Posted on 28 Jul, 2014 12:43 PMसूखे तालाब में खड़ी थी ग्रीष्म की वनस्पति आक कटैड़ी फैला था कूड़ा कर्कट अब सब तैर रहा है पानी पर बरसात के बाद
मेढ़क, सांप, केंकड़े और मछलियां एक घर की प्रतीक्षा में रह रहे थे धरती पर इधर-उधर ओनों-कोनों में जलमुर्गिंयां और बतखें जीवन काट रही थीं जाने किन राहत शिविर में
Posted on 28 Jul, 2014 12:27 PMतुम्हारे कितने नाम हैं ब्रह्मपुत्र तिब्बत के जिस बर्फ से ढके अंचल में तुम्हारा जन्म हुआ वहीं से निकली हैं शतद्रू और सिन्धु की धाराएं सगर तल से सोलह हजार फीट की ऊंचाई पर टोकहेन के पास संगम होता है तीनों हिम प्रवाहों का
तिब्बती में कहते हैं- कूबी सांगपो, सेमून डंगसू और मायून सू यह संगम कैलाश पर्वत श्रेणी के दक्षिण में होता है
Posted on 27 Jul, 2014 09:00 AMपावस ऋतु में मल्हार अंग के रागों का गायन-वादन अत्यन्त सुखदायी होता है। वर्षाकालीन सभी रागों में सबसे प्राचीन राग मेघ मल्हार माना जाता है। काफी थाट का यह राग औड़व-औड़व जाति का होता है, अर्थात इसके आरोह और अवरोह में 5-5 स्वरों का प्रयोग होता है। गांधार और धैवत स्वरों का प्रयोग नहीं होता। समर्थ कलासाधक कभी-कभी परिवर्तन के तौर पर गांधार स्वर का प्रयोग करते हैं। भातखंडे जी ने अपने ‘संगीत-शास्त्र’ ग
Posted on 25 Jul, 2014 04:43 PMनर्मदा से मिलने वाली सहायक हरदा की अजनाल नदी के बारे में बार-बार पूछते फोन पर इन्दौर से कृष्णकान्त बिलों से और हर बार उसांसें छोड़ते बताना पड़ता उन्हें कि अजनाल अब जीवित नदी नहीं है यहां और जो जीवित थी उसे तो तुम हरदा छोड़ते वक्त अपने साथ ले गये थेअपनी यादों की झोली में तभी
वैसे कुछ लोग हैं जो तुम्हारे वक्त की अजनाल में तैरने
Posted on 25 Jul, 2014 04:40 PMवर्षों पूर्व जुहू के समन्दर में नहाया था पहली बार तब नमकीन हथेलियों से पल्लर पल्लर सहलाते हुए पूछा था सागर ने कि- मुझमें नहाने के पहले कहां सेनहा कर आया हूं मैं
तब मैंने अपनी नर्मदा में डुबकियां लगाकर बम्बई आने काबताया था उसे जिसे सुनते ही रेत तक मेरा बदन पोंछता ले आया जुहू का सागर प्यार से बाहर
Posted on 25 Jul, 2014 04:37 PMमैंने तो मकर संक्रान्ति की शीत लहर में ठंड से कांपती नर्मदा को कुनकुनी रेत के अलाव पर बदन सेंकते देखा है घाट-घाट बांटते देखा है सदाबरत और गुड़-बिल्ली का परसाद हंस-हंसकर दिनभर
रोते भी देखा उस वक्त जब सावन की मूसलाधार झरी में गांव के गांव बहे थे गोद में उसकी
रखवाली करते तो- पिछली गरमी में ही देखा उसे जब नहाते वक्त