सुनील तिवारी

सुनील तिवारी
गंगा सफाई अभियान पर ‘सुप्रीम’ सख्ती
Posted on 20 Jan, 2015 11:20 AM
गंगागंगा सफाई अभियान को चलते हुए 30 साल का एक लम्बा समय व्यतीत हो चुका है लेकिन आज भी गंगा की स्थिति जस-की-तस बनी हुई है। प्रदूषण के स्तर पर तो गंगा की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही ह
गंगा सफाई पर सख्त हो सरकार
Posted on 08 Nov, 2014 09:14 AM

शीर्ष अदालत गंगा नदी की सफाई के प्रति लापरवाही बरते जाने पर गंभीर है। अपनी चिंता व्यक्त करते हुए अदालत ने सफाई की कार्ययोजना के बाबत केंद्र सरकार को हाल ही में कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही देश की जीवनरेखा मानी जाने वाली गंगा नदी के उद्धार के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह गंगा नदी को प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रव

Polluted Ganga
क्लीन इंडिया मिशन को पूरा करना आसान नहीं
Posted on 06 Sep, 2014 03:00 PM
स्वतंत्र भारत में जन्मे भारत के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के दिन लालकिले की प्राचीर से दिए वक्तव्य में बहुत ही मूलभूत बातें उठाई हैं। भारतीय इतिहास में वे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने स्वच्छता जैसे जमीनी मुद्दे को इतनी गंभीरता से उठाया। नरेंद्र मोदी ने लक्ष्य रखा है कि भारत को 2019 तक पूर्ण रूप से स्वच्छ और साफ बनाना है। यही राष्ट्
बहुत कुछ कहती है मालिन की तबाही
Posted on 04 Aug, 2014 11:54 AM

आपदा आने के पश्चात राहत कार्य शुरू करने में कम-से-कम समय लगना चाहिए और यदि पहले से ही चेतावनी म

भूकम्प के प्रति जागरुकता जरूरी
Posted on 27 Apr, 2015 01:04 PM
प्राकृतिक आपदाएँ पहले भी आती रही हैं और भविष्य में भी आती रहेंगी। प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं तो अपने पीछे तबाही का मंजर अवश्य छोड़कर जाती हैं। अब ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इन आपदाओं से क्या सीख लेते हैं और भविष्य में इसके प्रति क्या योजना बनाते हैं। आदिकाल से ही जो प्राकृतिक आपदाएँ मानवता को समय-समय पर झकझोरती आई हैं उनमें से भूकम्प भी एक है। यदि हम भूकम्प की बात करें तो इसे प्राकृतिक आपदाओं
इस बार चार धाम यात्रा के पुख्ता इन्तजाम
Posted on 24 Apr, 2015 11:16 AM
प्रकृति सृजन का पर्याय भी है और प्रकोप के जरिए वह सन्तुलन भी स्थाप
कब तक करते रहेंगे धरा का दोहन
Posted on 23 Apr, 2015 12:10 PM
एक आँकड़े के मुताबिक पृथ्वी इस समय 75 करोड़ वाहनों का भार सह रही है,
महिला सुरक्षा और निर्मल भारत
Posted on 03 Aug, 2014 09:56 AM
महिलाओं के लिए खुले में शौच तो और भी अधिक भयावह है। शौचालय न होने की वजह से उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं सीधे तौर पर उनकी सुरक्षा से जुड़ी हुई हैं। आंकड़ों की पोटली टटोलने पर यह ज्ञात होता है कि खुले में शौच के दौरान 30 प्रतिशत महिलाओं को विभिन्न उत्पीड़नों का शिकार होना पड़ता है। यह भारत के लिए सिर्फ शर्म की बात नहीं है बल्कि एक तरह से बहुत बड़ा कलंक भी है
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