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जैविक कृषि: तेरा तुझको अर्पण
Posted on 29 Mar, 2012 04:17 PM

दूसरे महायुद्ध के बाद रासायनिक कृषि ने विश्व में अपने पैर जमाने शुरू किए थे। करीब आठ दशक के अपने इतिहास में इसने

स्वच्छ यमुना के लिए तय होगी जवाबदेही
Posted on 29 Mar, 2012 09:44 AM सभी को अपने राज्यों में साफ-सफाई पर देना होगा ध्यान, हर माह लिया जाएगा यमुना के पानी का नमूना
नदी जोड़ योजना: बेजोड़ या अव्यावहारिक गठजोड़
Posted on 28 Mar, 2012 05:18 PM

सच्चाई यह है कि जब एक नदी में बाढ़ आई हुई होती है तो दूसरी नदी में भी पानी अधिक ही रहता है। इसी तरह नदियों के पा

रामबाण नहीं है नदी जोड़ योजना
Posted on 28 Mar, 2012 10:39 AM

पुराने अनुभव बताते हैं कि बड़े निर्माण-कार्यों का क्रियान्वयन करने वाली कंपनियां पुनर्वास संबंधी नीतियों के प्रति बेहद असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना रुख अपनाती हैं। पहले भी देखा गया है कि सरकारी तंत्र और निजी कंपनियों के बीच के गठजोड़ में विस्थापित होने वाली जनता के रोजी-रोटी के सवाल नदारद रहते हैं और ऐसे लोगों के पक्ष में आवाज उठाने वालों को विकास-विरोधी की संज्ञा दी जाती है। भारत में पानी से जुड़ी मूल समस्या पानी की उपलब्धता की नहीं, बल्कि पानी के प्रबंधन की है।

जनसत्ता 16 मार्च, 2012: उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकार को नदियों के एकीकरण की योजना पर चरणबद्ध तरीके से अमल करने का निर्देश देने के बाद परिणामप्रिय विश्लेषक इस योजना से होने वाले लाभों को गिनवाने में लग गए हैं। नदियों के एकीकरण के इस प्रस्ताव पर उस तबके के बीच खासा उत्साह का माहौल है जो इसके जरिए अपने हितों को साधने और अपने आर्थिक विस्तार की संभावनाएं तलाश रहा है। मोटे तौर पर यह वही तबका है जो विकास के देशी-सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति हिकारत का भाव रखता है और उन्हें सिरे से खारिज करता है। यही वजह है कि इस प्रस्ताव के पक्ष में गोलबंदी भी शुरू हो गई है। बौद्धिक जगत का एक हिस्सा इस योजना के दूरगामी परिणामों को समझे बगैर इसके साथ खड़ा है और इस योजना को पानी की समस्या से निजात पाने का रामबाण इलाज बता रहा है।
लाखों भागीरथ चाहिए गंगाजी के लिए
Posted on 24 Mar, 2012 06:41 PM श्रद्धेय संत समाज, आन्दोलनकारी भद्रजनों के गंगाजी के प्रति प्राण पण समर्पण भाव को नमन है।।
तो लो निकल ही गया रास्ता बीच गंगा से
Posted on 24 Mar, 2012 02:08 PM

इनका संकल्प है कि वह बचें न बचें, गंगा बचनी चहिए।
उनकी चाहत है कि गंगा बचे न बचे, गंगापुत्र बचने चाहिए।
इनका संकल्प है कि वह कहते-कहते हार गये। अब कोई रास्ता नहीं।
तपस्या ही गंगा को धरा पर लाई थी। अब तपस्या ही गंगा का सत् वापस लौटायेगी।

उनका कहना है कि रास्ता है.... बीच का रास्ता।
इनकी तपस्या भी रह जायेगी, उनकी टेक भी।
......तो लो निकल गया बीच का रास्ता। गंगा, गंगापुत्र और गंगा को राष्ट्रीय नदी बनाने वाली सरकार के बीच बन गया एक और पुल। मिल गई राहत। दोनों को थोड़ी-थोड़ी।

उन्होंने एक बैठक दी। बैठक का आमंत्रण दिया। बैठक में एजेंडे पर चर्चा की गारंटी दी। इन्होंने भी तपस्या जारी रहने की गारंटी दी।
इससे पहले कि यह तरल ग्रहण करें, उससे पहले ही बनारस में जल छोङ दिया दूसरे तपस्वी गंगाप्रेमी भिक्षु ने। जीते जी हो गया झंडा बदल।
सरकार को इन्होंने दिखा दिया एकमत का आइना। सरकार ने भी इन्हें दिखा दी थोड़ी सी संवेदना। गंगा अभी भी वहीं की वहीं हैं।
तपस्या चालू आहे; सरकार भी.....

ganga premi bhikshu ji
कुम्भ : जन, जल और आस्था
Posted on 23 Mar, 2012 12:35 PM

कुम्भ पर्व मनुष्य को आस्था में अभिषिक्त करने के लिये तो है ही, वह मनुष्य को अभिषेक का द्रव बनाने के लिये भी है।

दिवस के बरक्स
Posted on 23 Mar, 2012 11:58 AM

रोज दस बार टीवी-रेडियो और अखबारों के जरिए लोगों को बताया जाए कि पानी बचाओ, लेकिन शहरों के सुंदर चौराहों और वीआईप

forest
उनका भूलें, अपना मनायें जलदिवस
Posted on 22 Mar, 2012 10:51 AM

22 मार्च: अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस पर विशेष

world water day
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