंडलीय तापन, जलवायु परिवर्तन, हिम
छोटे जलवायु परिवर्तन, खतरे बड़े
Posted on 01 Aug, 2014 10:16 AM अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान द्वारा लगाए गए जलवायु में व्या
climate change
चला आया हूं तेरी तलाश में मानसून
Posted on 28 Jul, 2014 04:35 PM मानसून के रंग निराले हैं। इसकी कृपा हर कहीं एक जैसी नहीं होती। केरल से शुरू होकर जब यह सारे देश में पहुंचता है तो हर इलाके में अलग-अलग ढंग से लोकमानस इसका स्वागत करता है। मानसून के इसी बहुरंगी रूप को समझने के लिए लेखक ने सन् 2003 में पूरे देश में इसका पीछा किया और इस तरह देशभर में वे मानसून का पीछा करने वाले पहले पत्रकार बने। प्रस्तुत हैं उनके कुछ दिलचस्प अनुभव
दाई के तालाब
Posted on 28 Jul, 2014 04:00 PM कुछ समय पहले तक दरभंगा एक समृद्ध राज्य था। वहां के राजा बड़े लोकप्रिय थे। राज्य में लोग सुख-शांति से जीवन बिताते थे। कई बड़ी नदियां राज्य से होकर बहती थीं। इसके बावजूद दरभंगा में कई बार गर्मियों में पानी की थोड़ी कमी होने लगती थी। इसे छोड़ कर वहां के लोगों को कोई विशेष कष्ट नहीं था। जो मेहनत मजदूरी करते थे, उन्हें भर-पेट भोजन मिल जाता था और राज्य में काम और व्यापार फल-फूल रहा था।
Pond
हिमालय का क्या होगा?
Posted on 28 Jul, 2014 03:01 PM 6 दिसम्बर 2011 को दुनिया में हो रही वैश्विक गर्मी और उसके परिणामों पर चिंता करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक समिति के आह्वान पर लोग एकत्रित हुए। भारत सरकार की ओर से पर्यावरणमंत्री जयंती नटराजन ने हिस्सा लिया। डरबन की इस मीटिंग में भारत पर हरित-विकास और उसके सकारात्मक परिणामों पर विशेष ध्यान देने पर जोर था। सम्मेलन में एक ऐसे दिशा मार्ग को अपनाने पर जोर था, जिसमें ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन को विकासश
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