हृदयनारायण दीक्षित

हृदयनारायण दीक्षित
प्रकृति प्रतिपल सक्रिय
Posted on 05 Aug, 2017 12:02 PM

सतत परिवर्तनशीलता प्रकृति का गुण है। इसके अन्तस में सर्वपूर्ण श्रेष्ठतम स्थिति की प्यास है। सो प्रकृति प्रतिपल सक्रिय है। नित्य नूतन गढ़ने, जीर्ण-शीर्ण पुराने को विदा करने और नए को बारम्बार सृजित करने का प्रकृति प्रयास प्रत्यक्ष है। वह लाखों करोड़ों बरस से सृजनरत है। अपने सृजन से सदा असन्तुष्ट जान पड़ती है प्रकृति। एक असमाप्त सतत संशोधनीय कविता जैसी।
Nature
जल के अभाव में गतिहीन जीवन
Posted on 16 Oct, 2016 11:26 AM

प्रकृति के सभी घटक परस्परावलम्बन में हैं। सब परस्पर आश्रित हैं। हम मनुष्य और सभी प्राणी प

Water crisis
प्राचीन है भारत की बसंत अनुभूति
Posted on 03 Aug, 2014 03:49 PM
हम प्रकृति में हैं, प्रकृति के हैं और प्रकृति हम में है। हम सब मधुप
कीट-पतंग और पशु-पक्षी के मौलिक अधिकार
Posted on 03 Aug, 2014 02:53 PM
हमारा अस्तित्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से है। भारतीय चिंतन
जलविहीनता ही है रसविहीनता
Posted on 08 Jun, 2014 12:16 PM
नदी तट पर साक्षी बने रहना कठिन है। संगीत सभा में बैठकर अकंपित बने
भारत के मन का सरगम हैं नदियाँ
Posted on 25 Jan, 2015 03:04 PM
861404 वर्ग कि.मी.
आकाश भाग्यशाली है
Posted on 06 Aug, 2014 06:56 PM
हम सब शब्द सापेक्ष हैं। शब्द निरपेक्ष होना असंभव। शब्द प्रभावित कर
प्रकृति गंध और ज्ञान गंध
Posted on 03 Aug, 2014 11:53 AM
क्या मेघ भी गंध बिखेरते होंगे?
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