दिल्ली

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आधुनिक कृषि में यंत्रों ने लाई क्रांति
Posted on 22 Aug, 2014 12:02 AM धान निकौनी की जापानी मशीन भी लोकप्रिय है। श्रीविधि से धान की निराई
ई-प्रशासन से उभर रही नई कार्य संस्कृति
Posted on 21 Aug, 2014 10:31 PM देश के 50 जिलों में ई-प्रशासन की पहल लागू है। इनमें से 14 जिला केव
ई-प्रशासन
भारत में साठ फीसदी बीमारियों का कारण अशुद्ध पानी
Posted on 19 Aug, 2014 01:12 AM भारत सरकार की ओर से हर नागरिक को शुद्ध पेयजल एवं स्वच्छ वातावरण मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह कोशिश तभी परवान चढ़ पाएगी जब आम आदमी इसमें सहयोग करे। शुद्ध पानी को निरंतर हासिल करने के लिए हमें परंपरागत जल स्रोतों को भी शुद्ध रखना होगा। यदि परंपरागत जलस्रोतों को भुला दिया गया तो आने वाले समय में दोहरी चुनौतियों से जूझना होगा क्योंकि भारत में 60 फीसदी से ज्यादा बीमारियां अशुद्ध पानी
शुद्ध पेयजल एवं स्वच्छता पर जोर
Posted on 18 Aug, 2014 03:15 PM ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्राम पंचायत के स्तर पर स्वच्छता से जुड़े मु
आम सहभागिता से पूरा होगा संपूर्ण स्वच्छता का सपना
Posted on 17 Aug, 2014 10:31 PM ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से हर ग्रामीण को स्वच्छ एवं शुद्ध वाता
जलभराव पर समीक्षा बैठक
Posted on 13 Aug, 2014 06:06 PM आखिर मौसम विभाग की तथाकथित भविष्यवाणियों को धता बताकर मानसून आ ही गया। शहर में निचली बस्तियों में पानी का जमाव होने से शासकीय सभागार में ‘समीक्षा बैठक’ आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता सरकार के प्रभारी मंत्री स्वयं करने वाले हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार सरकारी अमला, मीडियाकर्मी, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि के प्रतिनिधि, पुलिस के आला अधिकारी तथा प्रबुद्ध जन बैठक में शिरकत करने वाले हैं। बैठक का समय सरकारी
अपनी गंगा को बचाइए
Posted on 13 Aug, 2014 10:34 AM नामामि गंगे परियोजना शुरू करके गंगा के शुद्धीकरण का मोदी सरकार ने संकल्प लिया है। गंगा और यमुना कोई साधारण नदियां नहीं हैं। सदियों से यह हिंदुओं की आस्था का केंद्र रही है। आज इन नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
पहला अधिकार समुद्र का
Posted on 12 Aug, 2014 08:19 PM अप्रैल से सितम्बर तक जो समुद्री हवाएं हिंद महासागर से उठ कर हिमालय
जल को अविरल बहने दो!
Posted on 11 Aug, 2014 11:26 PM आज इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि हिंदुस्तान का पानी उतर गया है- पीने का पानी की किल्लत तो बच्चा-बच्चा महसूस कर रहा है, और आंख का पानी भी नहीं बचा, यह भी किसी से छिपा नहीं है। भौतिक पानी की कमी होने से शायद हमारी पानी की समझ भी कमतर हो गई है। हमारे समस्त शास्त्र और आख्यान प्रमाण हैं कि अभी एक डेढ़ सदी पहले तक हमारी पानी की समझ अत्यंत विस्तृत थी। मध्य काल में लोक भाषाओं का प्रचलन बढ़ने लगा त
पेयजल की गुणवत्ता एवं उपयोग के लिए प्रचार-प्रसार की जरूरत
Posted on 07 Aug, 2014 04:20 PM मानव जीवन में पेयजल व स्वच्छता का महत्व आदि काल से ही रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में जल की आवश्यकता सर्वविदित है। जल की आवशयकता को ध्यान में रखते हुए ही हमारे पूर्वजों के द्वारा जितने भी बड़े शहर बसाये गए हैं वे किसी न किसी नदी के किनारे अवस्थित है। गीता में श्री भगवान कृष्ण ने अपने को जल के रूप में प्रदर्शित करते हुए इसकी महत्ता को बताया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने तो स्वच्छता को जीवन दायनी
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