हृदयनारायण दीक्षित
हृदयनारायण दीक्षित
प्रकृति प्रतिपल सक्रिय
Posted on 05 Aug, 2017 12:02 PMसतत परिवर्तनशीलता प्रकृति का गुण है। इसके अन्तस में सर्वपूर्ण श्रेष्ठतम स्थिति की प्यास है। सो प्रकृति प्रतिपल सक्रिय है। नित्य नूतन गढ़ने, जीर्ण-शीर्ण पुराने को विदा करने और नए को बारम्बार सृजित करने का प्रकृति प्रयास प्रत्यक्ष है। वह लाखों करोड़ों बरस से सृजनरत है। अपने सृजन से सदा असन्तुष्ट जान पड़ती है प्रकृति। एक असमाप्त सतत संशोधनीय कविता जैसी।
जल के अभाव में गतिहीन जीवन
Posted on 16 Oct, 2016 11:26 AMप्रकृति के सभी घटक परस्परावलम्बन में हैं। सब परस्पर आश्रित हैं। हम मनुष्य और सभी प्राणी प