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उगे अगस्त फूले बन कास
Posted on 20 Mar, 2010 08:50 AM
उगे अगस्त फूले बन कास।
अब छोड़ो बरखा की आस।।


भावार्थ- अगस्त तारे के निकलते ही जंगल में कास फूलने लगे हैं, अतः अब वर्षा की आशा छोड़ देनी चाहिए।

आगे मघा पीछे भान
Posted on 20 Mar, 2010 08:47 AM
आगे मघा पीछे भान।
पानी पानी रटै किसान।।


भावार्थ- यदि मघा के पीछे सूर्य हो तो वर्षा नहीं होगी और किसान पानी की एक-एक बूँद के लिए तरस जाएगा। वर्षा न होने से कोई फसल पैदा नहीं होगी।

आगे मंगल पीठ रवि
Posted on 20 Mar, 2010 08:44 AM
आगे मंगल पीठ रवि, जो असाढ़ के मास।
चौपट नासै चहुँ दिसा, बिरलै जीवन आस।


भावार्थ- यदि आषाढ़ मास में मंगल आगे और सूर्ये पीछे रहे तो वर्षा नहीं होगी, चारों ओर विनाश-लीला होगी और धरती पर त्राहि-त्राहि मच जायेगी।

आद्रा भरणी रोहिणी
Posted on 20 Mar, 2010 08:42 AM
आद्रा भरणी रोहिणी, मघा उत्तरा तीन।
इन मंगल आँधी चलै, तबलौं बरखा छीन।


भावार्थ- मंगल के दिन आर्द्रा, भरणी, रोहिणी, मघा और तीनो उत्तरा नक्षत्रों में आंधी चले तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा बहुत कम होगी जिससे फसल को नुकसान होगा।

अकाल (सूखा) सम्बन्धी कहावतें
Posted on 20 Mar, 2010 08:40 AM
आद्रा तौ बरसै नहीं, मृगसिर पौन न जोय।
तौ जानौ यो भड्डरी, बरखा बूँद न होय।।


भावार्थ- भड्डरी का मानना है कि यदि आर्द्रा नक्षत्र में पानी न बरसा और मृगशिरा नक्षत्र में हवा न चली तो वर्षा नहीं होगी, जिससे फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

हस्त बरसे तीन होय
Posted on 19 Mar, 2010 04:13 PM
हस्त बरसे तीन होय, साठी सक्कर मास।
हस्त बरसे तीन जाय, तिल कोदो औ कपास।।


भावार्थ- हस्त नक्षत्र की वर्षा से धान, ईख और ऊड़द इन तीनों की पैदावार बढ़ जाती है, लेकिन इसी नक्षत्र की वर्षा से कोदो, कपास और तिल तीनों की फसल नष्ट हो जाती है।

हथिया पूँछ डोलावै
Posted on 19 Mar, 2010 04:07 PM
हथिया पूँछ डोलावै,
घर बैठे गोहूँ आवै।।


भावार्थ- यदि हस्त नक्षत्र में थोड़ी भी वर्षा हो जाये तो बिना अधिक परिश्रम किये ही किसान के घर में गेंहूँ भर जायेगा।

हथिया बरसे चित्रा मँडराय
Posted on 19 Mar, 2010 04:01 PM
हथिया बरसे चित्रा मँडराय।
घर बैठे किसान रिरियाय।।


शब्दार्थ- रिरियाय-दीन वाणी बोलना।

भावार्थ- यदि हस्त नक्षत्र में वर्षा हो और चित्रा में केवल बादल मंडराते रहें और वर्षा न हो तो किसान दीन-हीन होकर घर में असहाय बैठा रहेगा क्योंकि वर्षा कम होगी जिससे अन्न की उपज बहुत कम होगी।

सावन पहली चौथ में
Posted on 19 Mar, 2010 03:48 PM
सावन पहली चौथ में, जो मेंघा बरसाय।
तो भाखैं यो भड्डरी, साख सवाई जाय।।


भावार्थ- यदि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चौथ को वर्षा हो तो फसल की पैदावार सवाई होगी, ऐसा भड्डरी का कहना है।

सावन ऊखमा भादों जाड़
Posted on 19 Mar, 2010 03:28 PM
सावन ऊखमा भादों जाड़।
बरसा मारे ठाड़ कछाड़।।


शब्दार्थ- ऊखम-उष्मा या गर्मी, कछाड़-कछनी (साड़ी या धोती को घुटने तक मोड़ना)

भावार्थ- श्रावण मास में यदि गर्मी पड़े औ भादों में ठंड तो निश्चित ही वर्षा इतनी अधिक होगी कि धोती का कछाड़ (कछनी) मार कर चलना पड़ेगा।

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